ऐसा पानी, जिसको पीने से अद्भुत ताकत मिलती है

एक दिन मेरे एक मित्र ने किसी विदेशी झील के पानी का डेमो करके दिखाया, जिसकी कुछ बूंदें जिव्हा पर रखने से षरीर में कुछ समय के लिए अतिरिक्त शक्ति आ गई। मैं अचंभित रह गया। विचार आया कि पानी के ऐसे किसी गुण का पता लगाया जाए। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के विभिन्न प्लेटफार्म्स पर तलाशा … Read more

हाथों की पूर्ण मुद्रा के क्या-क्या लाभ है?

आठों उंगलियां व दोनो अंगूठों को मिलाने की मुद्रा को कहते हैं पूर्ण मुद्रा आठों उंगलियों और दोनों अंगूठों को आपस में मिलाने से जो मुद्रा बनती है, वह पूर्ण मुद्रा या कई जगह प्राण मुद्रा का विस्तृत रूप मानी जाती है। इसका महत्व योग, ध्यान और आयुर्वेद, तीनों दृष्टियों से समझा जा सकता है। … Read more

पत्नी को पति का नाम लेने से क्यों रोका गया?

हम देखते हैं कि आजकल नव दंपत्ति बेहिचक एक-दूसरे को उनके नाम से पुकारते हैं। न तो इसमें उन्हें तनिक शर्म महसूस होती है और न ही ऐसा करने में उनको कुछ आपत्तिजनक लगता है। यहां तक कि अब तो प्यार से रखे गए शार्ट नेम का भी उपयोग करने लगे हैं। इसे एक दूसरे … Read more

एक ही बार राम का नाम लिया और मर गया

एकाग्रता का बड़ा महत्व है। चाहे ध्यान या समाधि में, चाहे संसार के दैनंदिन कार्यों में। जो भी काम हम एकाग्रता से करते हैं, उसके पूरे होने की संभावना बढ़ जाती है। एकाग्रता के अनेक उदाहरण भी हमारी जानकारी में हैं। सर्वाधिक चर्चित है अर्जुन और चिडिय़ा की आंख वाला प्रसंग। अर्जुन जब चिडिय़ा की … Read more

उपांशु जप बहुत प्रभावकारी है

शास्त्रों में जप तीन प्रकार का माना गया है-मानस, उपांशु और वाचिक। वाचिक सरल, उपांशु कुछ कठिन और मानस कड़ी साधना के बाद संभव हो पाता है। मन ही मन मंत्र का अर्थ मनन करके उसे धीरे-धीरे इस प्रकार उच्चारण करना कि जिह्वा और ओंठ में गति न ही, मानस जप कहलाता है। जिह्वा और … Read more

क्या भगवान प्रसाद ग्रहण करते हैं?

स्थूल व तार्किक बुद्धि का एक सवाल है कि हम भगवान की मूर्ति के आगे जो प्रसाद चढ़ाते हैं, क्या वह उसे ग्रहण करती है? अगर ग्रहण करती है तो वह कम क्यों नहीं होता? अगर मूर्ति प्रसाद का अंश मात्र भी ग्रहण नहीं करती तो फिर प्रसाद चढ़ाने का प्रयोजन क्या है? सवाल वाजिब … Read more

दीपक से दीपक क्यों नहीं जलाना चाहिए?

हमारे यहां दीप से दीप जले की बड़ी महिमा है। ज्ञान के प्रसार के लिए इस उक्ति का प्रयोग किया जाता है। व्यवहार में यह बिलकुल ठीक भी है। एक व्यक्ति से ही दूसरे में ज्ञान का प्रकाश जाता है और उससे आगे वह अन्य में। इस प्रकार यह सिलसिला चलता रहता है। मगर धर्म … Read more

क्या मोर के आंसू से मोरनी गर्भवति होती है?

बचपन में मैने एक प्रसंग सुना था। वो ये कि मोर मोरनी को रिझाते वक्त अपने खूबसूरत पंखों को देख कर इठलाता है, लेकिन जैसे ही अपने बदसूरत पैर देखता है तो दुखी हो जाता है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगते है। मोरनी तुरंत उसके आंसू पी लेती है और उसी से उसके भीतर … Read more

चौराहे, तिराहे व मार्ग के भी देवता होते हैं?

हिंदू धर्म में तैंतीस कोटी अर्थात करोड़ देवी-देवता माने जाते हैं। हालांकि इसको लेकर मतभिन्नता भी है। कुछ जानकारों का कहना है कि कोटि का अर्थ करोड़ तो होता है, मगर कोटि का अर्थ प्रकार भी होता है। उनका कहना है कि देवता तैंतीस कोटि अथवा प्रकार के होते हैं। जो कुछ भी हो, मगर … Read more

क्या इंशा अल्लाह कहना जरूरी है?

आम तौर पर जब भी हम कोई काम करने का इरादा करते हैं तो उसका जिक्र करते वक्त कहते हैं कि अगर भगवान ने चाहा तो। मुस्लिम लोग इंशा अल्लाह कह कर ही काम करने का ऐलान करते हैं। इसके मायने ये हैं कि हम ने तो इरादा किया है, मगर वह तभी संभव होगा, … Read more