जैसे ही बागेष्वर धाम सरकार और पंडोखर धाम सरकार चर्चा में आए तो दावे प्रतिदावे के बीच माइंड रीडर्स व जादूगर भी विमर्ष में षामिल हो गए। वे बाकायदा इलैक्टॉनिक मीडिया के सामने अपनी कला का प्रदर्षन कर रहे हैं। वे स्वयं कह रहे हैं कि वे कोई चमत्कार नहीं कर रहे, बल्कि वे अपनी विधा को कला का संज्ञा दे रहे हैं। आपने देखा होगा कि माइंड रीडर्स सामने वाले को कुछ सोचने को कहते हैं और कहते हैं कि जो भी सोच रहे हैं, उसे मन ही मन जोर से बोलें। उसके तुरंत बार माइंड रीडर सामने वाले ने जो भी सोचा उसको स्लेट अथवा कागज पर लिख कर दिखा देते हैं। स्वाभाविक रूप से हर कोई चकित रह जाता है कि आखिर यह कैसे हो गया। चलो आध्यात्मिक संत मन की जो बात पकडते हैं, उसमें या तो किसी ईश्ट की भूमिका बताई जाती है, या फिर कर्ण पिषाचिनी सिद्ध होने की बात कही जा रही है, मगर माइंड रीडर्स के पास आखिर कौन सी तकनीक है, जिससे वे मन की बात पकड लेते हैं। वे इस कला का पूरे आत्मविष्वास के साथ प्रदर्षन कर रहे हैं, मगर उस कला के बारे में कुछ नहीं बताते और यह कह कर टाल देते हैं कि यह टेड सीक्रेट है, जिसका वे खुलासा नहीं कर सकते। जहां तक मेरी समझ है, वे टेली रेस्पांस पावर का इस्तेमाल करते हैं। जैसे कर्ण पिषाचिनी के मामले में व्यक्ति का सम्मुख होना जरूरी है, वैसे ही माइंड रीडर्स भी सामने होेने पर ही माइंड रीड करते हैं। हो सकता है वे सामने वाले के चेहरे के हाव भाव को भी पढने की भी सहायता लेते हों, या मनुश्य के वैचारिक पथ को पकडते हों, मगर मोटे तौर पर यही प्रतीत होता है कि वे टेली रेस्पांस पावर का इस्तेमाल करते हैं। यदि नेट पर वीडियो कॉलिंग के जरिए भी बात करते हैं तो चाहते हैं कि सामने वाले का चेहरा साफ दिखाई दे। दूर होने की स्थिति में विषेश रूप से इस पर जोर देते हैं कि जो भी मन में सोच रहे हैं, उसे मन ही मन बहुत जोर से उच्चारित करें। इस विधा पर पष्चिम में खूब काम हुआ है। इससे संबंधित अनेक पुस्तकें भी मार्केट में मौजूद हैं। टेली रेस्पांस पावर का उपयोग करने वाले हजारों किलोमीटर दूर मन की षक्ति से संदेष भेजते हैं और संदेष हासिल करते हैं।
टेली रेस्पांस पावर का इस्तेमाल करने वालों का दावा है कि निर्जीव वस्तुओं को भी संदेष या आदेष दिया जा सकता है। इसका एक डेमो इस प्रकार हैः- एक गिलास में पानी भर लीजिए। उसकी सतह पर तेल की बूंदे डाल दीजिए। तेल हल्का होने के कारण पानी पर तेल की फिल्म बन जाएगी। उस पर एक तिनका रख दीजिए। जाहिर तौर पर वह सतह पर तैरता रहेगा। इसके पष्चात उस पर नजर गडा कर मन की पूरी षक्ति से आदेष दीजिए कि बायें या दायें घूम जा। त्राटक सिद्ध व्यक्ति हो तो तिनका बाकायदा आदेष को फॉलो करता है। इस विधा के संबंध में कहा जाता है कि ध्यान के सतत प्रयास के बाद निर्जीवी वस्तु को भी आदेष दिया जा सकता है। वर्शों पहले एक व्यक्ति ने नजर गडा कर सामने रखी लोहे की चाबी को मोड कर दिखा दिया था। उसकी पूरी दुनिया में खूब चर्चा हुई थी। वह भी या तो नसर्गिक रूप से हासिल मजबूत इच्छा षक्ति या फिर टेली रेस्पांस पावर का कमाल था।