कम्प्यूटर, एंड्रॉयड, लैपटॉप आदि पर गेमिंग (खेल खिलाना) आज अरबों-खरबों का कारोबार हो चुका है। एंड्रॉयड मोबाइल फोन तो आज कमोबेश हर व्यक्ति के हाथ में नजर आता है। एंड्रॉयड की व सस्ते इंटरनेट की उपलब्धता से आज हमारे बच्चों में विडियो गेमिंग की लत पड़ चुकी है। बच्चे ही नहीं आज हमारे देश के बुजुर्ग तक भी इस लत से अछूते नहीं हैं। कम्प्यूटर तो कम्प्यूटर आज एंड्रॉयड फोन(स्मार्टफोन) पर लगातार गेमिंग का क्रेज़ बढ़ता चला जा रहा है और आज कम्प्यूटर के साथ ही एंड्रॉयड फोन पर गेम खेलना एक फैशन बन गया है। आदमी थोड़ा सा भी कहीं फ्री हुआ नहीं कि गेम खेलना शुरू। घर तो घर, आफिस हो या बस, ट्रेन हो या मेट्रो फुरसत के पलों में आज बच्चों से लेकर युवा पीढ़ी, बुजुर्ग सभी गेमिंग लत में फंस चुके हैं और इससे गेमिंग के धंधे में लगी कंपनियों की पौ बारह हो रही है और वे अरबों रुपये इस धंधे से कमा रहे हैं। आज अखबारों में इन गेम्स के बड़े बड़े विज्ञापन तक भी प्रकाशित किए जाने लगे हैं। वर्चुअल युग में गेमिंग मार्केट लगातार परवान पर है। आज नये नये विडिओ गेम्स बाजार में आ गए हैं। इन गेम्स में ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है जो लोगों को खूब भा रही हैं। इसमें आदमी अपनी फोटो या अपनी सेल्फी के जरिए गेम्स में किसी भी करेक्टर (पात्र) का रोल निभा सकता है अथवा उनका रूप धारण कर सकता है। अकेले भारत की गेमिंग इंडस्ट्री कई मिलियन डॉलर में पहुंच चुकी है। इन गेम्स के डेवलपमेंट में ए.आई. यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस(कृत्रिम बुद्धि) और ऑगमेंटेड रियलिटी का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। आज गेम डिजायनिंग के कोर्सेज तक आने लगे हैं। गेम डेवलपर्स को अच्छा सैलेरी पैकेज दिया जा रहा है, क्यों कि इस क्षेत्र में कमाई बहुत अच्छी है। आज अलग अलग प्लैटफॉर्म के अलग अलग वर्जन तैयार किए जा रहे हैं। भारत की गिनती आज विश्व के सबसे युवा देश के रूप में होती है और हमारे यहाँ पचपन से साठ करोड़ की आबादी केवल युवाओं की है, और चूंकि भारत की आबादी में युवाओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा है, सो इस संभावित बाजार को देखते हुए वीडियो गेम व विभिन्न सॉफ्टवेयरों से जुड़ी बड़ी विदेशी कंपनियां हमारे यहां अपने बिजनेस का लगातार विस्तार करती चली जा रही हैं। आज विभिन्न कंपनियों का गेम की डिजाइनिंग के अलावा गेम्स के कॉन्सेप्ट, स्टोरी राइटिंग, कोडिंग, प्रोग्रामिंग जैसे कार्यों पर लगातार फोकस है, इस दिशा में बहुत ज्यादा कार्य किया जा रहा है। बहरहाल, यहाँ जानकारी देना उचित होगा कि कोरोना महामारी के दौरान् जब देश की हर इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित हुईं थी, उस समय गेमिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ में तेजी से बहार आई थी और गेमिंग इंडस्ट्री आसमान को छू रही थी।आज भी गेमिंग इंडस्ट्री अपने बूम पर है।