नई दिल्ली, मार्च, 2023: सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र ने श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय की स्मृति में ‘विरासत – कमलादेवी’ नामक चार दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव का 24 से 27 मार्च, 2023 तक सीसीआरटी कैंपस, द्वारका, नई दिल्ली में आयोजन किया। कमलादेवी चट्टोपाध्याय सीसीआरटी की संस्थापक और प्रथम अध्यक्ष रही हैं।
सीसीआरटी के निदेशक श्री ऋषि वशिष्ठ के अनुसार, “विरासत’ हमारी संस्थापक श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय को श्रद्धांजलि है। वह एक प्रेरणा स्रोत थीं और सीसीआरटी इस उत्सव के माध्यम से उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है। यह‘ विरासत’ समारोह एक ऐसे उपयुक्त समय पर आया है जिसे पीएम मोदी ने ‘अमृत काल’ का नाम दिया है – एक ऐसी अवधि जब विकास और विरासत को साथ-साथ चलना चाहिए।’ भारत की आवाज अब अधिक आत्मविश्वासी और मुखर है और यह जी20 और वैश्विक मामलों में भारत के नेतृत्व की स्थिति में परिलक्षित होता है। भारतीय संस्कृति में आज वैश्विक नागरिक को लाभान्वित करने की क्षमता है और दुनिया हमारी गहरी और सार्थक समय की कसौटी पर खरी उतरी प्रथाओं, प्राचीन ज्ञान, संगीत, नृत्य, स्वस्थ परम्पराओं और संस्कृति के आध्यात्मिक पक्ष को आत्मसात कर सकती है। अमृत काल ने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की राह प्रशस्त की है और विरासत समारोह हमारी विरासत की शक्ति को मजबूत करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
विरासत कमलादेवी 2023 उत्सव के पहले दिन की शुरुआत डॉ. विनोद नारायण इंदूरकर, अध्यक्ष सीसीआरटी और श्री ऋषि वशिष्ठ, निदेशक सीसीआरटी द्वारा अमृत शिविर के उद्घाटन और दीप प्रज्वलन समारोह के साथ हुई। शाम को एक नाटक ‘पहटिया’ का मंचन किया गया, जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक गुमनाम नायक छत्तीसगढ़ राज्य के गेंद सिंह पर केन्द्रित है ।
विरासत कमलादेवी उत्सव के दूसरे दिन शनिवार 25 मार्च 2023 को फेसबुक लाइव कार्यक्रम में सीसीआरटी के डीडीआर (डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपॉजिटरी) के तीन ब्रांड एंबेसडर की घोषणा की गई और सम्मानित किया गया। भरतमुनि नाट्यगृह सभागार में शाम 4 बजे से शाम 6 बजे यह कार्यक्रम ऑनलाइन चला। इस कार्यक्रम के सितारे थे महाराष्ट्र के डॉ. शिवाजी म्हस्के, आंध्र के सोमी शेट्टी सरला और हरियाणा के प्रकाश सांगवान जिन्होंने डीडीआर प्रोजेक्ट के लिए अनसुने नायकों, घटनाओं, छिपे हुए खजाने, जीवंत परंपराओं का जश्न मनाते हुए- जिनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में किसी न किसी रूप में योगदान है, सौ से अधिक कहानियां लिखी हैं। डॉ. संध्या पुरेचा, अध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी और अध्यक्ष, डब्ल्यू-20 सीसीआरटी परिसर में शाम 4 बजे आयोजित डीडीआर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं और उन्होंने डीडीआर प्रोजेक्ट के तीन ब्रांड एंबेसडर का अभिनंदन किया। इस समारोह के बारे में, डॉ पुरेचा ने कहा कि “कमलादेवी एक विदुषी थीं और इस महान व्यक्तित्व के नाम पर एक समारोह होना एक बड़ी बात है, और यही हमारी संस्कृति है। यह अतीत की विरासत को आगे ले जाने के लिए है।” शाम को “एक इंस्पेक्टर से मुलाकात” नामक एक मनोरंजक सस्पेंस ड्रामा प्रस्तुत किया गया, जिसकी संकल्पना और निर्देशन अभिनव रंगमंडल, उज्जैन, मध्य प्रदेश के शरद शर्मा ने किया था।
तीसरे दिन दो दिलचस्प उत्कृष्ट नाटक देखने को मिले। पहला था ‘सरदार’ जो सरदार पटेल की कहानी पर आधारित है और श्री रामजी बाली, थिएटर वाला वाराणसी, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्देशित है। दूसरा नाटक ‘संध्या छाया’ था जिसे श्री सुदेश शर्मा, थिएटर फॉर थिएटर, चंडीगढ़ द्वारा निर्देशित किया गया था। संध्या छाया एक वृद्ध दंपत्ति की कहानी है, जिनके अकेलेपन की मार्मिक कहानी जिसने दर्शकों को हंसाया भी और रुला भी दिया और नाटक के अंत में दर्शक समूह ने खड़े होकर करतल ध्वनी से इसे सराहा। नाटक देखने आई आईपी यूनिवर्सिटी की 21 साल की छात्रा मायरा भट्ट कहती हैं, ”यह मेरे लिए वाकई आंख खोल देने वाला था कि जब बच्चे दूर जाते हैं तो बड़ों को कैसा लगता है. वृद्ध दंपत्ति द्वारा कई तरह की भावनाओं को चित्रित किया गया, चाहे वह खुशी हो, दुख हो, बच्चों के लिए प्यार हो, उनका बचपन हो, अपने भविष्य को लेकर उनकी असुरक्षा हो। इसने हमें रुला दिया लेकिन कई मज़ेदार दृश्य भी थे जैसे कि पुराने जोड़े के बीच की नोक-झोंक।”
