नई दिल्ली, अगस्त 2023: टेक्निकल इंटर्न ट्रेनिंग प्रोग्राम (टीआईटीपी) और स्पेसिफ़िएड स्किल्ड वर्कर्स (एसएसडब्ल्यू) कार्यक्रम के तहत जापान में कुशल उम्मीदवारों की मोबिलिटी के लिए जिम्मेदार स्टेकहोल्डर्स के बीच एक व्यापक संवाद की सुविधा और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा सूचीबद्ध संगठनों (सेंडिंग आर्गेनाइजेशन) के साथ एक विचार-मंथन वर्कशॉप का आयोजन किया। वर्कशॉप की अध्यक्षता एमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने की। विदेश मंत्रालय के एडिशनल सचिव श्री अनुराग भूषण ने भी मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वर्कशॉप में भाग लिया।
वर्कशॉप ने स्टेकहोल्डर्स को भेजने वाले संगठनों और छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करने और उनका समाधान करने, संबंधित कार्यक्रमों से संबंधित ग्राउंड एक्सपीरियंस को साझा करने, प्रभावी स्टूडेंट मॉनिटरिंग प्रैक्टिस एक्सप्लोर करने और सॉल्यूशन ड्रिवेन चर्चाओं में शामिल होने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा, “टीआईटीपी और एसएसडब्ल्यू कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने के विजन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत और जापान के बीच सदियों पुराना सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव है, जिससे दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलती है
उन्होंने आगे कहा कि, इस तरह की वर्कशॉप का आयोजन रेलेवेंट इनसाइट्स को साझा करने के लिए महत्वपूर्ण है जो भविष्य के लिए प्रभावी रोडमैप बनाने में मदद करता है और मुझे खुशी है कि आज की चर्चा सभी द्वारा साझा किए गए इनपुट के संदर्भ में बेहद उपयोगी रही है। मेरा मानना है कि अगले कदम जापान में जॉब मार्केट की मांगों के अनुसार भारतीय वर्कफोर्स के वर्ग को प्रशिक्षित करने की दिशा में एमएसडीई के प्रयासों को और मजबूत करेंगे।
विदेश मंत्रालय के एडिशनल सचिव श्री अनुराग भूषण ने कहा, “दशकों से चला आ रहा इमिग्रेशन एक शक्तिशाली कैटेलिस्ट के रूप में विकसित हुआ है, जो कौशल विकास को समृद्ध कर रहा है, सॉफ्ट पावर को बढ़ा रहा है और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दे रहा है। जैसे-जैसे हमारा प्रवासी बढ़ता है, यह न केवल रेमिटेंस को बढ़ावा देता है, बल्कि नॉलेज ट्रांसफर, टेक्नोलॉजी और कौशल अधिग्रहण के लिए एक माध्यम के रूप में भी काम करता है, जिससे भारतीय कंपनियों को अपने विकास के लिए वैश्विक एक्सपोजर का लाभ उठाने में काफी फायदा होता है। इसका लाभ जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता के संमिलन के माध्यम से उठाया जा सकता है जो इमिग्रेशन को प्रेरित करता है। यह जर्मनी और मॉरीशस के साथ व्यापक माइग्रेशन मोटिवेटिंग पार्टनरशिप एग्रीमेंट जैसे रणनीतिक समझौतों में स्पष्ट है। जापानी मार्केट के दायरे में, अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक सूक्ष्म अप्रोच सर्वोपरि है। वर्कफोर्स को आवश्यक भाषाई कौशल से लैस करना, मजबूत भाषा प्रशिक्षण फ्रेमवर्क का निर्माण करना, इमिग्रेशन पॉलिसी इकोसिस्टम को मजबूत करना और डिजिटल प्रगति को अपनाना युवा वर्कफोर्स की प्रतिभा का उपयोग करने में मदद कर सकता है।”
वर्कफोर्स भेजने वाले संगठनों से वैल्यूबल इनसाइट्स उत्पन्न करने में सफल रही और इन इनपुटों के आधार पर, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इंटरनेशनल (एनएसडीसीआई) एमएसडीई, एमईए और अन्य मंत्रालयों को जोड़ने वाला एक फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में अपने प्रयासों को संरेखित करेगा जो बदले में, दोनों देशों के बीच, दोनों कार्यक्रमों के तहत वर्कफोर्स मोबिलिटी की प्रभावशीलता को बढ़ाएगा। कार्यान्वयन के दृष्टिकोण से, संबंधित मंत्रालयों की मदद से सीखने की सुविधाओं का विस्तार करने और स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटरों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ देश में हाई स्किल्ड जैपनीज़ लैंग्वेज ट्रेनर्स का एक बड़ा पूल बनाने के लिए इसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसके अलावा, जापान की कंपनियों और भारत में जापान की कंपनियों के साथ सहयोग करना मांग के नॉलेज के आधार पर संबंधित क्षेत्रों में डिमांड एग्रीगेशन और कौशल प्रशिक्षण के संरेखण के लिए एक आवश्यक कदम होगा।