Skip to content
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • जनरल न्यूज
  • दखल
  • गेस्ट राइटर

समाजवाद के प्रणेता अहिंसावादी प्रथम वैश्य सम्राट महाराजा अग्रसेन

गेस्ट राइटर
/
September 21, 2025
डा. जे. के. गर्ग

निर्विवाद रूप से किसी भी राष्ट्र या समाज एवं परिवार को उन्नत विकसित और कल्याणकारी बनाने के लिये उसके आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्तम्भों का मजबूत होना अति आवश्यक है | इन चारों स्तंभों को दृढ़ करके ही राष्ट्र को प्रगतिशील एवं विकसित देश बनाया जा सकता है |लगभग 5146 वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेनजी इन्हीं चार स्तंभों को मजबूत कर समर्द्धशाली, कल्याणकारी समाजवादी एवं शक्तिशाली राज्य का निर्माण करने में सफल हुए थे | अग्रसेन एक पौराणिक कर्मयोगी लोकनायक होने के साथ साथ अहिंसा और समाजवाद के प्रणेता तपस्वी धर्म परायण दानवीर युग पुरुष थे जिनका जन्म द्वापर युग के अंत वह कलयुग के प्रारंभ में लगभग 514,6वर्ष पूर्व अश्विनशुक्ल प्रतिपदा के दिन प्रताप नगर के सूर्यवंशी राजा वल्लभसेन के यहाँ हुआ था उनकी माताजी का नाम भगवतीदेवी था। प्रतापनगर राजस्थान एवं हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे स्थित हुआ करता था |

ऐसा भी कहा जाता है की महाराजा अग्रसेन भगवान श्रीरामके पुत्र कुश की 34 व़ी पीढ़ी के थे | इस मान्यता के मुताबिक अग्रवंशी भगवान राम के वंशस होते है | कहा जाता हे कि महाभारत के दसवें दिन राजा वल्लभसेन वीर गति को प्राप्त हो गये थे |पन्द्रह वर्ष की अल्प आयु मे ही अग्रसेनजी ने महाभारत के धर्मयुद्ध में पांडवो की तरफ से भाग लिया था|  भगवान श्रीकृष्ण भी उनकी बुद्धीमता,शोर्य,पराक्रम,समझबुझ से अत्यंत प्रभावित हुए थे और उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि युवा अग्रसेन भविष्य में एक पराक्रमी सम्राट एवं युग पुरुष होंगे |

विवाह 

युवा अग्रसेन ने सर्पों के राजा नागराज की बेटी राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में अनेकों राजाओं, राजकुमारों और स्वर्ग के सम्राट इंद्रदेव के साथ भाग लिया था | इंद्र देवता राजकुमारी माधवी की सुंदरता पर मोहित थे इसीलिए एन केन प्रकारेण राजकुमारी माधवी से विवाह करना चाहते थे| स्वयंवर में राजकुमारी माधवी ने राजकुमार अग्रसेन का चयन कर उनका वरण किया | अग्रसेन माधवी के विवाह से दो विभिन्न संस्कृतियों एवं परिवारों का मिलन हुआ क्योंकि राजकुमार अग्रसेन जहाँ एक सूर्यवंशी थे वहीं राजकुमारी माधवी एक नागवंशी थी | राजकुमारी माधवी का विवाह अग्रसेन जी के साथ हो जाने से इंद्रदेव ने अपने आप को अपमानित महसूस किया और वे ईर्ष्या ग्रस्त होकर  बहुत क्रोधित हुए और इन्द्र ने प्रताप नगर के निर्दोष स्त्री-पुरुषों,बालक-बालिकाओं को प्रताड़ित करने हेतु प्रताप नगर पर कई वर्षा तक बारिश नहीं होने दी जिससे प्रताप नगर में भयानक अकाल पड गया | सम्राट अग्रसेन ने अपनी प्रजा एवं प्रताप नगर की सुरक्षा और राजधर्म के पालनार्थ इंद्र के खिलाफ धर्मयुद्ध प्रारम्भ कर दिया | युद्ध में इंद्र की पराजय हुई | पराजित इंद्रने नारदमुनि से अनुनय-विनय कर उनकी सम्राट अग्रसेन से सुलह कराने का निवेदन किया | नारद मुनि ने दोनो के बीच में मध्यस्थता करके सुलह करवा दी |