दिन 4 की शुरुआत “सिद्धि समारोह” या समापन कार्यक्रम के साथ हुई, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ श्रीपाद भालचंद्र जोशी, वरिष्ठ मराठी कवि और लेखक थे। मुख्य अतिथि ने श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण किया और सीसीआरटी आर्ट गैलरी में महिला स्वतंत्रता सेनानियों के 30 चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। इसके तुरंत बाद, अमृत शिविर के समापन पर सीसीआरटी के छात्रवृत्ति धारकों द्वारा एक सांस्कृतिक प्रस्तुति ‘अमृत शिविर’: ‘कदम कदम बढाये जा’ दी गई। उदयपुर, राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों से 42 बच्चों, वाराणसी स्थित सीसीआरटी व्याख्या केंद्रों के 20 बच्चों और 18 सीसीआरटी छात्रवृत्ति धारकों ने दृश्य कला प्रदर्शनी के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत, नृत्य और पारंपरिक कला के रूप में एक लयबद्ध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रदर्शन किया। दृश्य कला प्रदर्शनी का विषय ‘अनसंग हीरोज’ (गुमनाम नायक) था। पिचवाई और मधुबनी पेंटिंग जैसी अनूठी भारतीय लोक-कला शैलियों में, जहां छात्रों ने लकड़ी के कोयले (चारकोल) और अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल किया। लोक नाट्य और लोकनृत्य का मुख्य विषय घूमर था जो शाही परिवारों का एक सुसंस्कृत महिला नृत्य है, जिसे पारिवारिक उत्सवों के दौरान शहनाई, नगाड़ा, ढोल और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत किया जाता है। शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति का विषय था ‘भारत की एकता को दर्शाने वाले भारत के क्षेत्रीय गीत’ और शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति ‘मैंने मृत्यु को देखा’ थी।
अमृत शिविर के बाद रैम्प वॉक कार्यक्रम ‘रंगी रमणी’ का आयोजन किया गया, जो कोरियोग्राफर दीपाली फड़नीस की संकल्पना थी, जो कई मिसेज इंडिया प्रतियोगिताओं के आयोजन से जुड़ी रही हैं। केरल की कसावा साड़ियों में उन महिला कलाकारों द्वारा रैंप वॉक किया गया था, जिस पर उन्होंने महिला स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र बनाए थे।
इसके बाद भारत के अल्पज्ञात शहरों पर पुस्तक शृंखला की ग्यारहवीं पुस्तक’संतों का शहर-होशियारपुर’ और सांझी संस्कृति के निर्माता शृंखला की चौथी पुस्तक ‘ताज बीबी’ का लोकार्पण किया गया, जिसके बाद सीसीआरटी की नई संस्थागत वीडियो और धरोहर शृंखलाके वृत्त चित्र का भी लोकार्पण किया गया जो सीसीआरटी छात्रवृत्ति धारक मृदंगम वादक पी वेट्रीभूपति पर केन्द्रित है।
नौवां कमलादेवी चट्टोपाध्याय स्मृति व्याख्यान शाम को प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली द्वारा “कला, संस्कृति एवं संस्कृत” विषय पर दिया गया। शाम को नागपुर स्थित थिएटर ग्रुप नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट क्रिएटर के दो नाटक – ‘चिड़िया, चिड़िया और सहगल’ और ‘भटकी गजल’ प्रस्तुत किए गए जो डॉ विनोद नारायण इंदूर कर द्वारा निर्देशित हैं, जो वर्तमान में सीसीआरटी के अध्यक्ष भी हैं। पहला नाटक ‘चिड़िया, चिड़िया और सहगल’ श्री और शिरीन के इर्द-गिर्द घूमता है – एक लड़का और लड़की जो एक समय रोमांटिक रिश्ते में थे और बाद में अपने अलग-अलग रास्ते पर चले गए और कैसे वे अचानक एक-दूसरे से टकरा गए और उन्होंने अपने अतीत को याद किया। दूसरे नाटक ‘भटकी ग़ज़ल’ में कथानक चार पात्रों और उनके पारस्परिक संबंधों के इर्द-गिर्द घूमता है। नाटक आधुनिक मनुष्य और वास्तविक दुनिया की इच्छा और उसके संघर्ष और अस्तित्व के संकट पर आधारित था।