बात तकरीबन 1978 की है। उन दिनों मैंने अनेक तांत्रिक प्रयोग किए थे। एक प्रयोग का जिक्र कर रहा हूं। मैं तब लाडनूं में था और निकटवर्ती जसवंतगढ़ में विज्ञान कॉलेज में प्रथम वर्ष मैथ्स का छात्र था। मेरे एक मित्र सी. एल. तिवाड़ी तृतीय वर्ष बायलॉजी में थे। मुझे एक तांत्रिक प्रयोग के लिए श्मशान से ताजा चिता की राख लानी थी। इसका जिक्र मैंने श्री तिवाड़ी से किया तो वे बोले कि वे भी साथ चलना चाहते हैं। मैं उन्हें साथ ले गया। श्मशान में जल कर पूर्ण हुई एक चिता मिल गई, जिसके अंगारे अभी सुलग रहे थे। मैंने उससे तांत्रिक विधि से थोड़ी सी राख ली। श्री तिवाड़ी ने हड्डी का एक टुकड़ा उठाया और बताया कि वह रीड़ की हड्डी का एक गुटखा है, जिसका उन्होंने बायलॉजिकल नाम भी बताया। हम वहां से रवाना हो गए।
हमें किसी मीटिंग में जाना था, इस कारण हड्डी का टुकड़ा रास्ते में एक मकान की खिड़की पर रख दिया। मीटिंग से लौटने पर हड्डी का वह टुकड़ा मैने ले लिया और घर आ गया। घर में मैने उसे अपनी किताबों के पीछे छुपा कर रख दिया। कुछ दिन बात श्री तिवाड़ी बदहवास से मेरे पास आए और एक अजीब सी बात बताई। उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र जनाब अजीज खान, जो कि उनके क्लास फैलो हैं, को एक सपना आया है। सपने में उन्होंने चिता से राख लाने की घटना को क्रमवार देखा है। उन्होंने बताया कि वह चिता किसी साध्वी की थी।
उन्होंने चौंकाने वाली बात ये भी बताई कि साध्वी की आत्मा ने मेरे किताबों पीछे छुपी हड्डी गायब कर दी है। मैं हतप्रभ रह गया कि उस घटना का सपना किसी थर्ड पर्सन को कैसे आया? दूसरा ये कि हड्डी का टुकड़ा कैसे गायब हो सकता है, जिसे कि मैने एक दिन पहले ही सुरक्षित देखा है? मैने तुरंत जा कर देखा। वाकई हड्डी का टुकड़ा गायब था। श्री तिवाड़ी ने बताया कि जब उन्होंने चिता से हड्डी का टुकड़ा उठाया था, तब उनको किसी अज्ञात शक्ति ने झन्नाटेदार थप्पड़ मारा था, मगर मारे डर के उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया था। उन्होंने ये भी बताया कि जिस दिन की यह घटना है, उसी दिन से हर शाम के वक्त उनके हाथों से मांस जलने की बदबू आती है और वे खाना नहीं खा पाते।
इस पूरी घटना में मैं इस बात से चकित नहीं हुआ कि उस शक्ति ने हड्डी का टुकड़ा गायब कर दिया, लेकिन इस बात से अचंभित था कि एक थर्ड पर्सन को घटना का हूबहू सपना कैसे आया? श्री तिवाड़ी ने सवाल किया कि जनाब अजीज से न तो उन्होंने हमारी मित्रता और न ही घटना का कभी जिक्र कभी किया, फिर भी उनको पूरा सपना कैसे आयाड्ढ? मैं निरुत्तर था। इससे यह तो प्रमाणित होता ही है कि अदृश्य शक्तियां किसी घटना का सपना किसी को दिखा सकती हैं।