प्रसिद्ध डाॅयलाग यह तो ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकि है मेरे दोस्त। यह डाॅयलाग राजस्थान में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव पर चरितार्थ होता नजर आ रहा है। जनता ने भाजपा को तीनों सीटों पर करारी शिकस्त देकर कांग्रेस के सिर पर जीत का सेहरा बांधा है। इन तीनों सीटों पर हुए उपचुनाव में जो जनादेश आया है वो वाकई चैंकाने वाला है। सत्ताधारी पार्टी ने इस उपचुनाव में पूरी जान फूंक दी थी। अजमेर हो, अलवर हो या फिर माण्डलगढ़ हो सभी जगह भाजपा के मंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारियों ने डेरा डाल रखा था, इसके बावजूद भी जनता ने उन्हें नकारते हुए कांग्रेस को चुना है। अजमेर में जहां कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा ने रामस्वरूप लाम्बा को 84238 मतों से, अलवर में डाॅ करण सिंह यादव ने जसवंत सिंह यादव को 1,96,494 मतों से और माण्डलगढ़ विधानसभा में विवेक धाकड़ ने शक्ति सिंह हाड़ा को 12,974 मतों से मात दी है।
*भाजपाईयों के मुरझाए चेहरे*
इस उपचुनाव के परिणाम के बाद घमण्ड में रहने वाले भाजपा नेताओं के चेहरे भी मुरझाए हुए नजर आ रहे हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी भी जब प्रेस काॅन्फ्रेंस करने आए तो उनके चेहरे की भी हवाईयां उड़ी हुई थी। उन्होंने हार तो स्वीकार की लेकिन कारण नहीं बता पाए। वहीं दुसरे नेताओं का भी यही हाल है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तो सामने ही नहीं आई। उन्होंने ट्विटर के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जनादेश सिर आंखों पर है। वह जनता के लिए हमेशा काम करती रहेंगी।
*घमण्ड तोड़ा है जनता ने*
पीसीसी चीफ के चेहरे पर जो खुशी की लहर आज दिखाई दी वह इससे पहले 2009 के चुनावों की जीत के बाद दिखाई दी थी। पायलट आज फूले नहीं समां रहे। उन्होंने इस जीत पर मीडिया को कहा कि कांग्रेस हमेशा जनता को गणेश मानकर पूजती है। जुमलों से भाजपा सत्ता में आ गई लेकिन आज उसी जनता ने वापस भाजपा को नकार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा से ही लोगों को तोड़ने का काम किया है। इस चुनाव से पहले भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अलग-अलग समाज से मिलकर बांटने की कोशिश की लेकिन समझदार जनता ने उन्हें सबक सिखाया है। पायलट ने इस हार के लिए मुख्यमंत्री राजे को इस्तीफा देने की बात भी कही।
*आखिर हार तो तय थी*
भाजपा की हार तो मानो तय ही थी। इसका कारण यह है कि हर कोई तो भाजपा सरकार से रूठा हुआ था। बात नोटबंदी की हो, जीएसटी की हो, कर्मचारियों के वेतन आयोग व अन्य भत्तों की हो, डाॅक्टर्स हड़ताल हो, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की मांगे हो, बेरोजगार संघ का आंदोलन हो, आनंदपाल एनकाउंटर मामला हो या फिर पद्मावत फिल्म हो। हर कोई भाजपा से नाराज चल रहा था। राजपूतों ने तो खुले आम भाजपा को वोट नहीं देने का आह्वान किया था। इसी तरह स्कूल क्रांति संघ ने भी घर-घर जाकर भाजपा प्रत्याशी को हराने की अपील की थी। कुछ कर्मचारियों ने बाहर से तो कुछ ने अंदरूनी तरीके से भी भाजपा को हाशिए पर लाने का काम किया।
*17 विधानसभाओं में हारी भाजपा*
भाजपा की सभी 17 विधानसभाओं में हार हुई है। इतना ही नहीं दूदू क्षेत्र के एक बूथ पर तो भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप लाम्बा को केवल मात्र एक वोट मिला है। इससे भाजपा के प्रति लोगों का रोष साफ झलकता है। अब इन परिणामों के बाद भी यदि भाजपा सबक नहीं लेती है तो आगामी विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव सभी में भाजपा को मुंह की ही खानी होगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987
24-12-2017
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