Skip to content
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • जनरल न्यूज
  • दखल
  • गेस्ट राइटर

याकुत्स्क ने की जलवायु परिवर्तन एवं पर्माफ्रॉस्ट थॉविंग पर शोध व प्रशिक्षण सम्मेलन की मेजबानी

राष्ट्रीय
/
March 28, 2023

नई दिल्ली, मार्च 2023: 22-24 के दौरान याकुत्स्क में आयोजित जलवायु परिवर्तन एवं पर्माफ्रॉस्ट मेल्टिंग पर शोध व प्रशिक्षण सम्मेलन में प्रतिभागियों ने पर्माफ्रॉस्ट की प्राकृतिक और तकनीकी प्रणालियों की स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। इस सम्मेलन का आयोजन 2021-2023 में आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता के तहत हो रहे कार्यक्रमों के सिलसिले में हुआ, जिसका प्रबंधन रोसकॉन्ग्रेस फाउंडेशन द्वारा किया जाता है।
सुदूर पूर्वी संघीय जिले में रूसी राष्ट्रपति के पूर्णाधिकार प्राप्त प्रतिनिधि एवं रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर यूरी त्रुतनेव ने कहा, “आर्कटिक काउंसिल की हमारी अध्यक्षता के प्रमुख विषयों में से एक जलवायु एजेंडा है। मुश्किल भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद हम जलवायु की स्थिति, ओजोन परत और पर्माफ्रॉस्ट के बारे में नहीं भूल सकते हैं। ये वैश्विक व राजनीति से परे मुद्दे हैं, जिन्हें न केवल याकुटिया और रूसी सुदूर पूर्व के आर्थिक विकास के लिए, बल्कि पूरे ग्रह की स्थिति के लिए हल किया जाना चाहिए। पर्माफ्रॉस्ट के क्षय और ग्रीनहाउस गैसों की उच्च मात्रा में रिसाव के कारण पहले से ही तापमान में वृद्धि हुई है और दुनिया भर में समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि हुई है। मिट्टी की स्थिति बदल रही है, जो कई उत्तरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती है। हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह स्थिति कैसे बन रही है, इसके लिए क्या तैयारी करनी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच इस नाजुक संतुलन को कैसे बनाए रखा जाए।”
सम्मेलन का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए संयुक्त व्यावहारिक और वैज्ञानिक रूप से आधारित समाधान खोजना है। इस दौरान हुई चर्चाओं में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, चीन, ब्राजील, अमेरिका और जापान के वैज्ञानिक व शैक्षणिक संस्थानों के लगभग 500 विशेषज्ञों ने भाग लिया।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, “विदेश मंत्रालय घरेलू वैज्ञानिक समुदाय और विदेशी भागीदारों के बीच संपर्क स्थापित करने तथा इसे बनाए रखने में समर्थन करना जारी रखेगा। यह ध्यान में रखते हुए कि कुछ अमित्र राष्ट्रों की अपनी गलतियों के कारण या तो आधिकारिक राजनयिक संवाद के कई चैनल बंद हैं या न्यूनतम मुद्दों पर बातचीत हो पा रही है, यह खासतौर पर प्रासंगिक हो जाता है।“
सम्मेलन के कार्यक्रमों में पर्माफ्रॉस्ट और जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर दो पूर्ण सत्र शामिल थे। रूस के प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण मंत्री अलेक्जेंडर कोजलोव ने कहा कि रूस 2025 तक 140 ऑब्जर्वेशन पोस्ट बनाने की योजना बना रहा है, जो पर्माफ्रॉस्ट के लिए एक बैकग्राउंड मॉनिटरिंग सिस्टम का हिस्सा है और जो रूस में जलवायु परिवर्तन के अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा। बदले में, रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज की साइबेरियाई शाखा के पर्माफ्रॉस्ट विज्ञान संस्थान के निदेशक मिखाइल जेलेज्नयाक ने आर्कटिक क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट की स्थिति की सरकारी निगरानी व प्रबंधन की एक इंटरएजेंसी प्रणाली शुरू करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें पर्माफ्रॉस्ट व विकासशील विनियमन विधियों के पूर्वानुमान में हो रहे बदलाव शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यदि जलवायु परिवर्तन की यही गति जारी रहती है, तो 2050 तक आवासीय और औद्योगिक भवनों को 5-7 ट्रिलियन रूबल का नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा, गोलमेज सम्मेलन ‘क्रायोस्फीयर की वर्तमान समस्याएं: युवा वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण’ के दौरान वैज्ञानिक संगठनों के कर्मचारियों ने जियोक्रायोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ रशिया बनाने का प्रस्ताव रखा, जो पर्माफ्रॉस्ट विशेषज्ञों के समुदाय को समन्वयित और समेकित करने में मदद करेगा। एसोसिएशन के मुख्य कार्यों में पर्माफ्रॉस्ट जोन की निगरानी करना, भौगोलिक विज्ञान के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय कार्यक्रमों के प्रारूपण तथा कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करना, वैज्ञानिक कार्यक्रमों का आयोजन करना और साथ ही अनुसंधान के लिए सूचना जुटाने में मदद करना शामिल है।
रूसी सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक के विकास मंत्री एलेक्सी चेकुनकोव ने कहा, “बदलती आर्कटिक जलवायु न केवल एक नई चुनौती है, बल्कि आर्कटिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, रसद और उत्पादन विकास के अवसर भी पैदा करती है। इस क्षमता का उपयोग संतुलित और सिद्ध दृष्टिकोण के आधार पर किया जाना चाहिए, जो बिना किसी अपवाद के पर्यावरणीय मुद्दों के सभी पहलुओं को ध्यान में रखता है। जलवायु परिवर्तन की समस्या उन सभी देशों के लिए चिंता की बात है, जिनके प्रतिनिधि याकुत्स्क में जमा हुए हैं।”
