नई दिल्ली, अगस्त, 2023- एक शताब्दी से अधिक समय से रबीन्द्र संगीत बंगाली संस्कृति का एक महत्वपूर्ण घटक रहा है। एक व्यक्ति की प्रतिभा से अनेक लोगों की धड़कने बढ़ती रही हैं।
बीते 20 अगस्त को इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित ग्लोबल पोएट्री और रबीन्द्र संगीत के कलात्मक मेल कनफ्लूएंस ने दिल्ली वासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कनफ्लूएंस एक अलग और सतत प्रोडक्शन है जो खलिल जिब्रान के कालातीत गीत लेखन का अन्य प्रख्यात कवियों जैसे पैब्लो नेरुदा, एलिजाबेथ बिशप, लोरका और ताहा मोहम्मद अली खान आदि की पंक्तियों के साथ मेल करने की संभावना तलाशता है। विविध काव्य परंपराओं और संगीत के रूपों के बीच अंतर पाटने का प्रयासकरता कनफ्लूएंस, प्रख्यात कलाकार और एसपीसीक्राफ्ट के संस्थापक सुजॉय प्रसाद चटर्जी के दिमाग की उपज है।
वांडरर्स फुटप्रिंट्स, दि ट्रैवेल बुटीक द्वारा दिल्ली में पेश कनफ्लूएंस में प्रख्यात रबीन्द्र संगीत गायक श्रोवोंती बसु बंदोपाध्याय ने भी प्रस्तुति दी जिन्होंने अपने गायन से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। कनफ्लूंएस को इससे पूर्व प्रतिष्ठित एडवरटाइजिंग क्लब, कोलकाता बैठक और लंदन के लिए खोला जा चुका है। इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद श्री जवाहर सरकार मुख्य अतिथि थे, जबकि अभिनेत्री, निर्देशक और निर्माता सुश्री अर्पिता चटर्जीविशिष्ट अतिथि थीं। इस कार्यक्रम में भारतीय कथक कलाकार और पद्मश्री से सम्मानित सुश्री शोवना नारायण, प्रख्यात ओड़िसी व्याख्याता सुश्री शैरोन लोवेन, पूर्व राजदूत सुश्री भसवती मुखर्जी, प्रख्यात इतिहासकार, शास्त्रीय गायिका और लेखक डाक्टर रेबा सोम, फैशन कोरियोग्राफर एवं कमेंटेटर सुश्री विद्युन सिंह, सह संस्थापक, फ्यूचर कलेक्टिव और हैबिटैट वर्ल्ड में निदेशक (कार्यक्रम) भी मौजूद थीं।
इस कार्यक्रम का परिचय कराते हुए वांडरर्स फुटप्रिंट्स की संस्थापक पार्बती भट्टाचार्य ने इस शाम को टैगोर की सार्वभौमिकता में एक संगीतमय यात्रा के तौर पर बताया। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि काव्य और संगीत आज के इस तनाव भरे दौर में एक ताजी हवा का झरोंखा लाते हैं।
सुजॉय प्रसाद चटर्जी ने कहा, कोलाहल के इस दौर में हम शांति और मानवता की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। मेरा प्रोडक्शन जिसका कार्य प्रगति पर है, का लक्ष्य इस सार्वभौमिकता को टैगोर के गीतों के साथ एकीकृत करना है। ग्लोबल पोएट्री की समानांतर चाल उन्हें आज के समय में और अधिक प्रासंगिक बनाती है। मुझे खुशी है कि दिल्ली में मेरा पहला कार्यक्रम इस लक्ष्य के साथ संपन्न हो सका।
कनफ्लूएंस दुनियाभर में समकालीन और पारंपरिक काव्य रूपों को तलाशने के लिए आदर्श शुरुआती बिंदु है। चुनिंदा कविताएं विभिन्न टाइम जोन में लिखी गई हैं और इनकी राजनीति मौलिक रूप से दूसरों से भिन्न हैं।