हिंदी दिवस पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किया आग्रह

राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार -साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना ‘ललकार’ पिछले चौदह वर्षों से हिंदी के संवर्धन, प्रचार-प्रसार और राष्ट्रभाषा के रूप में इसकी स्थापना के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने राजस्थान के प्रत्येक जिले और पंचायत स्तर तक जाकर जनसमर्थन एकत्र किया है।
अपने पत्र में उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई ठोस कारण प्रस्तुत किए हैं:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को पहले से ही राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
हिंदी देश की 45% से अधिक जनता की मातृभाषा है और शेष भारतीय भी इसे सहज रूप से समझते हैं।
हिंदी भारतीय संस्कृति, साहित्य और लोकजीवन की आत्मा है।
यह देश के सभी प्रांतों में संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है।
विश्व स्तर पर हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा भी निरंतर बढ़ रही है।
फ्रांस, जर्मनी, जापान, चीन और नेपाल जैसे देशों के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र ने अपनी प्रमुख भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया है, इसलिए भारत को भी हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए।
अनिल सक्सेना ‘ललकार’ ने कहा कि –
“एक राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता और सामूहिक पहचान का आधार होती है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाकर हम आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत सांस्कृतिक धरोहर देंगे।”
उन्होंने प्रधानमंत्री से निवेदन किया है कि समय की मांग को देखते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने का ऐतिहासिक निर्णय शीघ्र लिया जाए।