अजमेर जिला बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव में अशोक सिंह रावत को अध्यक्ष चुना जाना भले ही वकील जमात का मसला हो, मगर इसने एक राजनीतिक संभावना को जन्म दिया है। इसके लिए रावत की पृश्ठभूमि को देखना होगा। रावत ने गत विधानसभा का चुनाव आरएलपी के चुनाव चिन्ह पर पुष्कर से भाजपा उम्मीदवार सुरेश सिंह रावत के सामने लड़ा था। उन्हें 16 हजार से भी ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे। वे पूर्व में पीसांगन पंचायत समिति के प्रधान भी रह चुके हैं। यानि राजनीति का भरपूर अनुभव है। पिछले चुनाव में भले ही उन्होंने किन्हीं समीकरणों के तहत आरएलपी का दामन थामा हो, मगर आगामी चुनाव में कांग्रेस उन पर विचार कर सकती है। उसकी एक वजह यह भी है कि रावत को कांग्रेस विचारधारा वाले वकीलों का साथ मिला है। वैसे भी पुश्कर में श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ के लगातार तीसरी बार हारने के बाद एक वैक्यूम उत्पन्न हो गया है। हालांकि कांग्रेस यहां मुस्लिम को प्राथमिकता देती रही है, मगर उसे अगर मसूदा में कोई उपयुक्त मुस्लिम उम्मीदवार मिल जाए तो वह पुश्कर में रावत पर दाव खेल सकती है। चूंकि पिछले चुनाव में उन्हें समाज के नेता डॉ. शैतान सिंह रावत और कपालेश्वर मंदिर के महंत सेवानंद गिरी का साथ मिला था, अतः प्रयोग के बतौर उन्हें ब्यावर में भी आजमाया जा सकता है। वैसे इतना पक्का माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कोई मौका नहीं छोडेंगे।