नैतिकता एवं मर्यादा के मामलें में हम कब अव्वल होंगे?

नैतिकता, मर्यादा एवं आदर्श मूल्यों के लिये दुनिया में पहचान बनाने वाले भारत की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने लगातार नैतिकता को तार-तार किया है। नए राजनीतिक मौसम में सत्ता और दाग दोनों साथ-साथ चलते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है एवं नये बनते भारत की सबसे बड़ी बाधा है। इन हालातों में छोटे से देश न्यूजीलैंड से आई … Read more

आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?*

देश का जूडिशरी सिस्टम अभी भी तेज गति से काम नहीं कर रहा है जिसका रिज्लट अपराधियों के बरी हो जाने के तौर पर सामने आता है। अदालत में जो केस जितना अधिक लंबा चलता है उससे लोगों की रूचि खत्म होती जाती है। यदि कोई बड़ा मामला होता है और उस केस में अदालत … Read more

अब सार्थक बहस हो एवं संसद सुचारु चले

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय लेकर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता, नासमझी एवं विवेकहीनता का ही परिचय दिया है, यह प्रस्ताव स्वीकार भी हो गया। अब प्रतीक्षा है उस पर बहस की। आइएनडीआइए भले ही अविश्वास प्रस्ताव को अपनी जीत समझ रहा हो और यह … Read more

जीना है तो गेहूं छोड़ दो

आज से ही सब छोड़ दो यह गेहूं की रोटियां खाना, नहीं तो यारों पहुॅंचा देगा यह सभी को सफाखाना। खा खाकर जिससे सब लोग आज बढ़ा रहें है तोंद, जीना है तो गेहूं छोड़ दो सब मानो हमारा कहना।। मोटापा-डायबिटीज बढ़ रहा है इससे हृदय के रोग, आज मिक्स अनाज खाकर रहो आप सब … Read more

चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन

यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल … Read more

नौकरीशाही पर सत्तापक्षी होने का आरोप

लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभों में से एक कार्यपालिका लगातार प्रश्नों के घेरों में रहती रही है, आजादी के अमृतकाल में भी कार्यपालिका के भ्रष्ट, लापरवाह एवं गैरजिम्मेदार होना नये भारत-सशक्त भारत की सबसे बड़ी बाधा है। नेताओं और नौकरशाहों के भ्रष्टाचार की आए दिन आने वाली खबरें यही बताती हैं कि केंद्रीय एजेंसियां डाल-डाल हैं … Read more

मानसून सत्र व्यर्थ नहीं, अर्थपूर्ण ढंग से चले

मानसून सत्र दोनों सदनों में सुचारुरूप से चले इसके लिये सर्वदलीय बैठक में सहमति भले ही बनी हो, लेकिन अब तक के अनुभव के अनुसार यह सत्र भी हंगामेदार ही होना तय है। भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए विपक्ष ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया)’ नाम के नए गठबंधन की … Read more

राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी

वर्ष 2024 के आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं,राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मुद्दा एक बार फिर गरमा रहा है। लोकतंत्र की एक बड़ी विसंगति या कहे समस्या उस धन को लेकर है, जो चुपचाप, बिना किसी लिखा-पढ़ी के दलों, नेताओं और उम्मीदवारों को पहुंचाया जाता है, यानी वह काला धन, … Read more

दफ्तरों के इर्द-गिर्द खुशियां टटोलते पति-पत्नी

आज एकल परिवार और महिलाओं की नौकरी पर जाने से दांपत्य सुख के साथ-साथ पारिवारिक सुख जो होना चाहिए वह नहीं है। बच्चे किसी और पर आश्रित होने के कारण टीवी मोबाइल में घुसे रहते हैं। कामकाजी पति-पत्नी के मामलों में यह बात सामने आ रही है कि दोनों ऑफिस के बाद घर में मोबाइल … Read more

बिखरने की विवशता भोगती विपक्षी एकता

जब-जब विपक्षी दलों की एकता की बात जितनी तीव्रता से हुई, तब-तब वह अधिक बिखरी। विपक्षी दलों की पटना की बैठक से लेकर बैंगलोर बैठक के बीच काफी कुछ बदल चुका है। विपक्षी एकता से पहले ही बिखराव एवं टूटन के स्वर ज्यादा उभरे हैं। भले ही पटना की बैठक में शामिल 16-17 दलों की … Read more