नई दिल्ली, मार्च, 2023- भारत में सभी कृषि उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल ई लर्निंग कंटेंट एवं उभरती इमर्सिव टेक्नोलाजीज समेत डिजिटल आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। व्यवस्थागत डिजिटल क्षमता, ज्ञान और कौशल में सुधार के लिए सभी भागीदारों में प्रणालीगत डिजिटल क्षमता निर्माण को संस्थागत रूप प्रदान करने की भी आवश्यकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कृषि शिक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और विश्व बैंक द्वारा जारी दिल्ली घोषणा पत्र में कृषि में प्रभावी अध्यापन और सीखने के लिए डिजिटल संसाधनों और टूल्स को समाहित करने की जरूरत रेखांकित की गई। इसमें ऐसे लिंग-समावेशी एवं टिकाऊ शिक्षा के लिए एक नवीन एवं सहनशील प्रणाली की दिशा में जोर दिया गया जो भारत के कृषि शिक्षा क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त करे। बहुक्षेत्रीय प्रौद्योगिकी सुगम शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और कृषि उच्च शिक्षा में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कृषि एवं गणित (स्टीम) पर नीतियों को परिवर्तित किए जाने की जरूरत है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और विश्व बैंक की मेजबानी में कृषि उच्च शिक्षा के लिए ब्लेंडेड लर्निंग ईकोसिस्टम पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन दिवस पर दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया। यह सम्मेलन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) की रेसिलिएंट एग्रिकल्चर एजुकेशन सिस्टम (आरएईएस) विकास पहल के तहत आयोजित किया गया।
इस देश में राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में एक पंचवर्षीय परियोजना एनएएचईपी शुरू की गई जिसमें विश्व बैंक और केंद्र सरकार प्रत्येक की ओर से 8.25 करोड़ डालर (करीब 600 करोड़ रुपये) का समान योगदान किया गया। विश्व बैंक के ऋण की अदायगी पांच साल की छूट की अवधि के बाद अगले 19 वर्षों में की जानी है। एनएएचईपी का उद्देश्य कृषि उच्च शिक्षा में परिवर्तन लाना है। ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफार्म इसी परियोजना का हिस्सा है।
इस समापन समारोह को संबोधित करते हुए नेशनल एकैडमी ऑफ एग्रिकल्चरल साइंसेज (एनएएएस) के पूर्व अध्यक्ष और एग्रिकल्चरल साइंटिस्ट्स रिक्रूटमेंट बोर्ड (एएसआरबी) के चेयरमैन डाक्टर आरबी सिंह ने कहा, ज्ञान और कौशल के प्रसार के जरिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों को प्रोत्साहित कर हम कल की चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि नेतृत्वकर्ताओं की अगली पीढ़ी को सशक्त करते हैं। कृषि इस विश्व में सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक ताकत बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए आइये हम सभी सीमाओं और क्षेत्रों में गठबंधन जारी रखें।
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के पूर्व सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डाक्टर त्रिलोचन महापात्र के मुताबिक, शिक्षा एक संपन्न कृषि क्षेत्र की रीढ़ है। ब्लेंडेड लर्निंग पारंपरिक कक्षा में अध्यापन और तेजी से बदलती दुनिया की मांगों के बीच अंतर को पाटने का एक ताकतवर टूल की पेशकश करता है। मैं सभी भागीदारों से इसे आत्मसात करने और हमारी शिक्षा प्रणालियों में इसे एकीकृत करने की गुजारिश करता हूं। कृषि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने और कृषि क्षेत्र की वृद्ध में योगदान कर सकने वाला एक कुशल कार्यबल तैयार करने के उद्देश्य से हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम नई पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को आत्मसात करें।
उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) और एनएएचईपी के राष्ट्रीय निदेशक, आईसीएआर, नई दिल्ली डाक्टर आरसी अग्रवाल ने इस सम्मेलन की सफलता पर कहा, इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पिछले तीन दिनों में कृषि में ब्लेंडेड लर्निंग पर छह महत्वपूर्ण विषयों पर पैनल परिचर्चा हुई और करीब 19 वक्ताओं ने अपने विचार रखे। हम एनएएचईपी पेश करने के लिए भारत सरकार और सतत सहयोग के लिए विश्व बैंक का आभार व्यक्त करना चाहेंगे। कृषि का टिकाऊ विकास, शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता पर निर्भर करता है जो हम कृषि पेशेवरों की भावी पीढ़ी को उपलब्ध कराते हैं।
विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टरअगस्ते तानो कोउआमे ने कहा,भारत का कृषि क्षेत्र इस देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है। हर वर्ष 5,000 से अधिक भारतीय विद्यार्थी पीएचडी प्राप्त करते हैं जोकि शेष विश्व से अधिक है। मेरा मानना है कि व्यवसायिक शिक्षा के लिए कैसे अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं, एनएएचईपी इसका आदर्श उदाहण है क्योंकि इसने एक दूसरी पहल रेसिलिएंट एग्रिकल्चरल एजुकेशन सिस्टम (आरएईएस) को मंच प्रदान किया है। हम इन नयी प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए आईसीएआर और भारत सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे ताकि इस देश के सभी राज्य समान रूप से इनसे लाभान्वित हो सकें।
कृषि मंत्रालय के निदेशक (विस्तार) डाक्टर शैलेश कुमार मिश्रा और एनएएचईपी (कंपोनेंट 2 एवं सीएएएसटी) आईसीएआर नई दिल्ली की राष्ट्रीय संयोजक डाक्टर अनुराधा अग्रवालने भी अपनी उपस्थिति से इस समापन समारोह की शोभा बढ़ाई।
इस आयोजन में 10 देशों से प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया और साथ ही अकादमिक क्षेत्र से कई लोगों, विशेषज्ञों और उद्योग के प्रतिनिधियों ने कृषि के लिए उच्च शिक्षा में ब्लेंडेड लर्निंग से संबंधित विषयों पर पैनल परिचर्चा की। इस सम्मेलन में हुई पैनल परिचर्चा में विभिन्न विषय जैसे कृषि शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका, ब्लेंडेड लर्निंग के लिए डिजिटल टूल्स के उपयोग, ऑनलाइन लर्निंग की चुनौतियां और अवसर और कृषि में ब्लेंडेड लर्निंग का भविष्य शामिल रहे।