रक्षाबंधन का अर्थ है किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इसीलिए इस पर्व पर राखी बांधते समय बहन कहती है ‘हे भैया! मैं तुम्हारी शरण में हूँ, मेरी सब प्रकार से रक्षा करना।’ फलस्वरूप भाई भी अपनी बहन को जीवन पर्यन्त रक्षा करने का वचन देते हैं।
भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही प्रमुख है और रक्षाबंधन इसी विश्वास का बन्धन है। इस पर्व पर बहिन के राखी बांधने पर मात्र रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। पहले रक्षाबंधन बहन-भाई तक ही सीमित नहीं था, अपितु आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिये किसी को भी रक्षा-सूत्र बांधा या भेजा जाता था।भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि- ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’- अर्थात ‘सूत्र’ अविच्छिन्नता का प्रतीक है, क्योंकि रक्षा के बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है।माला के मणियों की तरह रक्षा-सूत्र भी लोगों को जोड़ता है।
गीता में भी लिखा गया है कि जब संसार में नैतिक मूल्यों में कमी आने लगती है, तब ज्योतिर्लिंग भगवान शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा धरती पर पवित्र धागे भेजते हैं, जिन्हें बहनें मंगलकामना करते हुए भाइयों की कलाई पर बाँधती हैं और भगवान शिव उन्हें नकारात्मक विचारों से दूर रखते हुए दु:ख और पीड़ा से निजात दिलाते हैं।
जन्मों का ये बंधन है,स्नेह और विश्वास का..और भी गहरा हो जाता है ये रिश्ता..जब बंधता है धागा रक्लोग पिछली कडुवाहटों को भूलकर आपसी प्रेम को महत्त्व देने लगते हैं ।
एक बार देवताओं और असुरों में भयंकर युद्ध छिड़ा हुआ था। लगातार 12 साल तक युद्ध चलता रहा और अंतत: असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। इतना ही नहीं देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को भी जीत लिया। इसके बाद इंद्र देवताओं के गुरु, ग्रह बृहस्पति के पास के गये और सलाह मां
बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने को कहा। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि जिन्हें इंद्राणी भी कहा जाता है ने इस रक्षा पोटली के देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए
रक्षा बंधन को जन चेतना सामाजिक सद्दभाव और सामाजिक क्रांति के माध्यम के रूप में मनाये
भौतिकवाद टीवी मोबाइल सोशियल मीडिया के अत्याधिक उपयोग या दुरुपयोग के माहोल के अंदर समूचे देश के अंदर बलात्कार,अपहरण,योनाचार एवं स्त्री सुरक्षा-अस्मिता को बनाये रकने के लिये कठोर कानून भी बनाये गये और उनमें म्रत्यु दंड तक की सजा भी रखी गयी इन सब कोशिशों के बावजूद बलात्कार,अपहरण जैसी नारकीय घटनाओं में कोई कमी नहीं आई वरन ऐसी घटनायें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही रही | सच्चाई यही है कि ऐसी अमानवीय घटनाओं को कानून,पुलिस या सरकार के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है| हमारे देश के लिये कलंक बन चुकी इन विभत्स घटनाओं को रोकने का एकमात्र रास्ता जन जागृति,जन अभियान,जन चेतना और सामाजिक चेतना ही है | समाज के युवाओं को रोजगार देने के साथ साथ उनमें उनमें नैतिकता के संस्कार में वृद्धि करने की जरूरत है |
समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि“भैया,जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैं वैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने सच्चे मन में यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्ण दृष्टि से ही देखोगे | अगर आप मुझसे यह वादा करते हो तब ही में आपकी कलाई पर राखी बांधूगी | मुझे यह वचन दें कि आप नारी की अस्मिता के रक्षा करेगें |
रक्षा बंधन को जन चेतना सामाजिक सद्दभाव और सामाजिक क्रांति का माध्यम के रूप में मनाये जाने पर भारतियों के मन के अंदर धीमें ही सही एक न एक दिन नारीयों के लिये सम्मान की भावना पनपेगी |
रक्षा बंधन को बहन बेटियों के सुरक्षा दिवस के रूप में मनाये जाने पर उनके अंदर की अमानुषिक भावनाये भी धीमें धीमें खत्म हो जायेगी इससे देश के अंदर सामाजिक जन क्रांति जरुर आयेगी |
