संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 दिसंबर से विश्व ध्यान दिवस मनाने की घोषणा एक ऐतिहासिक कदम है।
दरअसल मेडिटेशन या ध्यान को सदियों से केवल आध्यात्म से जोड़ कर देखा जाता था। लेकिन आज विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि मेडिटेशन का सकारात्मक प्रभाव केवल मानव के मन या मस्तिष्क ही नहीं उसके तन पर भी पड़ता है।
इसलिए 21 जून को योग दिवस मनाए जाने के बाद सम्पूर्ण विश्व में अब 21 दिसंबर को ध्यान दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य योग की ही भांति ध्यान को जन-जन तक पहुंचाना और इसे मानव जीवन के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करके एक स्वस्थ विश्व की नींव मजबूत करना है।
वस्तुतः वर्तमान युग में जब मनुष्य तेजी से भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए विवश है, ध्यान उसके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने का एक सहज, सरल प्राकृतिक साधन बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आज वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गई हैं। वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 280 मिलियन लोग मानसिक रूप से पीड़ित हैं और 40% युवा तनाव और मानसिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। खास बात यह है कि ध्यान, एक साधारण लेकिन शक्तिशाली प्रक्रिया, इन समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकती है। अध्ययनों ने यह सिद्ध किया है कि ध्यान मस्तिष्क में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे सकारात्मक रसायनों के स्तर को बढ़ाता है, जो तनाव को कम करते हैं और मूड को स्थिर रखते हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, केवल आठ सप्ताह के ध्यान अभ्यास से मस्तिष्क के ग्रे मैटर में वृद्धि देखी गई, जो सीखने, याददाश्त और भावनात्मक विनियमन में सहायक है।
इस प्रकार विभिन्न शोधों में यह बात वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध हो चुकी है कि ध्यान केवल मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति का साधन नहीं है, बल्कि नियमित रूप से इसका अभ्यास उसके जीवन के हर पहलू को समृद्ध कर सकता है।
ध्यान के वैज्ञानिक आधार को समझने के लिए न्यूरोसाइंस में किए गए शोधों पर ध्यान देना आवश्यक है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अन्य अध्ययन में यह पाया गया कि नियमित ध्यान मस्तिष्क के अमिगडाला (जो भय और तनाव का केंद्र है) की गतिविधि को कम करता है, जिससे व्यक्ति तनावपूर्ण स्थितियों में भी शांत और संतुलित बना रहता है।
ध्यान के इन वैज्ञानिक लाभों को अब विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है। कई अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र अब ध्यान को मानसिक स्वास्थ्य उपचार का हिस्सा बना रहे हैं। कैंसर, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए ध्यान को सहायक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल साइकॉलजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि ध्यान से न केवल मरीजों के दर्द की अनुभूति कम होती है, बल्कि उनमें इलाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित होता है।
ध्यान का प्रभाव केवल मानसिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है। शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान के प्रभाव को भी अब व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, ध्यान नियमित रूप से करने से हृदय की गति और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम 30% तक कम हो सकता है। इसके अलावा, ध्यान प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम बनता है।
इतना ही नहीं रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि ध्यान का प्रभाव केवल व्यक्तिगत स्तर पर सीमित नहीं होता। जब एक व्यक्ति ध्यान करता है, तो वह अपनी आंतरिक ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में केंद्रित करता है, जिसका असर उसके आस-पास के वातावरण पर भी पड़ता है। कई अध्ययनों ने यह साबित किया है कि सामूहिक ध्यान के दौरान अपराध दर में गिरावट, सामाजिक सौहार्द में वृद्धि और पर्यावरणीय सामंजस्य जैसे सकारात्मक परिवर्तन देखे गए हैं। 1993 में वाशिंगटन डी.सी. में किए गए एक शोध में पाया गया कि सामूहिक ध्यान के दौरान शहर में अपराध दर में 23% की गिरावट आई।
मेडिटेशन जैसे एक सरल माध्यम से मानवीय आचरण में इस प्रकार के मूलभूत बदलाव इसकी वैज्ञानिकता (मनोवैज्ञानिकता) का प्रमाण है।
मेडिटेशन के इन्हीं सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए आज कॉर्पोरेट कल्चर वाली कई मल्टिनैशनल कंपनियां अब ध्यान को अपनी कार्य संस्कृति में शामिल कर रही हैं। गूगल, एप्पल, और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रमुख कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए नियमित ध्यान सत्र आयोजित कर रही हैं।
आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में हमारे बच्चे भी पढ़ाई में अपने प्रदर्शन को लेकर तनाव में रहते हैं। अध्ययन बताते हैं कि जो छात्र नियमित रूप से ध्यान करते हैं, उनकी एकाग्रता, स्मरणशक्ति और भावनात्मक संतुलन में सुधार होता है। भारतीय विद्यालयों में किए गए एक पायलट प्रोजेक्ट में पाया गया कि ध्यान के नियमित अभ्यास से बच्चों की परीक्षा में प्रदर्शन में 20% तक सुधार हुआ।
हालांकि, ध्यान के महत्व को समझने और इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। अभी भी दुनिया की 60% से अधिक आबादी ध्यान के लाभों और इसकी प्रक्रिया से अनभिज्ञ है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व ध्यान दिवस मनाने का यह निर्णय निश्चित ही वैश्विक स्तर पर लोगों में मेडिटेशन के फायदों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। निस्संदेह यह प्रयास एक स्वस्थ एवं समर्द्ध विश्व की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है ।
डॉ नीलम महेंद्र
लेखिका वरिष्ठ स्तम्भकार हैं