भगवान शिव और माता लक्ष्मी की आराधना 

यहाँ यह स्मरण रखने वाली बात है कि महाभारत के युद्ध के कारण जन धन की बहुत तबाही हुई थी इसलिए अपने राज्य की खुशहाली के वास्ते महाराजा अग्रसेन ने काशी जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिससे खुश हो कर भगवान शिवजी ने उन्हें दर्शन दिया और उनको आदेश दिया कि वे महालक्ष्मी जी की पूजा और ध्यान करे | अग्रसेन ने महालक्ष्मी की पूजा आराधना शुरू कर दी | माँ लक्ष्मी ने उनकी परोपकार हेतु की गई तपस्या से खुश होकर उन्हें दर्शन दिए और आदेश दिया कि वे अपना एक नया राज्य बनायें और क्षत्रिय परम्परा के स्थान पर वैश्य परम्परा अपना लें | माता लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनके और उनके अनुयायियों को कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होगी , वे सभी सदैव सुख सुविधा युक्त जीवन व्यापन करगें। लक्ष्मी माता का आदेश मान कर अग्रसेन महाराज ने क्षत्रिय कुल को त्याग वैश्य धर्म को अपना लिया, इस प्रकार महाराजा अग्रसेन प्रथम वैश्य सम्राट बने | 

अग्रोहा शहर का जन्म 

देवी महालक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद राजा अग्रसेन ने नए राज्य की स्थापना एवं उस राज्य की राजधानी के चयन हेतु रानी माधवी के साथ भारत का भ्रमण किया, अपनी यात्रा के दौरान वे एक जगह रुके जहाँ उन्होंने देखा कि कुछ शेर और भेड़िये के बच्चे साथ खेल रहे थे | राजा अग्रसेन ने रानी माधवी से कहा के ये बहुत ही शुभ दैवीय संकेत है है जो हमें इस पुण्य भूमि पर हमारे राज्य की राजधानी को स्थापित करने का इशारा कर रहा है | ऋषि मुनियों और ज्योतिषियों की सलाह पर नये राज्य का नाम अग्रेयगण रखा गया जिसे कालान्तर में यह स्थान अग्रोहा नाम से जाना गया। अग्रोहा हरियाणा में हिसार के पास हैं। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज के लिए तीर्थ स्थान के समान है। यहां भगवान अग्रसेन, माता माधवी और कुलदेवी माँ लक्ष्मी जी के भव्य और दर्शनीय मंदिर है |

समाजवाद के प्रेरणता

महाराजा अग्रसेन जी के राज्य में यह परंपरा थी कि जो भी व्यक्ति या परिवार उनके राज्य में आकर बसता था, अग्रोहा के सभी निवासी नवागंतुक नागरिक को सम्मान और स्वागत के रूप में एक रुपया और एक ईंट भेंट करते थे। कहा जाता है कि उस समय अग्रोहा में लगभग एक लाख से अधिक परिवार बसते थे। इस प्रकार उनके राज्य में आने वाला हर नागरिक एक लाख रुपये तथा एक लाख ईंटों का स्वामी बन जाता था। इन रुपयों से वह अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता था वहीं ईंटों से अपना खुद का मकान बना लेता था। यही परंपरा समाजवाद की ही मिसाल है निसंदेह अग्रसेन जी ने विश्व में सबसे पहले समाजवादी राष्ट्र की स्थापना की थी | 