कुछ समय बाद हम देखेगें कि भारत के पुरुष समाज में बहन बेटी , महिला में अपनी सगी बहन को छवी को देखेगा तब उसके मन में उपजी कलुषित विचार और सोच नष्ट ओ जायेगी | जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवायेगी तो अवश्य ही वो समय धीमें धीमें ही सही निसंदेह आयेगा यह सोच कानून से ज्यादा प्रभावी होगी | ek समय अवश्य आयेगा जब आदमी के दिल में दानवी कलुषित अमानुषिक विचारों की जगह राम राज्य स्थापित होगा जिसके फलस्वरूप देश की हर माता-बहनें एवं बेटियां सुरक्षित रहेगीं एवँ देश को बलात्कार अपहरण योनाचार जैसी अमानवीय घटनाओं से छुटकारा मिल जायेया | वो दिन बहुत दूर नहीं होगा जब भविष्य में अपहरण,यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित ही नहीं होगीं | देश के अंदर राखी को सामाजिक क्रांति का माध्यम बनाने के लिये हम सभी का पुनीत कर्तव्य है कि इन भावनाओं को अपने स्तर पर फेसबुक,,,ट्विटर,सोशल मिडीया,,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम,, ,लोकल चेनल्स,, ,स्वयं सेवी संस्थाओं , स्कूलों,कॉलेजों,धार्मिक आयोजनों,सामाजिक आयोजनों पर प्रचारित और प्रसारित करें| धार्मिक नेताओं साधू संतों से भी अनुरोध करें कि वे भी इसका प्रसार करें |इस संदेश का ऑडियो बनाये,वीडियो बनाकर यूटूयुब पर अपलोड करें,पारस्परिक वार्तालाप करें|स्थानीय प्रशासन से सहयोग लें|राज्य सरकारों और केन्सेद्रीय सरकार से भी अनुरोध करें कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं में परिपत्र भेज कर इस वर्ष 30 अगस्त 2023 को मनाये जाने वाले रक्षा बंधन पर्व को पर बहन बेटियों के सुरक्षा दिवस के रूप में मनायें
रक्षाबंधन को मनाएं बुजर्गो के सुरखा कवच के रूप में
गुरु शिष्य को रक्षासूत्र बाँधता है तो शिष्य गुरु को। भारत में प्राचीन काल में जब स्नातक अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात गुरुकुल से विदा लेता था तो वह आचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसे रक्षासूत्र बाँधता था जबकि आचार्य अपने विद्यार्थी को इस कामना के साथ रक्षासूत्र बाँधता था कि उसने जो ज्ञान प्राप्त किया है वह अपने भावी जीवन में उसका समुचित ढंग से प्रयोग करे ताकि वह अपने ज्ञान के साथ-साथ आचार्य की गरिमा की रक्षा करने में भी सफल हो। राखी को मनाये बुजुर्गों के सम्मान एवं के सुरक्षा दिवस के रूप में पिछले कई सालों मे हमरे देश , में जब हम समर्द्ध परिवार बुजुर्ग माताओं-पिताओं को अपना शेष जीवन जीने के लिये वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते हैं तो उस समय हम सभी के दिल में दुःख और विषाद उत्पन्न होता है एवं ह्रदय कराह उठता है| इस समस्या का समाधान करने और माता-पिता के बुढ़ापे को सुखद बनाने हेतु हम रक्षा बंधन के पर्व का बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं | रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक पुत्र-पुत्री, परिवार के सभी अनुज परिजन अपने अपने माता-पिता , नाना नानी, दादा दादी, अंकल आंटी और समस्त गुरुजनों आचार्यों और अग्रजो की कलाई पर राखी बांध कर यह शपथ लें कि वें अपने माता पिता और परिवार के सभी बड़े-बूढ़े यथा माता-पिता, दादा-दादी,नाना-नानी आदि की सभी तरह से देख भाल करेगें,उनकी समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल रखेंगे एवं उनके प्रति हर प्रकार के दायित्वों का निर्वाह निष्ठा पूर्वक करते हुए उनकी सेवा सुश्रुषा करेगें जिससे उनका शेष जीवन निर्विघ्न एवं सुखद बनें| यही शपथ एवं प्रण परिवार के बुजेगों का सुरक्षा कवच बनेगा | राखी पर उनको भरोसा दें कि उनके बुढ़ापे में वे उनकी पुरी तरह से देखभाल और सेवा करेगें एवँ कभी भी उनको अकेला नहीं छोढ़ेगें |अतः आइये इस रक्षाबन्धन के पर्व पर बुजर्गों को सुरक्षा कवच प्रदान करेगें | आईये हम सभी । एक दूसरे को रक्षा सूत्र में बांधे एवं राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प भी करें| यदि आप इन विचारों से सहमति रखते हैं तो अपने आस पास के सभी लोगों तक ईस मेसेज को पहुचायें और राखी को सामाजिक जागरण और परस्पर सामाजिक सद्दभाव और सामाजिक क्रांति का माध्यम के रूप में मनाये |
डा जे के गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर