मुंबई, 28 मार्च 2023: भारत की सबसे बड़ी हॉस्पिटैलिटी कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी (आईएचसीएल) ने अपने ईएसजी प्लस फ्रेमवर्क ’’पथ्य’’ के अंतर्गत सस्टेनेबिलिटी व सामाजिक प्रभाव हेतु किए जा रहे उपायों को निरंतर आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। कंपनी ने एक साल पहले ’’पथ्य’’ की शुरुआत की थी, इसका लक्ष्य ऐसे अनवरत परिणामों की रचना करना है जो पर्यावरण व समाज को मजबूत करते हुए मूल्यों को आगे बढ़ाएं और वृद्धि को बल प्रदान करें।
इस अवसर पर आईएचसीएल के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री पुनीत छटवाल ने कहा, ’’पथ्य आईएचसीएल का एक ऐसा प्रयास है जिसके ज़रिए कंपनी के सभी स्टेकहोल्डरों के लिए साझे मूल्य कायम करने हेतु एक सहयोगात्मक पथ पर हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे सभी कार्यों में ईएसजी गहराई से घुलमिला है और इससे हमें आज की सबसे बड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद मिलेगी तथा हम भविष्य के सर्वश्रेष्ठ अवसरों को प्राप्त कर पाएंगे।’’
उन्होंने आगे कहा, ’’हम इस बात को समझते हैं की हमारी कामयाबी केवल हमारे वित्तीय प्रदर्शन से नहीं आंकी जा सकती बल्कि इसमें यह भी शामिल है की अपने स्टेहोल्डरों पर व हमारे आसपास मौजूद दुनिया पर हमने क्या सकारात्मक प्रभाव डाला है। हम आईएचसीएल के समर्पित कर्मचारियों के साथ सभी के लिए सकारात्मक बदलाव को आगे बढ़ाते रहेंगे और उनके हित में काम करते रहेंगे।’’
पर्यावरण के लिए किए जा रहे आईएचसीएल के प्रयासों में शामिल हैं- नवीकरणीय ऊर्जा की खपत बढ़ाना, आईएचसीएल के 77 होटलों के लिए अर्थ चैक प्रमाणन, कंपनी की 115 प्रॉपर्टीज़ में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों का इंस्टॉलेशन और इनोवेटिव कूलिंग टेक्नोलॉजीस के लिए आईएफसी के टैक्इमर्ज प्रोग्राम के साथ साझेदारी। कंपनी ने अपने 20 होटलों में बॉटलिंग प्लांट लगाकर सभी प्लास्टिक बोतलों को रियूज़ेबल ग्लास बोतलों के साथ बदल दिया है और इसके अलावा मेहमानों के कमरों में ड्राइ अमेनिटीज़ के लिए बायो डिग्रेडेबल रैपिंग को अपनाया है।
आईएचसीएल की प्रतिष्ठा भारतीय आतिथ्य के संरक्षक की है। कंपनी हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के लिए उपयोगी टैलेंट पूल को तैयार करने हेतु निवेश करती है ताकी काबिल युवाओं को विकसित जिससे की उनके परिवारों की भी मदद हो पाती है। 16 कौशल केन्द्रों के साथ साझेदारी करके आईएचसीएल पूरे भारत में हॉस्पिटैलिटी ट्रेनिंग मुहैया कराती है, इन शहरों में असम का गुवाहाटी, राजस्थान का जयपुर और उत्तराखंड का चमोली जिला आदि शामिल हैं।
यात्रा व पर्यटन के परिदृश्य को बदलने के लिए आईएचसीएल ने यूनेस्को के साथ गठबंधन किया है जिसके तहत भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को बचाने व प्रचारित करने में मदद मिल रही है। पश्चिम बंगाल की पारंपरिक स्क्रोल पेन्टिंग तकनीक पटचित्र से लेकर वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती तक – आईएचसीएल होटलों में ठहरने वाले मुसाफिर अब देश की जीवंत विरासत प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव हेतु किए गए आईएचसीएल के कार्य अनदेखे नहीं रहे हैं। अपनी इन कोशिशों के लिए कंपनी ने कई पुरस्कार जीते हैं, इन कोशिशों में शामिल हैं: महामारी के दौर में कर्मचारियों व समुदायों को सहयोग। भारत की सांस्कृतिक विरासत में योगदान हेतु इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑफ डब्ल्यू टी एम रिस्पाँसिबल टूरिज़्म द्वारा कंपनी को सम्मानित किया गया है, यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो दुनिया भर में जिम्मेदारी से पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए काम करती है।