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ईसाई धर्म के अनुयायी के शोक अवसाद का पर्व गुड फ्राइडे एवं दीपावली समकक्ष पर्व ईस्टर

गेस्ट राइटर
/
April 5, 2023

गुड फ्राइडे
भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग परस्परस्नेह पूर्ण तरीके से रहते हुए अपनी मान्यताओं का पालन करते वहीं पर दुसरे धर्मोंकी मान्यताओं का भी सम्मान करते है | हमारा भारत विभिन्न धर्मों, संस्क्रति और भाषाओं का अद्भुत राष्ट्र है | हमारा देश विभिन्नता में एकता की अनूठी मिशाल है| हमारे संविधान के मुताबिक़ भारत पन्थ निरपेक्ष राष्ट्र हव | भारत के संविधान मे सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकारप्राप्त है | हर जाति और धर्म केलोग अपने, त्यौहार अपने अपने तरीके से मनाते है |

j k garg
गुड फ्राइडे व ईस्टर क्रिश्चियन धर्मको मानने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है | ईसाई धर्म की मान्यताओं केमुताबिक गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु मसीह के सूली पर टाकने और दफन होने कीदुखद घटना घटित हुई थी | कहा जाता है कि प्रभु यीशु नेबहुत कठिन उपवास किये, त्याग व आत्म बलिदान दिया और मानव मात्र को प्रेम स्नेह एवँ भाईचारे का पाठ पढाया था | गुड फ्राइडे के दिन लोग यीशु मसीह की शिक्षाओं का उसी का अनुसरण करते हुए उनके इस बलिदान को याद करते हुवे और उनके लिये उपवास रखते है | यीशु को मानवता की खातिर क्रूस परचढ़ाया गया था | गुड फ्राइडेके दिन प्रभु यीशु के इस बलिदान को ध्यान मे रख कर उन्हें याद किया जाता है | ईसाई धर्म को माननेवाले काले कपडेपहन कर चर्च जाते है, इस दिन कैंडल नही जलाई जाती है | सभी अपने-अपने हिसाब से प्रभु ईशु मसीह को याद करते है | कोई बीजारोपण करता है, कोई प्राथनाएं करता है , कोई प्रभु ईशु मसीह की किताब पढता है| इसके अलावा भी लोग कुछ ना कुछ करकेगुड फ्राईडे के दिन प्रभु ईशु मसीह को समर्पित करते है | गुड फ्राइडे एक तरह का शोक कादिन है, यह तीसरे पहर मे चर्च मे मनाया जाता है क्योंकि, कहा जाता यीशु केप्राण, तीन बजे के आस-पास निकले थे | यह तीन घंटे तक मनाया जाता है, इसमें प्रभु ईशुमसीह के लिए प्राथनाएं करके उन्हें याद किया जाता है | गुड फ्राईडे 07 अप्रेल 2023 को मसीह समाजदूवारा मनाया जायेगा |

मसीह समाज का दीपावली समकक्ष पर्व ईस्टर
ईस्टर से पहले आने वाले सप्ताह को ईसाई पवित्र सप्ताह मानते है।

ईस्टर मे, अंडे का बहुत महत्व है क्योंकि, जिस प्रकार चिड़िया सबसे पहले, अपने घोसले मे अंडा देती है. उसके बाद उसमे से, चूजा निकलता है उसी प्रकार, यहा अंडे को एक शुभ स्मारक माना जाता है क्योंकि अंडा अपनी जड़ता को तोड़ करके एक नये प्राणी को जन्म देता है | वास्तव के अंदर ईस्टर का संदेश है कि जो जड़ता को तोड़े, वही -है असली जीवन होता है | ईस्टर पर लोग अण्डों पर विभिन्न रंगो में कलाक्रति एवँ च्त्र्कारी करके अपने स्वजनों मित्रों को उपहार के रूप में भेट करते है | ईसाई लोग चर्च गिरजा घर जाकर प्राथ्नाप्राथ्ना करके माँ बत्तियां जलाते है | ईस्टर की दिन अपनी दुश्मनी को मिटा कर एक दूसरों से गले मिलते हैं ईसाईयों का मानना है कि जिस प्रकार अंडें में से नया जीव जन्म लेता उसी तर ईस्टर के दिन वे परस्पर ईष्ट मित्रों और परिजनों को नये सुखमय स्वस्थ जीवन को जीने की शुभ कामनाएं देते हैं |कही पर अण्डों पर चित्रकारी करके, कही दुसरे रूप मे सजा कर, उपहार के रूप मे परस्पर एक दूसरे को दिया जाता है | सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स , कार्ड, चोकलेट, केक देकर परस्पर शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ देते हैं | सुबह से शाम तक पार्टी चलती है ईस्टर मे जिसमे, पारंपरिक लोकप्रिय लंच-डिनर होता है | निसंदेह मसीह समाज जे लिये ईस्टर का वो ही महत्व जो हिन्दुओं के लिये दीपावली का होताहै | दीपावली के दिन प्रभु राम का 14 साल के वनवास के बाद अपने घर अयोध्या में प्रवेश हुआ था | इसी तरह शूली पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद प्रभु यीशु मसीह ईस्टर पर पुन अवतरित हुए थे | भारत मे मुख्य रूप से मुंबई , गोवा और पूरे भारत मे जहा भी अधिकतर क्रिश्चियन लोग निवास करते है वहां पर चर्च को विशेष रूप से, सजाया जाता है | कनाड़ा में विश्व की सबसे बड़ी ईस्टर एग्ग की साइट है | पश्चिमी ईसाई धर्म के लोग ईस्टर सीज़न के दौरान “ऐश वेड्नस्डे” को उपवास रखना शुरू करते हैं और ईस्टर संडे को अपने उपवास का अंत करते हैं। मसीह समाज का दीपावली समकक्ष पर्व ईस्टर ईसाई धर्म को मानने वालों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु मसीह को सूली पर लटका दिया गया था किंतु यीशु मसीह मात्र तीन दिन बाद पुनर्जीवित हो गये थे। इसी दिन को ईसाई समुदाय दुनिया भर में ईस्टर दिवस के रूप में मनाते हैं। ईस्टर साधारणतया संडे यानी रविवार के दिन ही मनाया जाता है। इस वर्ष ईस्टर 17अप्रेल 2022 रविवार को मनाया जाएगा | ईसाई धर्म को मानने वालों के लिये ईस्टर अत्याधिक महत्त्वपूर्ण और पवित्र दिन होता है क्योंकि इसी दिन यीशु मसीह पुनर्जीवित होने के साथ जीवन की आशा एवँ प्रभु ईसा मसीह के प्रति विश्वास का प्रतीक है ।

