Skip to content
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • जनरल न्यूज
  • दखल
  • गेस्ट राइटर

बेगानों से सोशल मीडिया के जरिये परवान चढ़ता प्रेम या फितूर

गेस्ट राइटर
/
July 28, 2023

इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर से सोशल मीडिया की सामाजिकता को लेकर बहस तेज कर दी है। हाल की दोनों घटनाओं को छोड़ भी दें तो देश में हजारों किस्से ऐसे हैं कि जिनमें सोशल मीडिया के जरिये लड़कियों से छल किया गया। उन्हें लूटा गया और उनकी हत्या तक कर दी गई। यह गहन शोध का विषय है। हमने आजतक इस विषय को गम्भीरता से नही लिया है। आजकल की पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रही है। अंग प्रदर्शन, एशो-आराम, अवांछित स्वतंत्रता, आधुनिकता का दिखावा और अच्छे संस्कारो का अभाव और अनैतिकता और पैसे की प्रति अत्यधिक लगाव जैसी आदतें मुख्य कमजोरी बन गई है। संयुक्त परिवार की अवधारणा समाप्त होती जा रही है। लिहाज और शर्म की भावना लगभग खत्म हो गई है। वहीं वैवाहिक रिश्तों के दरकने को भारतीय समाज के लिये एक बड़ी चुनौती माना जाएगा। जो समाज में कई तरह की विकृतियों को जन्म दे सकता है। रिश्तों की पवित्रता को लेकर पश्चिमी जगत में जिस भारत की मिसाल दी जाती रही है आज वह ही रिश्तों के संक्रमण वाले दौर से गुजर रहा है।

अपने बच्चों को लेकर/छोड़कर चल देने वाले ये रिश्ते आखिर किस सुख की तलाश में भटक रहे हैं? क्या इस भटकन की कोई मंजिल है? नारी नारायणी मिथक पुरातन पड़ गया है। क्या हो गया चरित्र और नैतिकता को? मुझे ऐसा लगा पीढ़ी परिवर्तन है । क्या आदत की लाचार ये पीढ़ी, संस्कारहीन और भौतिक सुखों की लालसा से भरी हुई हैं, मृगमरीचिका बनी हुई हैं और इसी तलाश में मरेगी। वर्तमान में भारत पकिस्तान के साथ दुनिया में सुर्खियां बटोर रही दोनों ही औरतों ने पहले लव मैरिज की है, अब फिर इन्हे प्यार हो गया। न इन्हे मासूम बच्चों की परवाह है? ऐसे रिश्ते सिर्फ समाज को भटकाने का काम करते है। क्योंकि इनकी देखा-देखी और बातें आएंगी आगे। ये सब इसी को स्वतंत्रता कहते हैं। उन मासूम और बेगुनाह बच्चों पर क्या बीत रही होगी। मैं तो यही सोच सोच कर दुखी हो रहा हूं। पर वो दुखी नहीं कि 15 साल की बेटी कैसे दुनिया का सामना करेगी?

अभी पाकिस्तानी नागरिक सीमा गुलाम हैदर और भारत के सचिन की असामान्य प्रेम कहानी के उलझे तार सुलझे भी नहीं थे कि राजस्थान की अंजू और पाकिस्तानी प्रेमी नसरुल्ला की प्रेम कहानी के किस्से सुर्खियां बनने लगे। लेकिन इन हालिया प्रेम कहानियों में कई तरह के उलझे पेच भी हैं। एक तो ये रिश्ते अलग-अलग धर्मों के बीच पनपे हैं दूसरे इनमें परिवारों की कोई भूमिका नहीं रही है। अन्यथा विगत में रिश्तेदारों-पड़ोिसयों या कारोबारी संबंधों के जरिये ये प्रेम कहानियां सिरे चढ़ती रही हैं। हालिया दोनों प्रेम कहानियों में ये चीज एक जैसी है कि प्रेम सोशल मीडिया के जरिये परवान चढ़ा। हालांकि, पुरानी कहावत है कि प्रेम आंख मूंदकर होता है और उसमें तर्कों की कोई गुंजाइश नहीं होती। लेकिन हाल के दिनों में सैकड़ों ऐसे प्रकरण सामने आए हैं जिनमें सोशल मीडिया के जरिये रिश्ते गांठकर सेना, वायुसेना व नौसेना के अधिकारियों व कर्मचारियों को किसी सुंदरी के जरिये पाकिस्तान से जासूसी के लिये इस्तेमाल किया जाता रहा है।

यह गहन शोध का विषय है। हमने आजतक इस विषय को गम्भीरता से नही लिया है। आजकल की पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रही है। अंग प्रदर्शन, एशो-आराम, अवांछित स्वतंत्रता, आधुनिकता का दिखावा और अच्छे संस्कारो का अभाव और अनैतिकता और पैसे की प्रति अत्यधिक लगाव जैसी आदतें मुख्य कमजोरी बन गई है। संयुक्त परिवार की अवधारणा समाप्त होती जा रही है। लिहाज और शर्म की भावना लगभग खत्म हो गई है।