भारत अब डाउनलोड के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल गेम बाजार है। जब स्मार्टफोन गेम्स पर उपभोक्ता खर्च की बात आती है तो अमेरिका सबसे ऊपर है। आज पबजी मोबाइल, ऑनर ऑफ किंग्स, अमंग अस, कैंडी क्रस सागा, रोबलॉक्स, फ्री-फायर, लुडो किंग, गेम फॉर पीस, माइनक्राफ्ट पॉकेट एडिशन और कॉल ऑफ ड्यूटी:मोबाइल जैसै गेम्स को एंड्रॉइड और आईफोन यूजर्स ने साल 2021 के पहले छह महीनों में सबसे ज्यादा खेला है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत का घरेलू आनलाइन गेमिंग उद्योग 2016 में अनुमानित 29 करोड़ डालर का था। एक अनुमान के मुताबिक यह उद्योग 2024 तक 370 करोड़ डालर होने का अनुमान है। कोरोना महामारी के कारण गेमिंग उपभोक्ताओं की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। भारत की नई शिक्षा नीति में औपचारिक शिक्षा को और अधिक सुलभ व रोचक बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों पर जोर दिया गया है। इससे बच्चों ने शिक्षा के साथ ही गेम्स को भी सीखने/खेलने पर जोर दिया और यही कारण है कि आज भारत में लगातार गेमिंग का बाजार बढ़ता चला जा रहा है। कोरोना के दौरान् लोगों का घरों से निकलना बंद हो गया, इससे लोगों का वर्चुअल गेम्स के प्रति रूझान पैदा हुआ।कोरोनामहामारी(कोविड-19) के दौरान ऑनलाइन गैम्बलिंग या ऑनलाइन सट्टे का क्रेज भी काफी बढ़ा है।आज भारत में भी ऑनलाइन सट्टे का बाजार तेजी से फल-फूल रहा है। आज भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में फैंटेसी क्रिकेट, ऑनलाइन रमी, पोकर, तीन पत्ती गेम, फेयर प्ले जैसे न जाने कितने गैम्बलिंग प्लेटफॉर्म एक्टिव हैं, जो धड़ाधड़ पैसा कमा रहे हैं और युवा पीढ़ी इनमें लगातार उलझती चली जा रही है। जब भारत में कोविड आया। कोविड महामारी ने भारत में सट्टेबाजी युक्त ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा दिया।विश्लेषकों के अनुसार, भुगतान से जुड़े गेमिंग बाजार में 2.4 करोड़ अथवा 24 मिलियन से अधिक भारतीय जुड़ गए हैं, यह आश्चर्यजनक है। वास्तव में,
स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने गेमिंग उद्योग के विकास को गति दी है। ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े ज्यादातर गेम स्मार्टफोन पर ही खेले जाते हैं। आज देश के घर-घर में किफायती इंटरनेट की पहुंच है, यही कारण है कि गेमिंग का धंधा धड़ल्ले से फलता फूलता चला जा रहा है। एक आंकड़़े के अनुसार वर्ष 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स थे और साल 2021 में इनकी संख्या लगभग 39 करोड़ (390 मिलियन) थी। गौरतलब है कि भारतीय ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से फल-फूल रही है और एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक इसके 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि सरकार ने वर्ष 2030 तक गेमिंग इंडस्ट्री को 100 बिलियन डॉलर तक का लक्ष्य रखा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 1.2 बिलियन डॉलर के गेमिंग मार्केट में भारत की साझेदारी 28 फीसदी है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में देश में 50.7 करोड़ गेमर्स थे, जिसमें से 12 करोड़ गेमर्स ऐसे हैं जो गेम के लिए पैसे का भी भुगतान करते हैं। वर्ष 2022 के अंत में भारत के गेमिंग मार्केट में 2.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया था और आज तो यह संख्या और भी ज्यादा हो चुकी है। जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में (कुछ समय पूर्व ही) वार्नर ब्रदर्स हैरी पॉटर के नये टाइटल ने मात्र एक पखवाड़े की अवधि में ही सात हजार करोड़ रुपये कमा लिए। और अब एक अनुमान लगाया जा रहा है कि उपभोक्ता इस बार (इस वर्ष) गेम्स पर 15.