संगम यूनिवर्सिटी में भारतीय संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परम्परा विषय पर हुआ व्याख्यान
भीलवाड़ा। भारत में ज्ञान परंपरा वैदिक काल से चली आ रही शिक्षा प्रणाली है जिसमें भारतीय संस्कृति और साहित्य का समावेश है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा को एक पीढी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है।
यह बात मुख्य वक्ता के रूप में राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने भारतीय साहित्य, संस्कृति और ज्ञान परंपरा विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कही।
अनिल सक्सेना बुधवार को संगम यूनिवर्सिटी के सभागार में राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में यूथ मूवमेंट राजस्थान और संगम यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में छात्रों और व्याख्यताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के युवा भारतीय संस्कृति को अंगीकार करेें और किताबों से जुड़े। पूर्व में भारतीय संस्कृति में शिक्षा एक अंग हुआ करती थी और आज शिक्षा में संस्कृति का समावेश किया गया है। उन्होंने युवाओं का आहवान करते हुए कहा कि प्रण लेें कि वो सोशल मीडिया से सकारात्मक रूप में ही जुड़ेंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए रामायण और महाभारत जैसे काव्य महाग्रंथों से सीखने पर बल देते हुए गुरू-शिष्य परम्परा को समझाया।
कुलपति प्रो करुणेश सक्सेना ने कहा कि जीवन में अगर सफल होना है तो कोई भी एक अखबार जरूर पढ़े, आपके व्यक्तित्व पर उसका प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपराएं न केवल प्राचीन समय में अत्यधिक प्रभावशाली थीं, बल्कि आज के युग में भी उनका उपयोग आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को दिशा देने में किया जा सकता है। उप कुलपति प्रोफेसर मानस रंजन पाणिग्रही ने पांच दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
कुलसचिव प्रोफेसर राजीव मेहता ने बताया कि संगम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) के दौरान यह कार्यक्रम किया गया । उन्होंने बताया कि आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रणालियों को एकीकृत करना एनईपी-2020 परिप्रेक्ष्य विषय पर आधारित कार्यक्रम में एआईयू-एएडीसी (अखिल भारतीय विश्वविद्यालय शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास केंद्र) के तत्वाधान में 16 से 20 दिसंबर 2024 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर से शिक्षाविद, विशेषज्ञ और प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। यह पहल एनईपी-2020 के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर प्रीती मेहता डायरेक्टर और नोडल ऑफिसर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।