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असाधारण उपलब्धियों को सामने लाना: लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के यादगार स्पोर्ट्स रिकॉर्ड होल्डर

राष्ट्रीय
/
August 1, 2023

साल 2023 के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने विभिन्न पृष्ठभूमि से संबंधित चैम्पियनों की यादगार कहानियों का संग्रह पेश किया है। विशेष ‘रुकमत’ संस्करण के माध्यम से आज़ादी के 75 वर्षों का जश्‍न मनाते हुए, रिकॉर्डधारकों की असाधारण उपलब्धियों ने पाठकों के दिलो-दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
नए मानवीय प्रयासों में आगे रहने और पर्यावरण संरक्षण में उल्‍लेखनीय कोशिशें करने से लेकर एडवेंचर स्पोर्ट्स में सीमाओं से आगे जाने और बड़ी संरचनाओं के निर्माण तक, इन व्यक्तियों ने अकल्पनीय कार्यों को हकीकत में बदल दिया है। फिर चाहे सबसे बड़ा मंडला आर्टवर्क बनाने वाली राधा शंकरनारायणन हो या एथलेटिक्स में ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय नीरज चोपड़ा हों, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इन जैसे रिकॉर्डधारकों के अटूट दृढ़संकल्प, बेजोड़ लगन और जीत के लिए उनकी कभी न बुझने वाली प्यास का प्रमाण है। प्रभावशाली और प्रेरणादायी उपलब्धियों की सूची में से, साल 2022 में खेल जगत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय रिकॉर्ड्स नीचे दिए गए हैं-

1. भारत के युवा शार्प शूटिंग चैम्पियन – सितारों को पाने का लक्ष्य
अक्‍टूबर 2022 में काहिरा, मिस्र (इजिप्त) में हुई पुरूषों की एयर राइफल वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 18 वर्षीय रूद्रांक्ष पाटील वर्ल्ड चैम्पियन बने। क्वालिफाइंग राउंड के पहले चरण में 633.9 के स्कोर के साथ उन्‍होंने एक वर्ल्‍ड रिकॉर्ड स्थापित किया। साल 2006 में अभिनव बिंद्रा के बाद एयर राइफल में वर्ल्ड चैम्पियन बनने वाले वह दूसरे भारतीय हैं।

2. ओल्ड इज़ गोल्ड – 105 वर्ष की अद्भुत महिला ने तेज़ दौड़ में नया कीर्तिमान बानाया!
35 वर्ष और इससे ज़्यादा की उम्र के एथलेटिक्स के शौकीनों के लिए आयोजित होने वाली वार्षिक प्रतियोगिता, नेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 105 वर्षीय रामबाई ने 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर साबित किया कि वे आज भी दिल और दिमाग से युवा ही हैं। इस चैम्पियनशिप में ये खिलाड़ी अपनी-अपनी आयु से संबंधित श्रेणियों के अनुसार अलग-अलग ट्रैक एवं फील्ड इवेंट्स में एकसाथ आते हैं और अपने साथी खिलाड़ियों के साथ मुकाबला करते हैं।

3. उम्र महज एक नंबर है….
इस कहावत को एक बार फिर दोहराया गया है! 94 वर्ष की उम्र में भगवानी देवी ने तेज़ दौड़ में शानदार प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड बुक में अपनी जगह बनाई है। जुलाई 2022 को प्रतिष्ठित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में उन्होंने एक बेहद प्रतिस्पर्धात्मक 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतने वाली सबसे ज़्यादा उम्र की व्यक्ति बनने का कीर्तिमान स्थापित किया है।