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे। बताया जा रहा है कि यह खर्च सिनेमा देखने पर होने वाले खर्च से पांच गुना और नेटफ्लिक्स जैसी स्ट्रीमिंग से सत्तर प्रतिशत अधिक होगा। वास्तव में यदि यह आंकडा थोड़ा और बढ़ता है तो आने वाले समय में इससे सिनेमा के साथ साथ ही सोशल मीडिया के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी, जैसा कि विडियो गेमिंग सोशल मीडिया और फिल्मों में भी लगातार पॉपुलर होती चली जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण व खास होने के साथ ही आश्चर्यचकित कर देने बात तो यह है कि आज बच्चे और युवा पीढ़ी ही नहीं अपितु बुजुर्ग लोग भी इन विडियो गेम्स में लगातार रुचि दिखा रहे हैं। आज बुजुर्ग गेमिंग में अपना समय गुजारते हैं और गेमिंग उनके लिए एक साथी की तरह हो गया है। आज दुनिया के विभिन्न देशों में मोबाइल फोन और टेबलेट पर गेम्स खेलने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है और आज हर किसी के एंड्रॉयड मोबाइल में गेम्स मिल जाते हैं। आश्चर्यजनक लेकिन कटु सत्य है कि दुनिया के आधे गेमर आज एशिया महाद्वीप में हैं। आज लोगों के हाथ में स्मार्टफोन के रूप में शक्तिशाली गेम कंसोल है। यहाँ जानकारी देना चाहूंगा कि चीन ने पिछले साल तीन सबसे अधिक चलने वाले मोबाइल गेम्स में से दो गेम्स प्रस्तुत किए हैं।
आकड़ों के अनुसार पिछले साल तीन अरब बीस करोड़ लोगों ने वीडियो गेम खेले थे। वैसे, गेमिंग के शौकीनों में युवाओं की संख्या अधिक है लेकिन बुजुगों को भी इसकी आदत लग रही है, यह चिंतनीय व संवेदनशील है। युवाओं को भी अधिक गेम्स(वर्चुअल माध्यम पर) खेलने से बचना चाहिए, क्यों कि अधिक देर तक वर्चुअल गेम्स खेलने से इससे उनकी आंखों, मन-मस्तिष्क के साथ ही स्वास्थ्य पर बहुत ही खराब प्रभाव पड़ता है। आंकड़़े बताते हैं कि बुजुगों में आधे लोगों की आयु 55 से 64 वर्ष के बीच है। दुनियाभर में 16-24 वर्ष की आयु से अधिक गेमिंग कंसोल 35-44 साल की आयु के लोगों के पास हैं। आज गेजेट्स पर वर्चुअल गेम्स खेलने से बच्चों में हिंसा, गुस्से, चिड़चिड़ापन आदि की समस्याएं जन्म ले रही हैं, क्यों कि गेजेट्स पर इन गेम्स में बच्चे वर्चुअल हिंसा के दृश्य भी देखते हैं। इन पर दिखाई जा रही हिंसा बच्चों में आक्रामकता, भद्दी भाषा का प्रयोग और उनके व्यक्तित्व को लगातार प्रभावित कर रही है। वास्तव में, यह संवेदनशील व चिंतनीय है कि आज वर्चुअल दुनिया हर आदमी की जिंदगी का अहम् हिस्सा बन चुकी है। एक समय था जब हम आपस में वार्तालाप, ग्राउंड में घूमने खेलने जाया करते थे, आज धीरे धीरे इनकी जगह वर्चुअल माध्यमों ने ले ली है, भले ही वे वर्चुअल गेम्स ही क्यों न हों। आज इस बात पर कम ही चर्चा होती है कि हम अपने स्क्रीन टाइम को किस तरह से सीमित व कम करें। साथ ही बच्चों को अलग-अलग तरह के गैजेट्स तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों विशेषकर गेमिंग लत से किस प्रकार दूर रखा जाए। कोविड-19 महामारी के दौर में गैजेट्स पर निर्भरता काफी बढ़ चुकी और इसका उसर हमारे बच्चों के व्यक्तित्व, उनकी भाषा और उनके व्यवहार, संस्कृति संस्कारों पर भी पड़ रहा है। इसे रोका जाना आज के समय की नितांत आवश्यकता है।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,
स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार
पटियाला, पंजाब
ई मेल mahalasunil@yahoo.com