अंर्तमन में संघर्ष फिर भी मुस्कराता चेहरा जीवंत होने की निशानी होता है। सत्य है कि यदि हम अपने किसी दुश्मन से मिलते है या किसी ने हमारे साथ धोखा दिया है उसके सम्मुख हम मुस्करा दे तो यह उसकी आत्मग्लानि के लिए काफी होता है। पत्थर की पाषाण प्रतिमा को देखकर यदि हम मुस्करा सकते है तो जीवित व्यक्ति के साथ मुस्कराने में क्या एतराज है? मुस्कराने में हमेशा पवित्रता का भाव होना चाहिए। मुस्कराहट सामने वाले व्यक्ति के लिए मनोबल वृद्धि में सहायक होनी चाहिए। मुस्कराने से हमे हमेशा सकारात्मक पहलू को ही देखने का अवसर प्राप्त होता है। किसी को अपना बनाने की शक्ति मुस्कराहट में छिपी रहती है। हम प्रात: उठकर यदि कुछ क्षण के लिए चेहरे पर मुस्कराहट के भाव से दिन की शुरूआत करे तो हमें अपेक्षित परिणाम मिलेगे। हताश और क्रोधित व्यक्ति के चेहरे का भाव ही हमारी सोच को बदल देगा ऐसे में प्रयास करे कि हमेशा मुस्कराती संगत में रहे। जीवन में हमने स्वयं ने महसूस भी किया होगा कि एक मुस्कराता व्यक्तित्व हमे हमेशा स्मरण में रहता है। प्रियजनो के साथ कृत्रिम भाव से मुस्कराने से अच्छा है अपने दोस्तो के साथ खिलखिलाते हुए मुस्कराना। नवजात शिशु की मुस्कराहट को जब भी हम देखते है तो हमें हमारा खुशनुमा अतीत स्मरण हो आता है और हम अपने सारे तनावो को भूलकर स्वयं भी शिशु के समान व्यवहार करने लगते है। इसी मुस्कुराहट को जीवन पर्यंत बना कर रखना है।
DINESH K.GARG, (positivity envoyer)
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