सामाजिक स्तर पर सकारात्मक सोच की आवष्यकता
जयपुर,। परम पूज्य आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज के 108वें जन्म जयंती महामहोत्सव के अंतर्गत प्रज्ञाश्रमण मुनि श्री अमित सागर जी महाराज, गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ के सानिध्य में राष्ट्रीय बेवीनार ‘‘वर्तमान परिस्थितियों के मध्य जैन पत्रकारों एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका‘‘ विषय पर 31 जनवरी, 2021 को दोपहर एक बजे से पीठाधीष स्वस्ति श्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी के मार्गदर्षन एवं प्रेरणा से जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेष जैन तिजारिया, जयपुर की अध्यक्षता में एवं दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार सेठी के मुख्य आतिथ्य में सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
कार्यक्रम संयोजक एवं जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन, जयपुर ने अवगत कराया कि उक्त वेबीनार में दीप प्रज्ज्वलन रोषनलाल जैन, प्रकाष जैन घाटलिया, उदयपुर एवं मोहित जैन मोही, चित्र अनावरण राजेष जैन देवड़ा एवं मोहन लाल विरदावत, उदयपुर ने किया।
कार्यक्रम में मंगलाचरण राष्ट्र गौरव डॉ. इन्दु जैन, दिल्ली ने किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि जैन संस्कृति के पर्वों को संगठित होकर मनायें और भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचायें। इस अवसर पर मंगल नृत्य सुनंदा जैन-धीरेन्द्र जैन की सुपुत्री उर्जिता जैन, दिल्ली ने प्रस्तुत किया।
सभी अतिथि, वक्ता, विद्वान, पदाधिकारी, श्रेष्ठीगण, जो जूम-एप पर उपस्थित थे, सभी का जैन पत्रकार महासंघ की ओर से राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन ने अभिनंदन एवं स्वागत किया ।
इस अवसर पर पीठाधीष स्वस्ति श्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी ने कहा कि संगठनों और संतों की समाज व धर्म के लिये महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को विवादों में नहीं पढ़ना चाहिये और जैन संस्कृति के लिये सकारात्मक सोच रखनी चाहिये। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पांच तीर्थंकरों की जन्म भूमि अयोध्या शाष्वत तीर्थ है जिसका अंतर्राष्ट्रीय विकास में सभी का सहयोग होना चाहिये। इस अवसर पर गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने मंगल आषीर्वचन में कहा कि अहिंसा का प्रचार व देव-षास्त्र-गुरू के साथ तीर्थ संरक्षण आदि कार्यों में पत्रकारों एवं संगठनों की अहम भूमिका रखनी चाहिये। प्रज्ञाश्रमण अमित सागर जी महाराज ने अपने आषीर्वचन में कहा कि पत्रकारों को आलोचनाओं से दूर रहना चाहिये बल्कि कोई विषय आने पर उसकी समीक्षा करनी चाहिये, उसमें भी अच्छाईयों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। उन्होंने आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज का गुणानवाद करते हुए कहा कि समाज की युवा पीढ़ी संस्कारित हो।
भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन ‘‘आदित्य‘‘, झांसी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सकारात्मक विचारों को प्रमुखता से समाज में लाने का कार्य पत्रकारों को करना चाहिये। अपने वक्तव्य में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुधा मलैया ने कहा कि समाज के संगठन व पत्रकारों को भारत का नाम भगवान आदिनाथ के पुत्र भरत से पढ़ा है, इसका प्रचार-प्रसार करना चाहिये। दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अषोक बड़जात्या ने कहा कि कलम की स्याही निष्पक्ष रूप से समाज के समक्ष प्रकट हो। सही को सही और गलत को गलत लिखना चाहिये। शाष्वत तीर्थराज सम्मेदषिखर ट्रस्ट के मंत्री हसमुख जैन गांधी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज समाज नेतृत्वविहीन हो गया है। हमें सक्षम नेतृत्व की आवष्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी बात को अक्षरषः कहने की ताकत पत्रकारिता में है।