ईस्टर का पर्व साल के किसी निश्चित दिन को नहीं मनाया जाता बल्कि इसकी तारीख हर साल साधारणतया बदलती रहती है। ईस्टर को 40 दिनों तक मनाया जाता है | क्योंकि मान्यता के मुताबिक प्रभु यीशु मसीह एस पावन धरती पर लगभग चालीस दिनों तक रहे और उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेम सद्दभाव का पाठ पढाया |, इस दौरान सभी ईसाई उपवास, प्रार्थना करते है और अपनी गलतियों के लिये प्रायश्चित करते हैं। ईस्टर से पहले आने वाले सप्ताह को ईसाई पवित्र सप्ताह मानते है। ईस्टर मे, अंडे का बहुत महत्व है क्योंकि, जिस प्रकार चिड़िया सबसे पहले, अपने घोसले मे अंडा देती है. उसके बाद उसमे से, चूजा निकलता है उसी प्रकार, यहा अंडे को एक शुभ स्मारक माना जाता है क्योंकि अंडा अपनी जड़ता को तोड़ करके एक नये प्राणी को जन्म देता है | वास्तव के अंदर ईस्टर का संदेश है कि जो जड़ता को तोड़े, वही -है असली जीवन होता है | ईस्टर पर लोग अण्डों पर विभिन्न रंगो में कलाक्रति एवँ च्त्र्कारी करके अपने स्वजनों मित्रों को उपहार के रूप में भेट करते है | ईसाई लोग चर्च गिरजा घर जाकर प्राथ्नाप्राथ्ना करके माँ बत्तियां जलाते है | ईस्टर की दिन अपनी दुश्मनी को मिटा कर एक दूसरों से गले मिलते हैं | है ईसाईयों का मानना है कि जिस प्रकार अंडें में से नया जीव जन्म लेता उसी तर ईस्टर के दिन वे परस्पर ईष्ट मित्रों और परिजनों को नये सुखमय स्वस्थ जीवन को जीने की शुभ कामनाएं देते हैं |कही पर अण्डों पर चित्रकारी करके, कही दुसरे रूप मे सजा कर, उपहार के रूप मे परस्पर एक दूसरे को दिया जाता है | सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स , कार्ड, चोकलेट, केक देकर परस्पर शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ देते हैं | सुबह से शाम तक पार्टी चलती है ईस्टर मे जिसमे, पारंपरिक लोकप्रिय लंच-डिनर होता है | निसंदेह मसीह समाज जे लिये ईस्टर का वो ही महत्व जो हिन्दुओं के लिये दीपावली का होताहै | दीपावली के दिन प्रभु राम का 14 साल के वनवास के बाद अपने घर अयोध्या में प्रवेश हुआ था | इसी तरह शूली पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद प्रभु यीशु मसीह ईस्टर पर पुन अवतरित हुए थे | भारत मे मुख्य रूप से मुंबई , गोवा और पूरे भारत मे जहा भी अधिकतर क्रिश्चियन लोग निवास करते है वहां पर चर्च को विशेष रूप से, सजाया जाता है | कनाड़ा में विश्व की सबसे बड़ी ईस्टर एग्ग की साइट है | पश्चिमी ईसाई धर्म के लोग ईस्टर सीज़न के दौरान “ऐश वेड्नस्डे” को उपवास रखना शुरू करते हैं और ईस्टर संडे को अपने उपवास का अंत करते हैं। भारत मे ही नही बल्कि, संपूर्ण विश्व मे जहा गुड फ्राइडे को शांति से बनाते है वही ईस्टर को हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाते हैं | संसार के सभी देशों में रविवार 9 अप्रैल 2023 को मनाएंगे |

डा जे के गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक जयपुर

पिछला रीन्यूएबल एनर्जी वर्कफोर्स को प्रशिक्षित करने के लिए एनएसडीसी और फेनिस एनर्जी की साझेदारी अगला सत्य और अहिंसा दुनिया के लिए संदेश (महावीर जयंती विशेष)

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