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प्रजातंत्र (लोकतंत्र) और गणतन्त्र एवं भारतीय संविधान

गेस्ट राइटर
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January 26, 2023

j k garg
ग्रीस के नगर एथेनमें सबसे पहिले प्रजातंत्र की स्थापना हुई थी | प्रमुख रूप में प्रजातंत्रतीन तरह के होते हैं यथा प्रत्यक्ष, प्रतिनधि संवैधानिक |प्रजातंत्र मे सत्ताजनता के हाथों में होती है |प्रजातंत्र में कानून बहुमत के दुवारा बनाये जाते} है | प्रजातंत्र मेंबहुमत को स्थापित अधिकारों को निरस्त करने का अधिकार होता है |प्रजातंत्र मेंसरकार पर कोई नियन्त्रण {constraints } नहींहोता है | प्रजातंत्र में सदैव | बहुमत का शासन होता है | इतिहास में 510 BC से 27 BC तक रोम मे गणतंत्र का उल्लेखमिलता है | पांच प्रकार केगणतंत्र पाए जाते है जैसे संवैधानिक, संसदीय ,फेडरल प्रेसिडेंट थ्णयोरेटिकगणतन्त्र मे कानून निर्वाचित सदस्यों दुवारा बनाये जाते है | स्मरणीय रहे कि गणतन्त्र म बहुमत अपनी मनमर्जी नहीं कर सकता है क्योंकि उनको सविधान मेमुताबिक़ कानून बनाये पड़ते है | गणतन्त्र मेसंविधान सर्वोच्च होता हैसंसद को कानून संविधान के दायरे मे हीबनाये जा सकते हैं | क्या गणतन्त्र औरप्रजातंत्र एक ही है या उनमें अंतर है ? यदि अंतर है तो गणतन्त्र और प्रजातंत्र कैसे अंतर और क्या अंतर है ? वास्तविकता मेंजहाँ गणतंत्र में संविधान सर्वोच्च होता है वहीं प्रजातंत्र में जनता सर्वोच्चहोती है । गणतंत्र में विधि का विधान यानि कानून का राज्य होता है तो प्रजातंत्रमें बहुमत का। प्रजातंत्र मेंजिसके पास बहुमत होता है वही शासक होता है । बहुमत का शासन बहुसंख्यक के शासन में न बदल जायेइसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत में प्रजातंत्र के थोड़े पर कतरे हैं जिसकेफलस्वरूप हमारे देश में बहुमत को नहीं अपितु संविधान को सर्वोपरि बनाया गया।गणतंत्र में बहुसंख्यक, केवल बहुमत के आधारपर किसी व्यक्ति, समाज या अल्पसंख्यकसमुदाय के मूलभूत अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते। गणतन्त्र में राष्ट्रप्रमुख कोआनुवांशिक आधार पर नियुक्त नहीं किया जाता है । लोकतंत्र एक राजनीतिक पद्धति है जबकि गणतंत्र एकस्पष्ट राजनीतिक घोषणा है |प्रजातंत्र मेंबहुमत निरंकुश और सर्वशक्तिमान होता है। भारत संसदीय प्रणाली वाला एक प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्षलोकतांत्रिक गणराज्य है। रूस और चीन जैसे देशों में संविधानतो सर्वोपरि है किन्तु वे एकल पार्टी द्वारा शासित राज्य हैं अतः रूस चीन गणतंत्रतो हैं किन्तु प्रजातंत्र नहीं। गणतंत्र में निर्वाचित सरकार के अधिकार हमेशासंविधान की सीमाओं में बंधे होते हैं। नागरिकों की स्वीकृति से संविधान को अपनायाजाता है और इसे केवल जनता के प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न नियमों के तहत संशोधितकिया जा सकता है। संविधान के तीन प्रमुख अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका होती है उन्हें शक्ति संविधान देता है। ये तीनों यानी कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं तथा एकदूसरे के कार्यों या शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करते।गणतंत्र में बहुसंख्यक, केवल बहुमत के आधार पर किसीव्यक्ति, समाज या अल्पसंख्यक समुदाय केमूलभूत अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते। प्रजातंत्र में बहुमत निरंकुश और सर्वशक्तिमान होता है। बहुमत के विरुद्धअल्पमत को कोई संरक्षण नहीं होता। इसी आशंका के चलते हमारे संविधान में मूलभूतअधिकारों को शामिल किया गया है और इन मूलभूत अधिकारों की सीमा के बाहर सेप्रजातंत्र की शुरुआत होती है।हमारे संविधान की जो तीसरीमहत्वपूर्ण विशेषता है वह है धर्म निरपेक्षता। हमारे संविधान की एक और विशेषता हैऔर वह है समाजवाद। समाजवाद में संपत्ति और बड़े उद्योगों के सहकारी या सरकारीस्वामित्व को बढ़ावा दिया जाता है और निजी भागीदारी को कम। अंतिम विशेषता हैसम्प्रभुता जहाँ हमारा संविधान हमारे राष्ट्र को एक स्वतंत्र और असीमित शक्तियोंवाला राष्ट्र घोषित करता धन्य हैं हमारे संविधान निर्माता जिन्होंने ऐसे व्यापक औरसर्वश्रेष्ठ संविधान को अपनाया । गणतन्त्र दिवस यही तथ्य समझने औरसमझाने का है कि हमारे देश में संविधान सर्वोपरि है न कि कोई व्यक्ति, वंश, समाज या समुदाय। हमें कानून काराज्य चाहिए नेताओं का नहीं। नेताओं की जय करने से पहले स्वयं की और संविधान की जयकरना सीखना होगा। नेता हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, शासक नहीं। नेताओं का भविष्यजनता के हाथ में है, जनता का भविष्य नेताओं के हाथ में नहीं।
पाकिस्तान भी अपने आपको गणतंत्र कहता है किन्तु वह इस्लामिकगणतंत्र है। उसी तरह ईरान भी इस्लामिक गणतंत्र हैं। ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जापान आदि देश केवललोकतान्त्रिक हैं किन्तु वहां गणतंत्र नहीं हैं वहीं दूसरी तरफ भारत, अमेरिका आदि देश लोकतान्त्रिकभी हैं और गणतंत्र भी। इंग्लैंड की उच्चतम व्यवस्था राजशाही है, जहाँ राजा प्रमुख है इसलिएलोकतांत्रिक होते हुए भी वह एक गणतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि राजा किसी गण यासमूह से नही चुना जाता । हमारे संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट के साथलिखा गया है कि हम भारतके लोग, भारत को एक संपूर्णप्रभुत्व संपन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष , लोकतंत्रात्मकगणराज्य बनाने के लिए, तथा उसकेसमस्त नागरिकों को:सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्मऔर उपासना की स्वतंत्रता,प्रतिष्ठाऔर अवसर की समता, प्राप्तकराने के लिए,तथा उन सबमें,व्यक्तिकी गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चितकरनेवाली, बंधुता बढ़ानेके लिए,दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी(मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवतदो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमितऔर आत्मार्पित करते हैं।हमारे संविधान निर्माताओं का स्पष्टमत था कि न्याय पालिका, कार्यपालिका औरविधायकी अपने आप में पूर्णतया स्वतंत्र रूप में कार्य करें कोई भी एक दुसरे केकार्य को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करें | पिछले अनेकों सालों से ऐसा लगता है कि सामर्थ्य व्यक्ति या संस्थाइस मूल भावना के विपरीत काम कर रही है वे एक दूसरे के कामों में अप्रत्यक्ष रूप सेहस्तक्षेप करते हैं | हमारे देश में सैकड़ों वर्षों कई जातिया सम्रदाय पन्थ औए विभिन्न धर्म के मानने वाले लोग हैं | समाज में उच्च कुलीन वर्ग और पिछड़े तबके के लोग रहते जिनको हे द्रष्टी से देखा जाता है उनको हेय द्रष्टी से देखा जाता था और उनको तिरस्क्रत करकर अपमानित किया जाता था इसके साथ उनको उनके मोलिक अधिकारों से वंचित किया जता था | पिछले पांच हजार साल मे प्रथम बार संविधान निर्माताओं ने सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किये चाहे वो अमीर हो या गरीब हिन्दू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाई सभी को समान अधिकार दिए गये हैं | देश के सबसे अमीर अदानी अम्बानी और मजदूर को वोट देने का समान अधकार भारत के संविधान ने दिया है जो स्वयम में क्रांतिकारी कदम है | संविधान निर्माताओं ने समुद्र मंथन एवं गहन विचार विमर्ष के बाद दुनिया का सबसे लम्बा संविधा मनाया है |वर्तमान में समाजऔर देश के हालात को देख कर ऐसा लगने लगा है कि हम सभीअत्यंत निष्क्रिय इन्सान बन गये हैं और हम सभी ने अपने आप को उनके यानि राजनेताओं के भरोसे छोड़ दिया है औरहम कभी उनसे सवाल नहीं करते हैं |हम अपनी तुच्छताओं के अंदर विभाजित हो गये है | हमकोकभी जाति प्रभावित करती है तो कभी धर्म , कभी मन्दिर तो कभीमसिज्द तो कभी गिरजाघर तो कभी गुरुदुवारे तो कभी श्मसान तो कभी कब्रिस्तान |हम राज नेताओं के आने पर उनकी ही दी हुई फूलमालाओं और गुलदस्तों सेउनका स्वागत करते हैं, उनके साथ फोटो खिचवा के नाचते हैं औरयह गलत फहमी पाल कर कि अब उनकी क्रपा से हम लोगों के अच्छे दिन आने वाले हैं | देश की गंगा जमुना संस्क्रती धीमें धीमें खत्म हो रही है विभिन समुदायों के बीच अविश्वास घ्रणा पंप रही है वो एक दूसरों को अपना दुश्मन मानने लगे हैं इसीलिए उनके बीच में तनाव अविश्वास के बजाय प्यार मोहब्बत की स्थाप्न्ना करनी होगी | नफरत के बाजार में मोहब्बत की हजारों दुकाने खोलनी होगी | किसी बुद्दीजीवी और समझदार व्यक्ति ने बिलकुल सही कहा कि हमें वैसीही सरकारें और मार्गदर्शन करने वाले मिलते हैं जिसके हम पात्र होते है | जब हम बदलेगें और हमारी सोच बदलेगीतभी उनकी सोच बदलेगी और सरकारों की सोच एवं कार्यशेली भीबदलेगी | आईये गणतंत्र दिवस पर हमी सभी भारतीय हमारे संविधान की रक्षा करने का संकल्प लें और देश में एकता भाईचारा परस्पर प्रेम स्थापित करने का भी संकल्प लें |

जे.के. गर्ग पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा , जयपुर

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