सम्मेलन में कई समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए। विशेष रूप से, सीवर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सेंटर ने एक्सवाई इन्वेस्टमेंट ग्रुप और रशियन-एशियन कंसोर्टियम फोर आर्कटिक रिसर्च के साथ सहयोग के दो समझौता दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया। इसके अलावा, रशियन फेडरल सर्विस फोर हाइड्रोमेटोरोलॉजी एंड एनवॉयरनमेंटल मॉनिटरिंग, रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज की साइबेरियाई शाखा, सखा (याकूतिया) गणराज्य की सरकार, अम्मोसोव नॉर्थ-ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी और एकेडमी ऑफ सइंसेज ऑफ दी रिपब्लिक ऑफ सखा (याकूतिया) ने जलवायु परिवर्तन एवं पर्माफ्रॉस्ट थॉविंग पर सहयोग को लेकर एक पांच-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
रिपब्लिक ऑफ सखा (याकूतिया) के प्रमुख एसेन निकोलेयेव ने कहा, “हम न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वैश्विक जलवायु परिवर्तन और पर्माफ्रॉस्ट थॉविंग के मुद्दों पर विचार करने का प्रयास कर रहे हैं। सखा गणराज्य के लिए यह वास्तव में व्यावहारिक मुद्दा है। कुछ साल पहले, याकुटिया में हर तीसरे निर्माण स्थल को मिट्टी की समस्या के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अभी यहां 70-80% निर्माण परियोजनाएं किसी न किसी तरह से पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी के विगलन से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही हैं। बेशक, हमारे देश में परमाफ्रॉस्ट सुरक्षा प्रणाली का न केवल एक वैज्ञानिक, बल्कि एक गंभीर व्यावहारिक आधार भी होना चाहिए। वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने के लिए लगातार न सिर्फ इनकी निगरानी की जानी चाहिए, बल्कि बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी यह जरूरी है।”
कार्यक्रम आमने-सामने और रिमोटली दोनों रूप से आयोजित किए गए थे। सम्मेलन के प्रतिभागियों के लिए मास्को, बीजिंग और अस्ताना में स्टूडियो स्थापित किए गए थे। सम्मेलन के प्रसारण की रिकॉर्डिंग रूस की आर्कटिक परिषद की अध्यक्षता की आधिकारिक वेबसाइट के इवेंट पेज पर उपलब्ध है। सम्मेलन का आयोजन रूसी सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक विकास मंत्रालय के द्वारा सखा गणराज्य (याकुटिया) की सरकार के साथ मिलकर और अम्मोसोव नॉर्थ-ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया गया था।
जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों सहित पर्यावरण संरक्षण, 2021-2023 में आर्कटिक परिषद की रूस की अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में से एक है। आर्कटिक में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए, जिसमें अन्य बातों के अलावा, पर्माफ्रॉस्ट का क्षय और गैस हाइड्रेट्स का उत्सर्जन शामिल है, रूस का मानना है कि प्राथमिक चुनौतियां जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक परिणामों को कम करना है। इसके अलावा यह सुनिश्चित करना है कि लोग अपनी दैनिक गतिविधियों को परिवर्तन और उनकी स्थिरता में वृद्धि के अनुकूल बनाएं, पर्यावरण को संरक्षित और पुनर्स्थापित किया जाए, प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी रूप से उपयोग हो, समुद्री पर्यावरण सहित आर्कटिक पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखा जाए और जैव विविधता विशेष रूप से प्रवासी पक्षी प्रजातियों के संबंध में संरक्षण के प्रयास हों।

पिछला पर्यावरण हित में लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर निरंतर अग्रसर है आईएचसीएल अगला श्रीराम हैं अनंत, रामकथा अनंता

Leave a Comment Cancel reply

Recent Posts

  • आईआईटी मंडी ने अपने एमबीए डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम के 2025-27 बैच के लिए आवेदन आमंत्रित किए
  • समाज सुधारक युग प्रवर्तक सच्चे हिंदुत्व के मसीहा कर्म योगी सभी वर्गो चहेते स्वामी विवेकानंद
  • टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने कर्नाटक में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र के साथ समझौता किया
  • आज का राशिफल व पंचांग : 11 जनवरी, 2025, शनिवार
  • इंसानों की तस्करी की त्रासदी वाला समाज कब तक?

संपादक की पसंद

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
Loading...
दखल

पिज्जा खाने से रुकी किरपा आ जाती है

December 14, 2024
दखल

पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

February 20, 2023
दखल

श्रद्धा जैसे एक और कांड से रूह कांप गयी

February 16, 2023
दखल

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

February 8, 2023
दखल

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

February 4, 2023

जरूर पढ़े

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
© 2025 • Built with GeneratePress