मुंबई, अप्रैल, 2023: भारत के सबसे बड़े शाखा रहित बैंकिंग और डिजिटल नेटवर्क पे नियर बाय ने घोषणा की, कि वह राजस्थान में विभिन्न ग्राम पंचायतों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए 8 जिलों में स्वयं सहायता समूहों की महिला व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी-सखियों) को शामिल करेगा। पे नियर बाय यस बैंक का एक कॉरपोरेट बीसी (बिजनेस कोरेस्पोंडेंट) है जो स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को सशक्त बनाने, उन्हें व्यवसाय प्रतिनिधि (बीसी) और ग्राहक सेवा प्रदाता (कस्टमर सर्विस प्रोवाइडर) के रूप में कार्य करने के लिए राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के साथ साझेदारी करेगा। इस प्रकार कंपनी का लक्ष्य पूरे राज्य में वित्तीय सेवाएं उपलब्ध करवाने और पहुँच में सुधार करने के लिए एक स्थायी नेटवर्क तैयार करना है। इसका उद्देश्य बीसी-सखियों को अतिरिक्त कमाई करने के लिए सक्षम बनाते हुए एसएचजी इकोसिस्टम के जरिए लेनदेन को डिजिटाइज करना भी है।
यह कदम 2023-24 के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम एक बीसी-सखी को तैनात करने की दृष्टि से सरकार के ‘एक ग्राम पंचायत, एक बीसी-सखी” मिशन के अनुरूप है। बीसी मॉडल समाज के हर वर्ग के लिए सुलभ बैंकिंग सेवाओं की कम लागत वाली डिलीवरी (लो कॉस्ट डिलिवरी) सुनिश्चित करता है। बीसी – सखी कम आय वाली महिलाओं को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने में यानी वित्तीय समावेशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं क्योंकि उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि देश भर में नागरिकों, विशेषकर महिलाओं के लिए निर्बाध बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध हैं। सामुदायिक स्तर पर अपनी विस्तृत पहुंच और प्रभाव के चलते, स्वयं सहायता समूह प्लेटफॉर्म इस काम में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
पे नियर बाय उन चुनिंदा साझेदारों में से एक है जिन्हें पूरे राजस्थान के 8 जिलों में जैसे बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ, श्री गंगानगर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और पाली के लिए शासन का आदेश आवंटित किया गया है। कंपनी बीसी सखियों को ज्ञान देने के बाद उनके कार्य कौशल को बढ़ाने का काम करेगी और उन्हें सिखाएगी कि अपने समुदायों को वित्तीय और डिजिटल सेवाएं कैसे प्रदान करें ताकि आखिरी छोर तक पहुंच बनाकर उन्हें सक्षम बनाया जा सके और परिवार की आय बढ़ाने के उपकरण भी प्रदान किए जा सकें।
पे नियर बाय के संस्थापक, एमडी और सीईओ आनंद कुमार बजाज ने विकास पर बात करते हुए कहा कि ” आम तौर पर कम आय वर्ग की महिलाएं अपने पैसे का प्रबंधन अनौपचारिक ऋण और बचत के माध्यम से करती हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि उनकी पहुँच डिजिटल और वित्तीय साधनों तक हो, जो उन्हें अपनी कमाई और बचत पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं। भारत की तरक्की के लिए हमें इस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। राजीविका राजस्थान सरकार द्वारा एक उत्कृष्ट पहल है और पे नियर बाय इस कार्यक्रम का सूत्रधार बनने और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के बेहद सम्मानित महसूस कर रहा है। यह हमारे सशक्त नारी, सशक्त समाज, सशक्त देश मिशन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी आगे बढ़ाएगा। इसके माध्यम से, महिलाएं नकदी प्रबंधन (कैश मैनेजमेंट), बचत (सेविंग्स), बैंकिंग, बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं के बारे में सीखेंगी, जो आखिरकार अंतिम छोर तक लैंगिक अंतर को कम करने में मदद करेंगी। जागरूक बैंकिंग सखियों के रूप में, ये महिलाएं भारत को एक समावेशी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और शहरी – ग्रामीण विभाजन को कम करने में मदद करेंगी। पे नियर बाय ज़िद आगे बढ़ने की!
पे नियर बाय के स्ट्रेटेजिक इनिशिएटिव्स हेड आलोक झा ने कहा, ”ग्रामीण राजस्थान में एक मजबूत एसएचजी इकोसिस्टम है। यह महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों के पास बैंक खाते हों, नियमित रूप से बचत करें, और अपने वित्तीय सशक्तिकरण के लिए अन्य वित्तीय उत्पादों (फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स) और सेवाओं को अपनाएं। राजीविका के साथ हमारी भागीदारी इसे सुनिश्चित करेगी। हम सकारात्मक हैं कि यह साझेदारी आखिरी छोर तक औपचारिक वित्तीय सेवाएं अपनाने को प्रोत्साहित करेगी। हम बीसी-सखियों की क्षमताओं को मजबूत करना, उनकी आय बढ़ाने में मदद करना, ग्रामीण राजस्थान में कैश लाइट एसएचजी इकोसिस्टम बनाने में मदद करना और धीरे-धीरे भारत को एक समावेशी और मजबूत राष्ट्र बनाना चाहते हैं।
राजीविका के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हरदीप सिंह चोपड़ा ने कहा, अंतिम मील तक समावेशी और निरंतर विकास के लिए बीसी-सखियां वंचित नागरिकों को बैंकिंग समाधान प्रदान करने में एक उद्यमी भूमिका निभाती हैं। वित्तीय समावेशन के घुमाव में इन महिलाओं को ऊपर लाना हमारा लक्ष्य है, जो परिणामस्वरूप ग्रामीण राजस्थान में हजारों परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं। पे नियर बाय के साथ हमारा जुड़ाव इसमें अधिक मूल्य जोड़ देगा क्योंकि ये बीसी सखियां राज्य के सबसे दूरस्थ गांवों और कस्बों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को वित्तीय और डिजिटल लेनदेन से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।