दिनांक 4 सितम्बर 2025: राजस्थान महिला कल्याण मण्डल चाचियावस एवं भगवन्त यूनिर्वसिटी अजमेर के द्वारा संयुक्त रूप से भारतीय पुनर्वास परिषद् नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त दो दिवसीय राज्य स्तरीय सतत पुनर्वास शिक्षा (सी.आर.ई.) कार्यक्रम प्रशिक्षण सम्पन्न किया गया। भगवन्त यूनिवर्सिटी सभागार में आयोजित इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय सी.आर.ई. कार्यक्रम प्रशिक्षण का उद्घाटन प्रो. वी.के. शर्मा वाइस चांसलर भगवन्त यूनिवर्सिटी की अध्यक्षता एवं अजमेर शहर भाजपा अध्यक्ष रमेश सोनी के मुख्य आतिथ्य में हुआ तथा यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार डॉ. बी.के. अम्बाष्टा, समाजसेवी विक्रम सिंह राठौर, संस्था सचिव एवं मुख्यकार्यकारी क्षमा आर. कौशिक, निदेशक राकेश कुमार कौशिक, रिसार्स पर्सन शुभा चन्द्र शेखर, उप निदेशक डॉ. भगवान सहाय शर्मा आदि ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपनी उपस्थिति दी तथा राज्य के 143 सी.आर.ई. पंजीकृत विशेष शिक्षकों सहित 193 प्रतिभागियों ने भागीदरी ली।
प्रशिक्षण में सन्दर्भ्य व्यक्ति डॉ. भगवान सहाय शर्मा व ईश्वर शर्मा के द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद्, दिव्यांगजन अधिकार अधिनिय 2016 तथा इसके मुख्य प्रावधानों एवं 21 प्रकार की विकलांगताओं के बारे में जानकारी दी। रिसोर्स पर्सन शुभा चन्द्रशेखर ने अपने सत्र में यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निंग सिद्वान्त के विभिन्न पहलुओं एवं विशेष शिक्षको के लिए इसके महत्व एवं उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। द्वितीय दिवस में जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के डॉ. योगेन्द्र सिंह शेखावत ने कक्षा कक्ष में यू.डी.एल की उपयोगिता एवं महŸव के बारे में चर्चा की एवं प्रशिक्षक रघुवीर सिंह चौहान ने यू.डी.एल. में टेक्नोलोजी तथा ए. आई. के प्रयोग को शामिल करने के तरीकों के बारे में समझाया।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि आयुष वशिष्ठ उप पुलिस अधीक्षक अजमेर तथा विशिष्ठ अतिथि बी.के. अम्बाष्टा रजिस्ट्रार भगवन्त यूनिवर्सिटी अजमेर, संस्था निदेशक राकेश कुमार कौशिक, सचिव एवं मुख्य कार्यकारी क्षमा आर. कौशिक ने सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरण किया। संस्था के संयुक्त निदेशक अनुराग सक्सेना, अतिरिक्त निदेशक तरूण शर्मा, लेखाधिकारी नेमीचन्द वैष्णव, आईटी इन्चार्ज लक्ष्मण सिंह चौहान, भंवर सिंह गौड़, पदमा चौहान, मयंक रंगा, प्रियंका मेघवाल, पूरणमल, विक्रान्त, सरोज शर्मा, बरखा गेहलोत आदि ने सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन उप निदेशक नानूलाल प्रजापति ने किया। तथा रश्मि गुप्ता तथा अलबीना खान ने सत्रों का सांकेतिक भाषा में अनुवाद किया।
(राकेश कुमार कौशिक)
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