आईये जाननेकी कोशिश करें कब कब शहीद दिवस मनाये जाते हैं | 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गांधी कीयाद में मनाया जाता है और 23 मार्च को यह दिन भारत के तीन बहादुर क्रांतिकारियों भगतसिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव की याद मेंमनाया जाता है। 23 मार्च, 1931 को इन तीनों क्रांतिकारियों को लाहौरमें फांसी दी गई थी।शहीदे आजम भगतसिंह जैसे अनोखे ही व्यक्तित्व दुनिया में कभी कभी ही अवतरित होते हैंजिन्होंने इतनी कम उम्र में ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर दिए हों कि आने वालीपीढ़ियों में सभी जाति, पंथ, वर्गों के लोग उन्हें अपना आदर्श मानकर अपने दिल में जगहदेकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हों। भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिनउनके विचार गुजरते समय के साथ और भी प्रासंगिक होते गए। स्वामी विवेकानन्द एवं महान गणितीयरामानुजन भी ऐसे ही महान व्यक्तित्वके धनी थे ,जिन्होंने अपने अल्पजीवनकाल में इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों मेंअंकित कर गये | सितंबर, 1907 को तत्कालीन पश्चिमीपंजाब के लालपुर में जन्मे भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की आयु में फांसीके फंदे को चूम कर राजगुरू व सुखदेव के साथ अपने प्राण मातृभूमि की स्वतंत्रता केलिए न्योछावर कर दिए थे। भगत सिंह को 24 मार्च1931 को फांसी दी जानी थीलेकिन उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को शाम 7.30 फांसी पर चढ़ा दियागया। फांसी के समय कहा जाता है कि भगत सिंह मुस्कुरा रहे थे और उन्होंने ब्रिटिशसरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए फांसी के फंदे को चूमा था। कुछ लोग कहते हैं कि भगतसिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें फांसी पर लटकाने की जगह गोली मार दी जाए। इसीलिए23मार्चको भगत सिंह,सुखदेवऔर राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया गया था,उनकीस्मृति में देश के कई प्रांतों में शहीद दिवस मनाया जाता है |13 जुलाई1931को कश्मीर में राजा हरि सिंह कीअंग्रेजी सैनिकों ने लोगों की हत्या कर दी थी | इस भयावह घटना चक्र में 22लोगमारे गये थे |उन22लोगोंकी याद में हर वर्ष 13जुलाईको जम्मू और कश्मीर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता हैं |शेरेहै पंजाब के नाम से प्रसिद्ध महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मृत्यु “साइमनकमीशन”केविरुद्ध के प्रदर्शन करते समय अंग्रेजी पुलिस के लाठियों के प्रहार से हो गयी थी(तब लालाजी नें कहा था मुझे मारी गई एक एक लाठी अंग्रेजों के राज्य के अंत और उनकेकैफीन पर एक एक कील का काम करेगी) | लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि को मनाने केलिये उड़िसा में शहीद दिवस के रुप में 17 नवंबर के दिन को मनायाजाता है। झांसी में (रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन) 19 नवंबर को भी शहीद दिवसके रुप में मनाया जाता है। ये उन लोगों को सम्मान देने के लिये मनाया जाता हैजिन्होंने वर्ष 1857कीक्रांति के दौरान अपने जीवन का बलिदान कर दिया। प्रतिवर्ष 21अक्टूबरको देश भर में पुलिस विभाग पुलिस शहीद ) दिवस मनाता है क्योंकि 21अक्टूबर1959कोभारत चीन सीमा पर चीनियों दुवारा अनेक पुलिसकर्मी मार डाले गये थे |शहीदकहलाने के हकदार वो ही इंसान होते हैं जो सही अर्थों में इतिहास बनाते हैं |सच्चाईयहीहै कि अत्याचारी शासक के मरते ही उसका शासन भी खत्म हो जाता है,किन्तुदूसरी तरफ शहीद के मरते ही जनमानस के हृदय में उस शहीद का शासन प्रारम्भ होजाताहै। जिन महापुरुषों ने हिंदुस्तान की आजादी और भारतवासियों के कल्याण एवंउत्थान हेतु अपने प्राणों की बलि दे दी थी उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलिदेने के लिये हमारे मुल्क में शहीद दिवस मनाया जाता है |राष्ट्रपितामहात्मा गांधी जन्म से तो बनिया थे लेकिन वो इंसानियत को ही अपना धर्म मानतेथे।बापूजी अहिंसा के पुजारी थे और अहिंसा को आजादी पाने के लिये सबसे अच्छा हथियारमानते थे। मन में सवाल उत्पन्न होता है कि भारत में 30जनवरीको क्यों शहीद दिवस मनाया जाता है ? 30 जनवरी 1948कीशाम को जब बापूजी अपनी नियत प्रार्थना सभा में जा रहे थे तब हिन्दू चरमपंथी नाथूरामगोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारकर हत्या कर दी थी तभी से महात्मा गांधी कोश्रद्धांजलि देने प्रति कृतज्ञता प्रकटकरते है । दो मिनट के बाद 11.02बजेवापस सायरन बजता है और लोग अपना काम वापस प्रारम्भ कर देता है |पिछलेकई वर्षों से तो ऐसा लगता है कि हम 30 जनवरी को शहीद दिवसकोमनाने की केवल औपचारिकता ही निभा रहे हैं | एक तरफ तो हमबापूजी के नाम की दुहाई देकरसत्ता प्राप्त करते है वहीं गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे कोसच्चा देशभक्त बतातेहुएबापूकी देश भक्तिपर सवाल उठाते हुए उन्हें कठघरें में खड़ा करने काकुत्सित प्रयास करतेहुए संसद के सदस्य तक बन जाते हैं और उनके खिलाफकोइ भी कार्यवाही नहीं की जाती है | यदा कदा बापू का उपहास भी किया जाता है | सार्वजनिक कार्यक्रमोंमें बापूजी को गाली गलोच देकर अपने को आप को गोरान्वित महसूस करते हैं|दुःखतो इस बात का है कि कुछ लोग तालिया बजा कर उनका उत्साह वर्धन करतेहैं जबकि अन्यबापू और देश भक्तों के खिलाफ अनर्गल बाते सुन कर भी मोन धारण करलेते हैं ऐसा सब कुछ होता देख करमहसूस होता है कि यह सब समय की बलिहारी ही है|
डा.जे.के.गर्ग
पूर्वसंयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर