साझा काव्य संग्रह यशिता प्रकाशन दिल्ली द्वारा हुआ प्रकाशित।
हर राष्ट्र की आत्मा एक प्रतीक में बसती है। भारत की आत्मा तिरंगे में समाई है – वह तिरंगा जो न केवल हमारी पहचान है, बल्कि हमारी अस्मिता, बलिदान और गौरव का प्रतीक है। यह केवल रंगों का संयोजन नहीं, बल्कि उन अनगिनत भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक भारतीय के हृदय में जन्म लेती हैं – देशभक्ति, प्रेम, करुणा, संघर्ष, और एकता।
“तिरंगा” साझा काव्य संकलन एक ऐसा ही प्रयास है, जहाँ भारत के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने अपने हृदय की गहराइयों से निकली कविताओं के माध्यम से इस पावन ध्वज को नमन किया है। यह संकलन उन अनकहे भावों का संग्राहक है, जिन्हें शब्दों के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया गया है।
इस पुस्तक में प्रकाशित प्रत्येक कविता, केवल एक रचना नहीं – एक प्रण है। यह प्रण है एक ऐसे भारत का, जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, सामाजिक रूप से एकजुट और आत्मिक रूप से बलशाली है। इसमें वंदना है उन वीरों की जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर इस तिरंगे को कभी झुकने नहीं दिया। इसमें स्वर है उस माँ की जो अपने लाल को वतन पर न्यौछावर करने के लिए आँसू छुपा लेती है। इसमें आह्वान है नई पीढ़ी के लिए, जो अपने कर्तव्य को धर्म मानकर आगे बढ़े।
“तिरंगा” संकलन की विशेषता इसकी बहुवर्णीयता है – जहाँ विभिन्न भाषाओं, क्षेत्रों, संस्कृतियों और जीवन अनुभवों से आए रचनाकार एक सुर में गाते हैं – वन्दे मातरम्! यह संग्रह दर्शाता है कि चाहे किसी का कलम पंजाब की मिट्टी से सने हो या बंगाल की नदियों से, चाहे किसी की भावनाएँ हिमालय की ऊँचाइयों से उपजी हों या मरुधरा की तपती हवाओं से – जब बात तिरंगे की हो, तो हर कवि की आत्मा एक साथ स्पंदित होती है।
इस पुस्तक में कुछ कविताएँ ओज में डूबी हैं, तो कुछ कोमल भावनाओं से परिपूर्ण। कहीं शब्दों की धार है, कहीं भावों की गहराई। लेकिन सभी में एक साझा भावना है – भारतीयता। यही वह सूत्र है जो इस संकलन की सभी कविताओं को एक माला में पिरोता है।
हमें गर्व है कि “तिरंगा” केवल एक साहित्यिक संकलन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक दस्तावेज है, जो आने वाली पीढ़ियों को यह बताएगा कि किस तरह भारत की आत्मा साहित्य में भी जीवित रहती है। यह संकलन उन्हें प्रेरित करेगा कि तिरंगे को केवल झंडा न समझें, उसे अपने आचरण, विचार और कर्म में उतारें।
अंत में, यह भूमिका सभी रचनाकारों को नमन करते हुए समर्पित है, जिनकी लेखनी से यह संकलन सजा है। आप सभी की रचनाएँ मिलकर यह कहती हैं –
“जहाँ तिरंगा लहराता है, वहाँ कवियों के भाव भी उड़ान भरते हैं।”
जय हिंद! वन्दे मातरम्!
“तिरंगा” साझा काव्य संग्रह
संपादक – गणपत लाल उदय अजमेर राजस्थान