4. थॉमस कप में सुनहरी जीत
10 बार चैंपियन रही इंडोनेशिया को हराते हुए भारत ने बैडमिंटन में थॉमस कप – पुरूष टीम चैम्पियनशिप में पहला गोल्ड मेडल हासिल किया। थॉमस कप, जिसे पुरूषों की विश्व टीम चैंपियनशिप कहा जाता है, एक अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता है जिसमें खेल के वैश्विक नियामक मंडल – बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमें हिस्सा लेती हैं। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीतने वाली टीम में शामिल थे: वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीतेन वाले लक्ष्य सेन, के. श्रीकांत और वर्तमान में विश्‍व के 8वें नंबर के डबल्स खिलाड़ी चिराग शेट्टी और सात्विकसैराज रंकीरेड्डी।

5. महिला क्रिकेट में नई ऊंचाइयों को छूने वाली रिकॉर्ड निर्माता
मिथाली राज ने 232 मैंचों में 7,805 रनों के शानदार स्कोर के साथ महिला क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर लिया है। 7000 रनों के आंकड़े को पार करने वाली वह विश्व की एकमात्र महिला क्रिकेटर बन गई हैं!

6. गुरूत्वाकर्षण पर मात: एक एतिहासिक छलांग
36वें राष्ट्रीय खेल में, रोज़ी मीना पॉलराज ने 4.20 मीटर की ऊंचाई को पार करते हुए राष्ट्रीय खेल 2022 में महिला पोल वॉल्ट में आठ वर्ष पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एथलेटिक्स की दुनिया में तहलका मचा दिया। ट्रैक एंड फील्ड एथलेटिक्स में पोल वॉल्ट एक ऊंची कूद की प्रतियोगिता है जिसमें एक पोल की सहायता से एथलीट ऊंचाई पर स्थित बार के ऊपर से छलांग लगाता है। केवल एक सप्ताह के बाद ही उसने नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 4.21 मीटर की छलांग लगातार सभी को स्तब्ध कर दिया।

7. बिजली की रफ्तार के साथ रेस वॉक
राम बाबू ने साल 2022 में हुए 36वें राष्ट्रीय खेलों में पुरूषों के 35किमी रेस वॉक प्रतियोगिता में पुराने राष्ट्रीय कीर्तिमान (2.40.16) को करीब चार मिनट कम समय मे पूरा करते हुए 2.36.34 घंटे का नया रिकॉर्ड कायम किया।

