दोस्तो, नमस्कार। हालांकि आजकल डाइनिंग सेट पर भोजन करने का चलन है। बफे सिस्टम में खडे हो कर या टेबल कुर्सी पर बैठ कर भोजन किया जाता है, लेकिन आज भी अनेक परंपरावादी मुसलमान उकड़ू बैठ कर भोजन करते है। उकडू यानि वीर हनुमान की गदा लेकर बैठने की मुद्रा। जिसमें एक घुटना जमीन पर और दूसरा पेट से सटा हुआ। इस्लाम में इस तरह बैठ कर भोजन करने की परंपरा का संबंध इस्लामिक शिक्षाओं, स्वास्थ्य लाभों और सांस्कृतिक आदतों से जुड़ा है। इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने जीवन में जो आचरण अपनाए, उन्हें सुन्नत कहा जाता है। उकड़ू बैठ कर भोजन करना पैगंबर साहब की सुन्नतों में से एक है। इसकी जानकारी मुझे अरसे पहले तत्कालीन दरगाह नाजिम षकील अहमद ने दी थी। उन्होंने मुझे दावत पर बुलाया था। जब देखा कि वे उकडू बैठ कर भोजन कर रहे हैं, तो मैने जिज्ञासावष इसका सबब पूछा। उन्होंने बताया कि उकडू बैठने से आमाषय कुछ संकुचित होता है, जिससे जरूरत या भूख से कुछ कम भोजन किया जा सकता है। आयुर्वेद भी कहता है कि आमाषय को पूरा भोजन से नहीं भर लेना चाहिए। आमाषय में आधा हिस्सा भोजन, एक चौथाई हिस्सा पानी के लिए और दूसरा चौथाई हवा के लिए होना चाहिए। इससे भोजन अच्छी तरह से पचता है। अन्यथा अधिक भोजन के कारण बदहजमी होती है। उकड़ू बैठने से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है, जो षरीर के लिए लाभदायक है। प्रसंगवष बता दें कि सुन्नत के मुताबिक पानी बैठ कर एक एक घूंट करके पीने की परंपरा है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।