Skip to content
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • जनरल न्यूज
  • दखल
  • गेस्ट राइटर

केन्द्र सरकार दरगाह कमेटी व नाजिम को लेकर गंभीर नहीं

दखल
/
January 4, 2025

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की अंदरूनी व्यवस्थाओं को देखने वाली दरगाह कमेटी और उसके प्रशासनिक मुखिया नाजिम को लेकर गंभीर नहीं है। दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट के तहत गठित इस कमेटी को एक ढर्रे की तरह चलाया जा रहा है, जबकि इसमें सदस्यों से लेकर नाजिम तक की नियुक्ति में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है।
सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमेटी के प्रशासनिक मुखिया व कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति में अत्यधिक लेटलतीफी बरती जाती है। ऐसे अनेक मौके रहे हैं, जबकि नाजिम की अनुपस्थिति में कार्यवाहक नाजिम से ही काम चलाया गया है। स्थिति यह आ गई कि 813वां उर्स नाजिम व कमेटी के अभाव में संपन्न होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पेश की गई चादर के दौरान कमेटी की ओर से इस्तकबाल करने वाला कोई नहीं था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारी ने उपस्थित हो कर औपचारिकता निभाई।
सरकार की मनमर्जी देखिए कि जब अब तक यहां नौकरी कर रहे सरकारी अधिकारी की नियुक्ति का नियम है और यही परंपरा भी रही है, उसके बावजूद इस पद पर सेवानिवृत्त आईएएस को नियुक्त कर दिया जाता है। जबकि यहां पूर्णकालिक अधिकारी की जरूरत है। जरूरत इसलिए है कि यह उस दरगाह का प्रबंध देखने वाली कमेटी का प्रशासनिक मुखिया है, जो पूरी दुनिया में सूफी मत मानने वालों का सबसे बड़ा मरकज है। इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के चलते अत्यंत संवेदनशील स्थान है। आतंकियों के निशाने पर है और एक बार तो यहां बम ब्लास्ट तक हो चुका है।
बेशक प्रतिदिन आने वाले जायरीन की सुविधा के मद्देनजर सरकार गंभीर रहती है, उसके लिए बजट भी आवंटित होता है, मगर दरगाह कमेटी व नाजिम को लेकर सरकार एक ढर्रे पर ही चल रही है। वस्तुस्थिति ये है कि यह कमेटी, विशेष रूप से नाजिम न केवल दरगाह की दैनिक व्यवस्थाओं को अंजाम देते हैं, अपितु खादिमों व दरगाह दीवान के बीच आए दिन होने वाले विवाद में भी मध्यस्थ की भूमिका उन्हें निभानी होती है। यह काम कोई पूर्णकालिक अधिकारी ही कर सकता है। होना तो यह चाहिए कि इस पद पर नियुक्ति ठीक उसी तरह से की जाए, जिस तरह आरएएस व आईएएस अधिकारियों तबादला नीति के तहत की जाती है। उसमें विशेष रूप से यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वह दबंग हो। एक सेवानिवृत्त अधिकारी में कितनी ऊर्जा होती है, यह बताने की जरूरत नहीं है, जबकि यहां ऊर्जावान अधिकारी की जरूरत है। ऐसा अधिकारी ही यहां की व्यवस्थाओं को ठीक ढ़ंग से अंजाम दे सकता है।
अफसोसनाक बात है कि इस ओर केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय कत्तई गंभीर नहीं है। यही वजह है कि जब भी कोई नाजिम अपना कार्यकाल पूरा करके जाता है या इस्तीफा दे देता है तो लंबे समय तक यह पद खाली ही पड़ा रहता है। कार्यवाहक नाजिम से काम चलाया जाता है, जिसके पास न तो प्रशासनिक अनुभव होता है और न ही उतने अधिकार होते हैं।

पिछला आज का राशिफल व पंचांग : 5 जनवरी, 2025, रविवार अगला क्या मोर के आंसू से मोरनी गर्भवति होती है?

Leave a Comment Cancel reply

Recent Posts

  • आईआईटी मंडी ने अपने एमबीए डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम के 2025-27 बैच के लिए आवेदन आमंत्रित किए
  • समाज सुधारक युग प्रवर्तक सच्चे हिंदुत्व के मसीहा कर्म योगी सभी वर्गो चहेते स्वामी विवेकानंद
  • टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने कर्नाटक में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र के साथ समझौता किया
  • आज का राशिफल व पंचांग : 11 जनवरी, 2025, शनिवार
  • इंसानों की तस्करी की त्रासदी वाला समाज कब तक?

संपादक की पसंद

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
Loading...
दखल

पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

February 20, 2023
दखल

श्रद्धा जैसे एक और कांड से रूह कांप गयी

February 16, 2023
दखल

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

February 8, 2023
दखल

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

February 4, 2023
दखल

यूपी में उभर रही है त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर

February 2, 2023

जरूर पढ़े

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
© 2025 • Built with GeneratePress