पिछला शिक्षा बीच में छोड़ने की बढ़ती प्रवृत्ति चिन्ताजनक अगला नई दिल्ली, 1 अगस्त, 2023: स्किल इंडिया मिशन के स्ट्रेटेजिक इम्पलीमेन्टेशन और नॉलेज पार्टनर, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान रांची (आईआईएम-आर) ने संबंधित भौगोलिक क्षेत्रों में सतत सामाजिक-आर्थिक विकास और आदिवासी समुदायों में सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए, कौशल-आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम से जनजाति क्षेत्रों के लिए आजीविका के अवसर शुरू करने और जमीनी स्तर पर उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए आपस में सहयोग किया है। यह अनूठा इंटर्नशिप प्रोग्राम आईआईएम रांची के 80 इन्टर्न को सामाजिक परियोजनाओं के बारे में प्रासंगिक अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें एक मल्टीस्किल डेवलपमेन्ट सेन्टर सिंगी दाई वन विज्ञान केंद्र की योजना और स्ट्रेटेजिक इम्प्लीमेन्टेशन प्रयासों का एक अभिन्न अंग बनाता है। प्रोग्राम का फोकस स्थानीय संसाधनों और संस्कृति के अनुरूप औषधीय पौधों, हॉट्रीकल्चर और एरोमैटेकि एसेन्शियल ऑयल क्षेत्रों जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर है। पहल के एक भाग के रूप में, आईआईएम रांची के इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (आईपीएम) के दूसरे वर्ष के छात्रों ने विकास भारती, बिशुनपुर, झारखंड में अपना पांच दिन का विज़िट पूरा किया, जिसमें ग्रामीण विकास पहलों पर गहन जानकारी प्रदान की गई और स्थिरता को बढ़ावा देने, स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नवीन समाधानों पर विचार किया गया। जनजाति समुदायों को सशक्त बनाने में 40 वर्षों का अनुभव रखने वाला एक सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइज़ेशन, विकास भारती बिशुनपुर, इस परियोजना में इम्प्लीमेन्टेशन पार्टनर है। इस अवसर पर पद्मश्री अशोक भगत जी भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस इनोवेटिव अप्रोच के बारे में जानकारी देकर दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह अवसर छात्रों के लिए आंखें खोलने वाला था और उन्हें अपने समुदाय के साथ तालमेल बिठाने और आजीविका के लिए समाधान खोजने में सक्षम बनाया गया। उनकी अत्याधुनिक अप्रोच, आउट ऑफ़ द बॉक्स थिंकिंग उनके द्वारा लाए गए समाधानों में दिखाई देती है। एक इन्टीग्रेटेड अप्रोच के माध्यम से, एनएसडीसी और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय जमीनी स्तर के ऑर्गनाइजेशन को आईआईएम और इन्डस्ट्री एक्सपर्ट्स के साथ काम करने में मदद कर रहे हैं। प्रोग्राम को मजबूत करने और औपचारिक रूप देने के लिए, आईआईएम रांची के छात्रों ने खुद को तीन इन्टरप्राइज़ के रूप में विभाजित किया और मार्केटिंग योजनाओं पर काम किया जो बेहतर कृषि उत्पादन और सामुदायिक जुड़ाव के लिए रणनीतियां प्रदान करती हैं। एक महीने के इंटर्नशिप कार्यक्रम ने नौ बैचों में इन्टर्न को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया, जिसमें तीन वर्टिकल्स के तीन-तीन ग्रुप शामिल थे, जिन्होंने एक इन्टरप्राइज़ पर एक साथ काम किया। इस अवसर पर बोलते हुए, एनएसडीसी के सीईओ और एनएसडीसी इंटरनेशनल के एमडी, श्री वेद मणि तिवारी ने कहा, कृषि, औषधीय पौधों और एरोमैटिक ऑयल में उद्यमिता के अवसरों को बढ़ावा देना आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने और विशिष्ट क्षेत्रों में उनके कौशल को निखारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अपने कोऑपररेटिव प्रयासों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य आईआईएम रांची के छात्रों को स्किल अपग्रेडेशन, रोबस्ट ट्रेनिंग और आवश्यक टूलकिट प्रदान करना है, जिससे भारत के आदिवासी समुदायों को मेन्टरिंग सपोर्ट प्रदान किया जा सके। यह सामूहिक प्रयास स्थायी आय उत्पन्न करके समुदायों को सशक्त बनाने के हमारे विज़न से जुड़ा है। एनएसडीसी, आईआईएम रांची और विकास भारती के बीच इस सहयोग के माध्यम से, हम न केवल स्थानीय सरकारों, एनजीओ और इन्डस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ मजबूत संबंध स्थापित करेंगे बल्कि स्थानीय लोगों के लिए मार्केट लिंकेज और इन्डस्ट्री कनेक्ट भी बनाएंगे। उन्होंने आगे