पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

पाकिस्तान और चीन दुनिया के दो ऐसे विध्वंसक देश है, जिन्होंने आतंकवाद, युद्ध एवं पडोसी देशों में अशांति फैलाने की राहों को चुनते हुए अपनी बर्बादी की कहानी खुद लिखी है। पाकिस्तानी नेतृत्व ने ही भारत में आतंकवाद फैला कर लिखी अपनी बर्बादी की दास्तां, जिसे अब अब जनता झेल रही है। रोटी, सब्जी, घी, … Read more

श्रद्धा जैसे एक और कांड से रूह कांप गयी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फिर एक और श्रद्धा हत्याकांड जैसा त्रासद, अमानवीय एवं खौफनाक मामला सामने आया है। दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में एक युवती निक्की यादव की उसी के प्रेमी साहिल गहलोत द्वारा हत्या कर उसका शव ढाबे के फ्रिज में छुपाने के मामले ने रोंगटे खड़े कर दिये, रूह को कंपा दिया। समाज … Read more

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

नरेन्द्र मोदी शासन के जिम्मेदारी भरे बजट-2023 ने समावेशी आर्थिक समृद्धि और वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ उस ‘नए भारत’ की नींव रखी है, जो अपनी स्वाधीनता के सौवें वर्ष में साकार होगा। यह बजट ‘अमृत काल’ को सबसे अच्छे ढंग से रेखांकित करता है। निश्चित ही सरकार की नजर अमृतकाल पर है। उसी दृष्टि से … Read more

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

राजनीतिक लाभ के लिए जातिगत ध्रुवीकरण के अलावा उपरोक्त मांग के पीछे कुछ कारक सक्रिय नजर आते हैं। इस परिदृश्य में, यह कहना गलत नहीं होगा कि सामाजिक आर्थिक समानता लाने के उद्देश्य से की गई सकारात्मक कार्रवाई सत्ता हथियाने के एक उपकरण के रूप में अधिक हो गई है। जाति ने लोकतांत्रिक राजनीति के … Read more

यूपी में उभर रही है त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर

सपा-बसपा के आमने-सामने आने से भाजपा झूमी संजय सक्सेना,लखनऊ / अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की सियासत काफी तेजी से ‘रंग’ बदल रही है। कुछ पुराने मुद्दों और विवादित बयानों को नई ‘धार’ दी जा रही है तो आरक्षण, जातिगत जनगणना, रामचरित मानस विवाद वोट बटोरने के नये … Read more

देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है. केंद्रीय बजट से आम आदमी से लेकर उद्योग जगत को भी कई उम्मीदें हैं, कोरोना महामारी के बाद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था जी 20 … Read more

बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है, यह सब रोज-रोज के ऐसे कारनामे देखकर हम समझ सकते हैं, हमारे भारत की महिलाओं में कभी माताएं आती रहती है तो पुरुषों में कभी अमुक आते रहते हैं, आखिर यह अंधविश्वास और पाखंडवाद हमारे देश को किस दलदल में ले जाकर धकेलेगा। हम इसका अंदाजा … Read more

भारत में विदेशी शिक्षण संस्थान नफ़ा या नुकसान

विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की अनुमति देने का सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। यह पहल न केवल हमारे छात्रों को वैश्विक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करेगी बल्कि संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी पैदा करेगी। लेकिन नया नियम विदेशी संस्था को मुक्त खेल … Read more

ग्रामीण चौपालों को लील गई राजनीति

गांव मैं अब न तो पहले जैसे त्योहारों की रौनक है और न ही शादी के वक्त महिलाओं द्वारा गाए जाने गीत। यहां तक की मौत पर हर घर में छा जाने वाला शोक का स्वरूप बदल गया है। पहले गांव में किसी जवान की मौत हो जाने पर उसके अंतिम संस्कार से पूर्व किसी … Read more

खेलों के पीछे शर्मनाक खेल

देश के जो खिलाड़ी विदेशी सरजमीं पर तिरंगे का मान बढ़ाते आए हैं. उन्हें अपने अधिकारों के लिए जंतर मंतर पर धरना देना पड़ रहा है. क्या ऐसे देश खेलों में आगे बढ़ेगा जहां लगातार खेल दुनिया में यौन उत्पीड़न के विवाद बढ़ते जा रहे हैं. देश को मेडल दिलाने वाले इंसाफ की गुहार लगा … Read more