पशु बलि बंद करने वाले प्रथम सम्राट कुलदेवी माता लक्ष्मी की कृपा से भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र हुये। राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया। उन दिनो यज्ञों में पशुबलि दी जाती थी। जिस समय 18 वें यज्ञ में जीवित पशुओं की बलि देने की तैयारी की जा रही थी उस वक्त एक घोडा बली के लिए लाया गया | महाराज अग्रसेन ने देखा कि घोड़े की निरीह आँखों से अविरल  आंसू  बह रे थे और वो निरीह पशु यज्ञ की वेदी से दूर जाने और वहां से भागने की कोशिश कर रहा था | इस दृश्य को देख कर महाराज अग्रसेन का दिल दया से भर गया और वे आहत भी हुए | उन्होंने सोचा कि ये कैसा यज् है जिसमें हम मूक जानवरों की बलि चढ़ाते है ? महाराजा अग्रसेन ने पशु वध को बंद करने के लिये अपने मंत्रियों के साथ विचार विमर्श किया और अपने मंत्रिमंडल के विचारों के विपरीत जाकर उन्हें समझाया कि अहिंसा कभी भी कमजोरी नहीं होती है बल्कि अहिंसा तो एक दूसरे के प्रति प्रेम और अपनापन जगाती है| महाराजा अग्रसेन ने तुरंत प्रभाव से मुनादी करवा दी की उनके राज्य मे कभी भी कोई हिंसा और जानवरों की हत्या नहीं होगी | अग्रसेन जी अहिंसा परमो धर्म का संदेश देने वाले प्रथम महाराजा बन अहिंसा का संदेश उन्होंने भगवान बुद्ध और भगवान महावीर के अहिंसा के संदेश से 2500 साल पहले दे दिया था |

शासन व्यवस्था 

भगवान अग्रसेन ने एक तांत्रिक शासन प्रणाली के स्थान पर एक नयी प्रजातांत्रिक राज्य व्यवस्था को जन्म दिया अग्रसेन जी ने वैदिक सनातन आर्य संस्कृति की मूल मान्यताओं को लागू कर राज्य के पुनर्गठन में कृषि व्यापार उद्योग, गौ पालन के विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। महाराजा अग्रसेन जी पहले शासक थे जिन्होंने सहकारिता के आदर्श को सामाजिक जीवन में प्रतिस्थापित किया। उन्होंने जीवन के सुख सुविधाओं एवं भोग विलास आदि पर धन के अपव्यय के स्थान पर जीवन में सादगी, सरलता और मितव्ययिता बरतने पर जोर दिया। अग्रसेन के मतानुसार “व्यक्ति को अपनी उपार्जित आय को चार भागों में बांट कर एक भाग का उपयोग परिवार के संचालन हेतु, दूसरे भाग का उपयोग उद्योग व्यवसाय या जीविका चलाने हेतु, तीसरे भाग का उपयोग सार्वजनिक कार्यों तथा चौथे भाग का उपयोग बचत कर राष्ट्र की समृद्धि में”करना चाहिये।

अग्रवाल के 18 गोत्र एवं उनका नामकरण हममें से अधिकाक्षं लोगों की मान्यता है कि अग्रवालों के 18 या साढ़े सत्तराह गोत्रो के नाम उनके 18 पुत्रों के नाम से रक्खें गये है किन्तु वास्तविकता में गोत्रो के नाम 18 यज्ञ करवाने वाले ऋषियों के नाम से है | महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन को 18पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया। माना जाता है कि इन 18 यज्ञों को ऋषि मुनियों ने सम्पन्न करवाया और इन्हीं ऋषि-मुनियों के नाम पर ही अग्रवंश के गोत्रों का नामकरण हुआ | प्रथम यज्ञ के पुरोहित स्वयं गर्ग ॠषि बने, उन्होंने राजकुमार विभु को दीक्षित कर उन्हें गर्ग गोत्र से मंत्रित किया। इस प्रकार अग्रवालों के 18 गोत्र हैं यथा गर्ग, तायल, कुच्चल, गोयन, भंदेल, मंगल, मित्तल, बंसल, बिंदल, कंसल, नागल, सिंघल, गोयल, तिंगल, जिंदल, धारण, मधुकुल, एरेन | ॠषियों द्वारा प्रदत्त अठारह गोत्रों को भगवान अग्रसेन के 18 पुत्रों के साथ भगवान द्वारा बसाई 18 बस्तियों के निवासियों ने भी धारण कर लिया एक बस्ती के साथ प्रेम भाव बनाये रखने के लिए एक सर्वसम्मत निर्णय हुआ कि अपने पुत्र और पुत्री का विवाह अपनी बस्ती में नहीं दूसरी बस्ती में करेंगे। आगे चलकर यह व्यवस्था गोत्रों में बदल गई जो आज भी में प्रचलित है। राज्य के उन्हीं 18 गणों से एक-एक प्रतिनिधि लेकर उन्होंने लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना की, जिसका स्वरूप आज भी हमें भारतीय लोकतंत्र के रूप में दिखाई पडता है। महाराजा अग्रसेन ने परिश्रम से खेती, व्यापार एवं उद्योगों से धनोपार्जन के साथ-साथ उसका समान वितरण और आय से कम खर्च करने पर बल दिया। जहां एक ओर अग्रसेन जी ने वैश्य जाति को न्याय पूर्ण व्यवसाय का प्रतीक तराजू प्रदान किया वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपनी प्रजा को आत्मरक्षा के लिए शास्त्रों के उपयोग की शिक्षा भी प्रदान करवाई थी | कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु के हाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए। 

