राजस्थान में भाजपा तीनो सीटों पर हार रही है , दो लोकसभा और एक विधानसभा इसका मतलब राजस्थान की करीब 17 विधानसभा सीट पर भाजपा की हार हुई है इसका सीधा कारण है कि राजस्थान की जनता भाजपा सरकार के कार्य से खुश नही है बल्कि नाराज है
इन चुनावों का सीधा आंकलन भाजपा की राज्य सरकार के कार्य के तौर पर किया जाएगा क्योंकि इन चुनावों में केंद्र ने अपनी भूमिका बिल्कुल न के बराबर रखी
ये पहले चुनाव थे जिनमें केंद्र से कोई बड़ा मंत्री नही आया न ही भाजपा के कद्दावर नेता और भाजपा के मुख्य चुनावी रणनीतिकार भूपेंद्र यादव इन चुनावों में सक्रिय नजर आए
इसका सीधा मतलब है केंद्र द्वारा वसुंधरा सरकार को स्पष्ट निर्देश यदि जीते तो राजगद्दी हारे तो बोरिया बिस्तर गुल
अब राजस्थान की राजनीति में एक बड़ी उठा पटक होने की संभावना है और यदि अब भी नही चेते तो निश्चित ही जनता विधानसभा के चुनाव में सबक सिखा देगी
जो राजनेता इस गलत फहमी में जीते है कि हम ही हम है बाकी सब कुछ नही वे समझ ले कि जनता से बड़ा कोई नही जनता आपको जिता सकती है तो हराने में भी एक मिनट लगाती है , इसीलिए लोकतंत्र में जनता जनार्दन है इससे जीतना किसी के बस में नही
अब अगर राज्य के स्तर पर शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन नही किया गया तो निश्चित है कि भाजपा 2018 के विधानसभा चुनावों में 163 से सीधे 63 पर आ जाये तो भी कोई बड़ी बात नही है
इन चुनावों मे सबसे बड़ा हार का कारण ओर जिम्मेदार शीर्ष नेतृत्व ही है , जनता वसुंधरा सरकार से बेहद नाराज है हालांकि मोदी जी का जलवा आज भी कायम है और यदि मोदीजी यहाँ एक या दो सभाएं कर देते तो परिणाम शायद कुछ भिन्न हो सकते थे , आज भी जनता में मोदीजी की छवि बहुत अच्छी है परंतु वसुंधरा सरकार की छवि बहुत नकारात्म है ,
इन चुनावों के परिणामो की गाज यदि छोटे मोटे प्यादों पर डाल दी गयी और शीर्ष नेतृत्व नही बदला गया तो इतिहास फिर दोहराया जाएगा और राजस्थान का कलंक लगा ही रह जायेगा कि यहाँ कोई पार्टी पांच साल से ज्यादा राज नही कर सकती
विनीत जैन
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