भारत-वर्ष के महान व्यक्तियों में इन्हें गिना जाता,
दलितों-मजदूरों किसानों का हितैषी कहा जाता।
मां का नाम चिमनबाई और गोविन्दराव जी पिता,
ढ़ेर किए भलाई कार्य इसलिए याद किया जाता।।
महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव फुले था पूरा नाम,
१८४० में हो गयी थी शादी सावित्रीबाई था नाम।
गजरा व फूल माला बनानें का करते थें वह काम,
जिससे उनको पहचान मिली व फुले का यें नाम।।
उनकी एक वर्ष आयु में हो गया मां का स्वर्गवास,
पालन-पोषण हेतु लगाया सुगनाबाई इनके पास।
महात्मा उपाधि व ढ़ेर प्रतिभाओं के धनी थें आप,
छोटी जाति और महिला शिक्षा के किये विकास।।
एक मित्र की शादी से जिनको ऐसी प्रेरणा मिली,
जहां शुद्र व निचले वर्ण कहकर बेइज्जती मिली।
तब समाज से बुराई भेदभाव दूर करने की ठानी,
एवं १८४८ में स्त्री शिक्षा हेतु प्रथम स्कूल खोली।।
सत्यशोधक समाज की आपने ही यें स्थापना की,
१८७३ में आपने गुलामगिरी यें पुस्तक लिख दी।
अछुतों को न्याय दिलाने हेतु कई आंदोलन किये,
२८ नवम्बर १८९० को आपने यह सांस छोड़ दी।।
सैनिक की कलम ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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