कई बार ऐसा होता है, औरतें घर छोड़कर भाग जाती हैं। कभी अकेली ही तो कभी सहारे के लिए किसी के साथ, इसलिए नहीं कि उन्हें डराती हैं जिम्मेदारियां, उन्हें डराते हैं लोग और ले जाते हैं इस हद तक, कि तिनका-तिनका जोड़ा घर ही, उन्हें बेगाना लगने लगता है। बेगानी बस्ती से ज्यादा, वो घर जिसे बार-बार, उसे अपना बताया जाता है। जन्म लेने से मरने तक, जो कभी उसका होता ही नहीं, सास बनने तक सास का शासन, बहू के आने से पहले ही,घर झिन जाने का डर, उसे हर पल सताता है। जिस घर को उसे बार-बार उसका अपना बताया जाता है। इतना तो वह सह जाती है,पर जब गांठ बांधकर, हाथ थाम कर लाने वाला ही, कब पराया हो जाता है। गांठ खोलकर आलमारी में रख देता है, और हाथ पकड़कर, किसी और का हो लेता है, तब औरत, बेगानों को छोड़कर, बेगानी बस्ती की ओर निकल जाती है।

इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर से सोशल मीडिया की सामाजिकता को लेकर बहस तेज कर दी है। हाल की दोनों घटनाओं को छोड़ भी दें तो देश में हजारों किस्से ऐसे हैं कि जिनमें सोशल मीडिया के जरिये लड़कियों से छल किया गया। उन्हें लूटा गया और उनकी हत्या तक कर दी गई। एक परिपक्व व्यक्ति के लिये सोशल मीडिया के गहरे निहितार्थ हैं। लेकिन छोटी उम्र में बहकने को भटकाव ही कहा जायेगा। वहीं वैवाहिक रिश्तों के दरकने को भारतीय समाज के लिये एक बड़ी चुनौती माना जाएगा। जो समाज में कई तरह की विकृतियों को जन्म दे सकता है। रिश्तों की पवित्रता को लेकर पश्चिमी जगत में जिस भारत की मिसाल दी जाती रही है आज वह ही रिश्तों के संक्रमण वाले दौर से गुजर रहा है।

औरते तो रोज भागती हैं। पर उनके भागने में और बॉर्डर पार शादीशुदा औरत के भागने में बड़ा फर्क है। यह एक सामाजिक त्रासदी है। उच्छृंखलता नहीं। देश के लिए प्रेम त्यागा जा सकता है। प्रेम के लिए देश नहीं। ऐसे लोगों की चर्चा भी नहीं होनी चाहिए।क्या आज की कानून व्यवस्था से वह राजा-महाराजाओ और अंग्रेजों वाला कानून में फैसलों में देरी नहीं होना दंड प्रक्रिया के अंतर्गत तुरंत सजा देकर निस्तांतरण हो जाना आज के मुकाबले बेहतर लगता है। सामाजिक‌ खाप पंचायतों/पंचो-पटैलो/मुखियाओं का विरोध विरोध हुआ उन्हें रूढ़िवादी, गैर परंपरागत, अमानवीय,और घृणित मानसिकता घोषित कर उन्हें बंद कराने के लिए कानून में महिला उत्पीडन के आधे अधूरे दावो पर कानूनो में संशोधन किया तो विसंगतिपूर्ण कानून ने महिलाओ को स्वछंद-स्वतंत्रत होने के ऐसे पंख लगा दिए गये। ‌जिसके विकृत परिणाम स्वरूप ऐसे मामले लगातार सामने आते जा रहे हैं। बिना शादी-संबंध के लड़के-लड़की एक जगह रह रहे हैं। यह व्यवस्था सामाजिक संस्थानों और संस्कृति के धज्जियां उडाने के लिए कानून जो बनाएं है यह उसकी बदहाली का एक रूप है।

– डॉo सत्यवान सौरभ,
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,01255281381

पिछला दाल बाटी और चूरमा अगला न्यूटन स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी बी.टेक. विद्यार्थियों के लिए एनसैट का फाइनल राउंड संचालित करेगा

Leave a Comment Cancel reply

Recent Posts

  • आईआईटी मंडी ने अपने एमबीए डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम के 2025-27 बैच के लिए आवेदन आमंत्रित किए
  • समाज सुधारक युग प्रवर्तक सच्चे हिंदुत्व के मसीहा कर्म योगी सभी वर्गो चहेते स्वामी विवेकानंद
  • टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने कर्नाटक में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र के साथ समझौता किया
  • आज का राशिफल व पंचांग : 11 जनवरी, 2025, शनिवार
  • इंसानों की तस्करी की त्रासदी वाला समाज कब तक?

संपादक की पसंद

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
Loading...
दखल

पिज्जा खाने से रुकी किरपा आ जाती है

December 14, 2024
दखल

पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

February 20, 2023
दखल

श्रद्धा जैसे एक और कांड से रूह कांप गयी

February 16, 2023
दखल

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

February 8, 2023
दखल

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

February 4, 2023

जरूर पढ़े

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
© 2025 • Built with GeneratePress