जयपुर, 23 सितम्बर।
देश की श्वेत क्रांति को गति देने के लिए जीएसटी काउंसिल ने अपनी 52वीं बैठक में एक बड़ा निर्णय लेते हुए 22 सितम्बर 2025 से मोलासिस पर पूर्व घोषित 28% जीएसटी को घटाकर 5% कर दिया। इस प्रकार मोलासिस पर 23% की भारी कमी की गई थी, जिससे पशु आहार की लागत में सीधी राहत मिलने की उम्मीद थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, 100 किलो पशु आहार के निर्माण में औसतन 5 किलो मोलासिस प्रयुक्त होता है। यदि इस अनुपात में जीएसटी कटौती का लाभ दिया जाए, तो पशु आहार की दर में लगभग 2 रुपये प्रति किलो की कमी होनी चाहिए। लेकिन अब तक राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (RCDF) द्वारा प्रदेश के पशुपालकों को इस कटौती का लाभ नहीं पहुँचाया गया है।
वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 2000 मीट्रिक टन पशु आहार का उत्पादन होता है। यदि प्रति किलो 2 रुपये की कमी की जाए तो प्रतिदिन लगभग 40 लाख रुपये तथा वर्ष भर में लगभग 15 करोड़ रुपये की बचत सीधे पशुपालकों तक पहुँच सकती है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री एवं मुख्यमंत्री द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि किसी भी वस्तु पर जीएसटी में कमी का लाभ उपभोक्ता तक अवश्य पहुँचना चाहिए। इसके बावजूद, आरसीडीएफ द्वारा इस राहत को पशुपालकों तक नहीं पहुँचाया गया है।
पशुपालक संगठनों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से पशु आहार की दर स्थिर है, जबकि जीएसटी की कटौती का सीधा फायदा देने से प्रदेश के लाखों पशुपालकों को बड़ी राहत मिल सकती थी। अब पशुपालक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील कर रहे हैं कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर शीघ्र प्रभाव से पशु आहार की दरों में उचित कटौती करवाएं।