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चिश्ती सूफ़ियों ने दुनिया का अब तक का सबसे पहला सूफ़ी दास्तानगोई प्रदर्शन कर इतिहास रचा

राष्ट्रीय
/
February 15, 2023

अजमेर ग्लोबल सूफी फाउंडेशन ने सूफीवाद के 900 वर्षों के इतिहास का पहला चिश्ती सूफी दास्तानगोई प्रदर्शन प्रस्तुत किया

अजमेर, फरवरी, 2023: अजमेर ग्लोबल सूफी फाउंडेशन ने नई दिल्ली में दिल्ली दरबार संगीत महोत्सव 2023 के दौरान सूफीवाद के लगभग 900 वर्षों के इतिहास में पहली बार चिश्ती सूफी दास्तानगोई प्रस्तुत की। यह अनूठी प्रस्तुति सूफी आध्यात्मिक इमाम या गुरु, पैगंबर मोहम्मद के वंशजऔर हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह (अजमेर शरीफ) के गद्दी नशीन, सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती द्वारा परिकल्पित थी।दास्तानगोई (कहानी सुनाना), कव्वाली (सूफी गायन) और रक्स (सूफी नृत्य) तीनो मुख्य घटकों में खूबसूरत तालमेल दिखा।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में आयोजित दिल्ली दरबार 2023 संगीत समारोह के दूसरे संस्करणके दौरान सूफी दास्तानगोई को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ, सेंट्रल विस्टा (इंडिया गेट लॉन) में प्रस्तुत किया गया था। इंडिया गेट लॉन मे पूरी तरह सेखचाखच भरे दर्शकों द्वारा प्रस्तुति की बहुत सराहना की गई। जिन कलाकारों ने प्रस्तुति के तीनों घटकों – सैयद मुइज़ चिश्ती, अक्षय दत्ता और दानिशहिलाल खान को प्रस्तुत किया, वे सभी चिश्ती सूफीवाद के अनुयायी हैं।
दास्तानगोई का विषय समा (ज्ञान की ध्वनि) या सूफी गीत और संगीत था। प्रस्तुति में प्रसिद्द कौल (कथन)- मन कुंतो मौला का प्रदर्शन सबसे पहलेकिया गया, उसके बाद (हजरत अमीर खुसरो का) कलाम और रंग के साथ समापन हुआ। दिल्ली घराने के प्रसिद्ध गायक दानिश हिलाल खान नेअपनी गीत की गहराई, और अपनी शास्त्रीय संगीत की तालीम और रियाज़त का प्रदर्शन किया और प्रस्तुति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दास्तानगोई सैयद मुइज़ चिश्ती, एक सूफी और पैगंबर मोहम्मद के वंशज द्वारा किया गया था। यह मंच पर उनका पहला प्रदर्शन था और उन्होंने बड़ीसादगी और स्पष्ट उच्चारण के साथ प्रस्तुत किया। सूफी हजरत रियाजुद्दीन चिश्ती के शिष्य और हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह(अजमेर दरगाह) के गद्दी नशीन होने के कारण शब्द और कथन स्वाभाविक रूप से उनके पास आए। आने वाले समय में वह भारत में तेजी से उभरतीदास्तानगोई शैली के प्रदर्शन में अधिक स्थापित नामों में से एक नाम होगा ।
समा पर दास्तानगोई, सूफी रक्स के बिना पूरी नहीं हो सकती थी। रक्स या नृत्य पारंपरिक तरीका है जिसके माध्यम से सूफी संत और गुरु ईश्वर सेजुड़ते हैं। सूफीवाद के अनुयायी और सूफी हजरत रियाजुद्दीन चिश्ती के शिष्य और अजमेर शहर के रहने वाले अक्षय दत्ता ने कथक शैली में रक्स काप्रदर्शन किया। वह कहानी और कव्वाली दोनो के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाते रहे। उनकी अदाकारी ने शब्दों और दोहों को दर्शकों के लिएसमझना आसान बना दिया।
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह (अजमेर शरीफ) के गद्दी नशीन, सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती कहते हैं की “भारत आस्थाओंऔर धर्मों की भूमि है। महान सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह ने हिंदुस्तान में गंगा जमुनी तहज़ीब की नीव रखी ।अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते थे, जो अब हम “गंगा-जमुनी संस्कृति”, “सिंक्रेटिक तहज़ीब” या “विविधता मेंएकता” के रूप में जानते हैं। और यही पूरी दुनिया के लोगो में भारत को प्रसिद्ध करता है, उनको भारत और भारतीयों से प्रेम पे विवश करता है औरउनको भारत की यात्रा कर ये भाईचारे की संस्कृति को देख, भारत का दीवाना बनाता है।
अजमेर ग्लोबल सूफी फाउंडेशन की स्थापना एक ही मक़सद की बुनियाद पर है – “प्रेम या इश्क़ विश्वव्यापी मज़हब है”। सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीनचिश्ती इस संस्था के संस्थापक हैं और इसकी गतिविधियों के अंतर्गत सांसारिक जीवन का त्याग, ईश्वर में पूर्ण विश्वास, दान के माध्यम से जितना संभवहो दूसरों की मदद करना और सभी जाति, पंथ, धर्म, रंग या सामाजिक स्तर के मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करना है।

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