कहा, प्रत्येक ग्रुप द्वारा प्रस्तुत योजनाओं में इनोवेटिव स्ट्रेटेजी का प्रदर्शन किया गया जिन्हें हम वास्तव में आदिवासी समुदायों की सेवा के लिए कार्यक्रम में अपनाएंगे। मैं छात्रों को उनके शानदार विचारों और प्रगतिशील अप्रोच के साथ आने के लिए बधाई देता हूं। आईआईएम रांची के डायरेक्टर प्रोफेसर दीपक कुमार श्रीवास्तव ने झारखंड में आदिवासी उद्यमिता के दायरे और महत्व पर प्रकाश डाला। अपने स्ट्रेटेजिक प्लान आईआईएम रांची@2030 द्वारा निर्देशित, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रांची का लक्ष्य एक विश्व स्तर पर प्रसिद्ध संस्थान बनना है जो स्थानीय लोगों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। आईआईएम रांची का इरादा भारत में जनजातीय उद्यमों के क्षेत्र पर वास्तविक दुनिया में प्रभाव पैदा करने और जनजातीय अर्थव्यवस्था के दायरे को अकादमिक और नीतिगत चर्चाओं में सामने लाने के लिए जनजातीय उद्यमिता पर रिसर्च करने का है। इसलिए, जनजातीय उद्यमिता पर रिसर्च जनजातीय क्षेत्रों में जनजातियों के स्वामित्व वाले उद्यमों की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करेगी, जिसमें सामाजिक और लाभ कमाने वाले दोनों उद्यम शामिल हैं। यह रिसर्च उद्यमों के विकास, समुदाय-आधारित उद्यमों की सफलता की कहानियों, सक्सेज़ एंड रेप्लिकेशन की कीज़ के एक्सप्लोरेशन, नए उद्यम बनाने के लिए माइनर फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स के ऑप्टिमाइज़ेशन, आदिवासी कौशल विकास, आदिवासी क्षेत्रों में मुद्दों और अवसरों और भारत में जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह पहल छात्रों के लिए आईआईएम के फैकल्टी मेम्बर्स और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में रूरल मार्केटिंग, कोऑपरेटिव सोसाइटी और पारस्परिक रूप से सहायता प्राप्त स्वयं सहायता समूहों पर अपनी बुनियादी बातों को ठीक करने के एक अवसर के रूप में भी कार्य करती है, जिससे वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में स्थानीय उत्पादों की बढ़ती मांग पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं। प्रोजेक्ट के पूरा होने पर, छात्रों ने उद्योग-बाजार लिंकेज योजना पर काम किया और सबसे अच्छी पिचिंग योजना बलातू में एनएसडीसी फंडेड मल्टी स्किल डेवलपमेंट कम वीमेन इम्पावरमेन्ट सेन्टर में लागू की जाएगी। निष्कर्षों के आधार पर, प्रत्येक ग्रुप ने वाएबल और सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसका उद्देश्य किसानों को मार्केट लिंकेज स्थापित करने, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार करने और रोबस्ट सप्लाई चेन वैल्यू विकसित करने में सहायता करना है। पहली रिपोर्ट, क्षेत्र में आदिवासी किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, जिसमें सीमित बार्गेनिंग पॉवर और बाजार से अपर्याप्त कनेक्शन शामिल हैं। और इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए, रिपोर्ट एक सहकारी-आधारित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना का सुझाव देती है जो किसानों को व्यक्तिगत बातचीत की तुलना में उनकी शतावरी आपूर्ति के लिए अधिक कीमत प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, जिससे उनकी सामूहिक बार्गेनिंग पॉवर और आर्थिक संभावनाएं बढ़ती हैं। दूसरी रिपोर्ट सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) मॉडल का लाभ उठाते हुए लेमनग्रास और सिट्रोनेला तेल के उत्पादन और मार्केटिंग की क्षमता पर प्रकाश डालती है। इस अप्रोच का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाना और बिचौलियों के प्रभाव को कम करना है। तीसरी रिपोर्ट स्थानीय समुदायों के उत्थान के लिए पामारोसा (सिंबोपोगोन मार्टिनी) पौधे की खेती के महत्व को रेखांकित करती है क्योंकि इसमें कई चिकित्सीय और उपचार गुण और बड़ी उपज है। इसके अलावा, छात्रों ने सामुदायिक भागीदारी, समावेशी विकास और क्षेत्र की निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कृषि, हॉट्रीकल्चर और वन उपज जैसे आयुष, नाबार्ड, सिडबी, मेडिशनल प्लान्ट प्रमोशन बोर्ड पर भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं की मैपिंग की।

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