
देश और राज्य में बढ रही सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार ने हाल ही में सिक्स लाइन पर वाहनों को अपनी लेने में चलने का फरमान जारी किया तथा इसके लिए बाकायदा परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग सड़क पर खड़े रहकर वाहन चालकों को अपनी लेने में चलने की समझाईश कर रहे हैं। इसके बाद अगला दौर चालान बनाने का होगा।
लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार के इस फरमान से सड़क दुर्घटनाएं की रोकथाम हो पाएगी?
धरातल पर आधी अधूरी सड़कों को देखे तो लेन सिस्टम से सड़क दुर्घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ने का अंदेशा ज्यादा है। क्योंकि *ज्यादातर सड़कों के किनारे दो पहिया वाहन चालकों की लेंन बदहाल अवस्था में है*।कई स्थानों पर पहली लेन भी नजर नहीं आती। ऐसे में भारी वाहन अपनी लेने में (पहली लेन)चलते हैं तो दो पहिया वाहन चालक भारी वाहनों की चपेट में आकर दुर्घटनाओं की शिकार हो सकते हैं ।दूसरी बात यह है कि *अभी भी सिक्स लेन हाईवे के किनारे कई जगहों पर सर्विस रोड नहीं बनी है* ऐसे में कई बार वाहनों को हाईवे रोड पर चढ़कर अपनी लेन में आने के लिए विपरीत दिशा में चलकर डिवाइडर में लगे कट से घुसना पड़ता है ।
*सवाल यह है कि सामने से विपरीत दिशा में वाहन आ रहा है तो पहली लाइन में चलने वाले या दोपहिया वाहनों के बचने का कोई उपाय नहीं है।*
*बेहतर होगा कि लेन सिस्टम लागू करने से पहले –*
*1-* सड़कों की दशा दुरुस्त की जाए दुपहिया वाहनों के चलने की लेंन तथा सर्विस रोड बनाई जाए। ताकि किसी भी वाहन को हाईवे रोड पर चलने के लिए बिल्कुल भी रॉन्ग साइड में नहीं चलना पड़े।
*2-* प्रदेश में *बे-लगाम सड़कों पर दौड़ने वाले यमदूत डंपर या ट्रोले* ही दुर्घटनाओं का कारण रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि इन वाहन *चालकों या मालिकों की पुलिस और परिवहन विभाग से सेटिंग रहतीं हैं। जिसके चलते इन्हें कानून का भय नहीं रहत।* कई वाहनों पर नंबर तक नहीं लिखें रहते ताकि दुर्घटना के बाद अपने वाहन के साथ मौके से भागे तो कोई व्यक्ति नंबर नहीं नोट कर पाए। और कभी किसी कारणवश नहीं भाग पाए तो , जनता के अन्य मदद के लिए भले ही पुलिस समय पर नहीं पहुंचे पर ऐसे लापरवाह या दो नंबरी वाहन चालकों को बचाने, उनकी मदद के लिए सेटिंग बाज पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचती।
3 – इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण यह है कि *सड़क किनारे शराब के ठेकों को हटाकर हाईवे से दूर* स्थापित किया जाए ।
बड़ी ही हास्यपद है बात है कि राजस्थान जो पानी की कमी के लिए पहचाना जाता था। अब हाईवे रोड़ पर हर दो- तीन किलोमीटर पर शराब के ठेके खुले हुए हैं।इसमें कितने वैध कितने अवैध है यह अलग बात है।
पूर्व में कोर्ट के आदेश पर सड़क से ठेके की दूरी 400 मीटर रखी गई थी। लेकिन कुछ वर्ष से ठेके हाईवे रोड किनारे ही लग गए हैं। आग के किनारे रहकर घी को पिघलने से रोका नहीं जा सकता। हाईवे पर ठेके खुलवा कर कानून बनाकर वाहन चालकों को शराब पीने से रोकना कैसे सम्भव होगा?
वाहन चलाते समय चालक के नशा करने पर लगाम लगाई जाए तो दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आ सकती है। और *यह काम केवल पुलिस या परिवहन विभाग के भरोसे नहीं हो सकता। इसके लिए जनता का सहयोग लेना भी जरूरी है*।
जैसे भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए टोल फ्री नंबर जारी कर रखे हैं ।इसी तर्ज पर यदि कोई वाहन चालक नशे मे या *लापरवाही पूर्वक तेज गति से वाहन चलाते है तो उसकी वीडियो बनाकर सरकार या अधिकारियों के पास भेजने के लिए टोल फ्री नंबर* जारी होने चाहिए।
लापरवाही पूर्व वाहन चलाने वाली की वीडियो बनाकर यदि टोल फ्री नंबर पर व्हाट्सएप करें तो *वाहन चालकों में कानून का भय बनेगा।* दुर्घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले को सरकार द्वारा पुरस्कार राशि दी जाती है ।
तो *दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जागरूक रहने वालों और सूचना देने वालों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।*
*4* अन्त में सबसे महत्वपूर्ण कि, रोंग साईड से चलने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके बिना लेन सिस्टम लागू करने से दुर्घटनाएं घटने की बजाय और ज्यादा बढ़ेगी। रोंग साईड चलने तथा ट्रेफिक नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों को रिफ्रेशर ट्रेनिंग करवानी चाहिए। ताकि वे यातायात में सुरक्षा के नियमों को जान सके।
इसके लिए अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन अधिकारी श्री वीरेन्द्र सिंह राठौड़ के सहयोग से बांदनवाड़ा के निकट सिंगावल कस्बे में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोला गया है जिसमें 5 घंटे की निःशुल्क ट्रैनिंग दी जाती है। ट्रैनिंग प्राप्त चालकों से दुर्घटनाओं की रोकथाम में मददगार साबित हुई है।यह सेंटर अब तक 5000 से अधिक वाहन चालकों को ट्रेनिंग दे चुका है।
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*हीरालाल नाहर पत्रकार व चिंतक*
*9929686902*