र्तमान में अग्रवंशियो की संख्या लगभग आठ करोड़ है | अग्रसेन जी के वंशज आज भी उन्हीं की विचारधारा से प्रभावित होकर जनकल्याण के हितार्थ धर्मशाला, मंदिर,अनाथालय,अस्पताल पुस्तकालय, स्कूल एवं कालेज की स्थापना करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं |

सच्चाई तो यही है कि महाराजा अग्रसेन ने अपने विशाल परिवार को हमेशा एकता के सूत्र मे बांध कर एकजुट रक्खा | इसलिए सम्राट अग्रसेनजी ने अपने आपको एक महान एवं सफल मेनेजमेंट गुरु के रूप में स्थापित किय| महाराजा अग्रसेन ओर माता माधवी ने अपने सभी 18 पुत्रों को श्रेष्ठतम संस्कार प्रदान किये थे | महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का प्रवर्तक ,अहिसां के पुजारी, सुयोग्य प्रशासकएवं आदर्श मेनेजमेंट गुरु के रूप में जाना जाता है आठ  करोड़ से ज्यादाअग्रवालों के लिये उनके सिद्धांत हमेशा अनुकरणीय और प्रेरक बने रहेगें | याद

करने योग्य बात यह भी है सम्राट अकबर के नवरत्नों में  दो नवरत्न  अग्रवाल थे।अग्रसेनजी के 5146

वे जन्मदिवस पर कोटि कोटि प्रणाम |

डा. जे. के. गर्ग

पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर

पिछला अग्रसेन जयंती महोत्सव : मस्ती की पाठशाला, रक्तदान व चिकित्सा शिविर तथा महिला सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न अगला विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने किया 2 करोड़ की लागत के नाले का शिलान्यास

Leave a Comment Cancel reply

Recent Posts

  • जीएसटी में सुधार का आमजन को मिले लाभ – जिला कलक्टर
  • अवैध खनन की रोकथाम को लेकर जिला कलक्टर लोक बन्धु ने ली बैठक
  • शहरी सेवा शिविर
  • जर्जर भवन का उपयोग तुरंत बंद करें, सफाई सुधारें, वर्कशॉप को स्थानांतरित करें- देवनानी
  • *श्री अग्रसेन जयन्ती महोत्सव कार्यक्रमों के तहत सांस्कृतिक संध्या सम्पन*

संपादक की पसंद

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
Loading...
दखल

पिज्जा खाने से रुकी किरपा आ जाती है

December 14, 2024
दखल

पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

February 20, 2023
दखल

श्रद्धा जैसे एक और कांड से रूह कांप गयी

February 16, 2023
दखल

अमृत की राह में बड़ा रोड़ा है भ्रष्टाचार

February 8, 2023
दखल

सामाजिक ताने- बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

February 4, 2023

जरूर पढ़े

Loading...
गेस्ट राइटर

गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट

February 2, 2018
© 2025 • Built with GeneratePress