श्री दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मणीन्द्र जैन, दिल्ली ने कहा कि किसी भी कार्य को करने से पूर्व स्वयं का आत्म चिन्तन आवष्यक है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि समाज को पत्रकारों के लिये सम्मान, समुचित व्यवस्था और उनके उत्थान के लिये ध्यान देना चाहिये। दिगम्बर जैन परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जीवनलाल जैन, सागर ने कहा कि जैन धर्म के अस्तित्व के लिये युवाओं को जोड़ना होगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि समाज में आई हुई विकृतियों को दूर करने में हम तभी सक्षम होंगे, जब उनके कारणों और उपचारों का पता करें। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारों से अपेक्षायें तो बहुत हैं लेकिन यदि पत्रकार किसी संगठन, संस्था या साधु-संत से नहीं जुड़ते हों तो उन्हें अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है इसलिये पत्र-पत्रिकाओं को आर्थिक संबल जरूर दें, तभी वे अपना कार्य सही तरीके से कर सकेंगे।
दिषा बोध के प्रधान संपादक चिरंजीलाल बगड़ा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंथवाद, संतवाद, ग्रंथवाद, जातिवाद के कारण जैन धर्म खतरे में है, उनको रोकने के लिये सामाजिक संगठन-पत्रकार आपस में समन्वय कर, समस्याओं का हल निकालें। दैनिक आचरण के प्रधान संपादक सुनील जैन, सागर ने कहा कि कोरोना काल में जैन संगठनों ने अच्छे और सराहनीय कार्य किये हैं, जिसके लिये उनका सम्मान होना चाहिये। वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जैन ‘‘महावीर‘‘ सनावद ने कहा कि जैनों को जैनों से ही खतरा है। संगठन, पत्रकार, संतगण सभी अपना अपना कार्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी एकजुट हों। राष्ट्रीय युवा लेखक सुनील ‘‘संचय‘‘, ललितपुर ने कहा कि पत्रकार और संगठन, संगठित होकर समाज हित में सकारात्मक रूप से कार्य करें।
मुख्य अतिथि निर्मल कुमार सेठी ने कहा कि जैन पत्रकार महासंघ द्वारा इस प्रकार की बेवीनार का आयोजन कराया जाना अच्छा कदम है, ऐसा कार्यक्रम तीन माह में एक बार होते रहना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि जैन पाठषाला, राजनैतिक क्षेत्र में आगे आना, इतिहास और पुरातत्व शोध पर भारत सरकार जैन शोध संस्थान बनाये, इस पर कार्य करने की आवष्यकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेष जैन तिजारिया, जयपुर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जैन पत्रकार अपनी लेखनी व विचारों से जैन संस्कृति का संरक्षण करें। जैन पत्रकार महासंघ का प्रमुख उद्देष्य जैन संस्कृति का संवर्धन व संरक्षण है। अधिक से अधिक पत्रकार/संपादक/विद्वान/लेखक इस महासंघ से जुड़कर शक्तिषाली संगठन के लिये सहयोग करें। आज की इस महत्वपूर्ण बेवीनार में संतगणों और वक्ताओं के एक-एक शब्द कीमती हैं, इन पर गंभीरता से मंथन करने की आवष्यकता है।
महासंघ की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. प्रगति जैन, इंदौर ने उक्त बेवीनार का कुषल संचालन किया। इस अवसर पर विषेष रूप से, दैनिक समाचार जगत के संस्थापक संपादक राजेन्द्र के.गोधा, डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर, डॉ. जीवनप्रकाष जैन, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर, डॉ. डी.सी.जैन-दिल्ली के अलावा जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिलीप जैन, जयपुर, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री महेन्द्र कुमार बैराठी-जयपुर, राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री संजय जैन बड़जात्या, कामां, रजत सेठी, ईसरी (झारखंड), अमित जैन, बारां, अंकित शाह-मुंबई सहित अनेक पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित थे। महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री एवं कार्यक्रम संयोजक मनीष जैन विद्यार्थी, शाहगढ़ ने उपस्थित अतिथि, वक्ता एवं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले, जूम-एप के तकनीकी सहयोगी मोहित जैन मोही आदि सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
(उदयभान जैन)
राष्ट्रीय महामंत्री