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एक दिन के आर्थिक विशेषज्ञ

गेस्ट राइटर
/
February 2, 2023

*ओम माथुर*
मेरा दावा है कि संसद और विधानसभाओं में बैठकर केंद्रीय और राज्य काक्षबजट सुनने वाले आधे से ज्यादा सांसदों,विधायकों एवं बजट आने के बाद इस पर प्रतिक्रिया पेलने वाले अधिकांश नेता बजट के बारे में कुछ नहीं समझते। लेकिन टीवी कैमरों के सामने सभी आर्थिक विशेषज्ञ बन जाते हैं।
प्रतिक्रिया देना आसान भी होता है। अगर आप सत्ता पक्ष के नेता-कार्यकर्ता हैं, तो बजट की तारीफ के पुल बांध दो और बजट को ऐतिहासिक, जनता को समर्पित,रोजगार बढ़ाने वाला,सभी वर्गों का हितकारी, गांव, गरीब, किसानों की चिंता करने वाला बता दो। अगर विपक्ष में हो तो बजट को दिशाहीन,जनविरोधी, मंहगाई बढाने वाला,जमीनी हकीकत से दूर बता दो। ये नेताओं की बजट पर सनातन प्रतिक्रिया होती है। जो सालों ली और दी जाती है। बजट आने वाले दिन सभी नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता एक दिन के आर्थिक विशेषज्ञ बन जाते हैं। क्या बोलना है इसके लिए पहले दो-चार राष्ट्रीय नेताओं के बयान भी सुन लिए जाते हैं और फिर उसी को आगे चला देते हैं।
अखबारों में तो और भी जोरदार बात होती है। यहां नेता रिपोर्टरों को फोन करके बजट पर प्रतिक्रिया देने की जगह इतना ही कहते हैं कि बजट प्रतिक्रिया में नाम डाल देना। उनसे पूछो प्रतिक्रिया क्या है,तो साफ बोलते हैं बजट समझता कौन हैंं। लेकिन आप अगले दिन के अखबार देखिए,नेताओं, व्यापारियों, कर्मचारी नेताओं,युवाओं, गृहणियों की प्रतिक्रियाओं व फोटो से भरे रहते हैं। कई नेता तो इतने फोकटे होते हैं कि दिन भर चाय-नाश्ते के लिए दूसरों की जेबों के भरोसे रहते हैं। लेकिन फिर भी बजट पर प्रतिक्रिया देते हैं। *9351415379*

पिछला रटे रटाये फर्जी जुमले अगला देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

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