नयी दिल्ली, जून, 2023: सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में आयोजित ‘आर्कटिक की जैव विविधता के संरक्षण और निगरानी’ सत्र में प्रतिभागियों ने सुदूर उत्तर की पारिस्थितिकी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, अवलोकन व निगरानी प्रणालियों के विकास, आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और पर्यावरण से संबंधित मामलों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इस सत्र का आयोजन 2021-2023 में आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता के तहत होने वाले कार्यक्रमों के रूप में किया गया, जिनका प्रबंधन रोसकॉन्ग्रेस फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।
बैकाल झील के संरक्षण के लिए बनी रूसी ड्यूमा की उपसमिति की समन्वयक येलेना मतवेयेवा ने कहा, “आर्कटिक क्षेत्र की विशेष प्राकृतिक और जलवायु विशेषताएं, इसे नुकसान पहुंचने की आशंकाएं, इसकी जैव विविधता की विशिष्टता, और मूलनिवसियों के जीवन के लिए इसका महत्व भी इस प्राकृतिक क्षेत्र में विशेष नियामकिय ढांचे को और मजबूत करने की जरूरत को इंगित करता है। आज जलवायु परिवर्तन और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के बीच रूसी आर्कटिक में जैव विविधता के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। कानून की कुछ शाखाओं में विशेष जलवायु नियमों को शामिल करके इसे कानूनी स्तर पर हल किया जा सकता है। स्टेट ड्यूमा अभी दो प्रासंगिक नियामक कानूनी अधिनियमों पर विचार कर रहा है। एकीकृत निगरानी प्रणाली का आगे और विकास भी विशेष महत्व रखता है।”
रूस के प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण मंत्रालय के इंफॉर्मेशनल एंड एनालिटिकल सेंटर फोर प्रोटेक्टेड एरियाज की डिप्टी डाइरेक्टर ओल्गा क्रेवर ने कहा, आर्कटिक जीव-जंतुओं की 20,000 विभिन्न प्रजातियों का घर है, जो रशियन फेडरेशन की रेड बुक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। रूसी आर्कटिक में विशेष रूप से संरक्षित 40 प्राकृतिक क्षेत्र- 14 नेचर रिजर्व, 10 नेशनल पार्क और आठ वन्यजीव अभयारण्य – बनाए गए हैं, जिन्हें जैव विविधता के संरक्षण का काम सौंपा गया है। क्रेवर ने कहा कि सभी विशेष रूप से संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों में एक एकीकृत निगरानी प्रणाली तैयार करने की आवश्यकता है, जिसके लिए राज्य पर्यावरण निगरानी की एकीकृत प्रणाली के तहत ‘विशेष रूप से संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों में निगरानी’ नामक एक अलग सबसिस्टम बनाने, पर्यावरण संरक्षण पर कानून में संशोधन करने और पर्यावरण की निगरानी व बैकग्राउंड डेटा प्राप्त करने के लिए यूनिक मॉडल प्लेटफॉर्म के रूप में विशेष रूप से संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों पर विचार करने की जरूरत है।
रूस के प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण मंत्रालय के स्टेट पॉलिसी एंड रेगुलेशन इन दी डेवलपमेंट ऑफ स्पेशली प्रोटेक्टेड नेचुरल एरियाज विभाग की डाइरेक्टर इरिना मकानोवा ने कहा, “जल्द ही हम सभी अपनी गतिविधियों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन मैं आपसे यह न भूलने का अनुरोध करती हूं कि आर्कटिक क्षेत्र में विशेष रूप से संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्र आम तौर पर बहुत दुर्गम स्थानों पर स्थित हैं, इसलिए हमारे पास हमेशा ऐसी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने की भौतिक क्षमता नहीं होगी। हम इस दिशा में प्रगति कर रहे हैं: आज हम विशेष रूप से संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा के लिए परमिट प्राप्त करने की एक प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं, और इस साल हम सभी संरक्षित क्षेत्रों पर संबंधित मानव निर्मित भार की गणना शुरू करेंगे।”।
इस सत्र में विशिष्ट संगठनों के विशेषज्ञों और उच्च अक्षांशों में काम करने वाले क्षेत्रीय विभागों व कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इन विशेषज्ञों में जरुबेजनेफ्ट के व्यावसायिक, औद्योगिक एवं पर्यावरण सुरक्षा विभाग की निदेशक येलेना कोम्पासेन्को, सखा गणराज्य (याकुतिया) के पारिस्थितिकी, प्रकृति प्रबंधन एवं वानिकी मंत्री व आर्कटिक पहल केंद्र के उप महानिदेशक एवं राज्य सचिव रुस्तम रोमानेंकोव, एमएमसी नोरिल्स्क निकेल के पारिस्थितिकी व औद्योगिक सुरक्षा के उपाध्यक्ष स्टैनिस्लाव सेलेजनेव, अलास्का मरीन एक्सचेंज के मानद अध्यक्ष पॉल फुह्स और लोमोनोसोव मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में समुद्री अनुसंधान केंद्र के कार्यकारी निदेशक निकोले शबालिन शामिल रहे।
इस सत्र का आयोजन रूसी प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने किया।
‘आर्कटिक जैव विविधता के संरक्षण और निगरानी’ सत्र को एक्सपोफोरम कन्वेंशन एंड एक्जिबिशन सेंटर में मिनिस्ट्री फॉर दी डेवलपमेंट ऑफ दी रशियन फार ईस्ट एंड दी आर्कटिक के पैविलियन जी के बूथ पर आयोजित किया गया था। बूथ के बिजनेस प्रोग्राम में लगभग 15 कार्यक्रम शामिल थे। उनमें से कुछ आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता की योजना के हिस्से के रूप में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें ‘उत्तरी समुद्री मार्ग: परिणाम और योजनाएं’, ‘रूसी आर्कटिक – फोकल प्वाइंट, 21वीं सदी में संरक्षित क्षेत्र’ और ‘आर्कटिक में फिल्म निर्माण: प्रकृति और प्रौद्योगिकी के बीच एक संवाद’ जैसे सत्र शामिल हैं।