मुंबई, जून 2023 : कोलकाता की श्याम मेटालिक्स एंड एनर्जी लिमिटेड देश में इंटीग्रेटेड मेटल का उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियों में से एक है, जिसने आज पश्चिम बंगाल के जमुरिया में मौजूद अपनी मैन्युफैक्चरिंग साइट पर उत्पादन क्षमताओं को चालू करने की घोषणा की है।
इसके बाद कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता में 90 मेगावाट की वृद्धि होगी, जो 267 मेगावाट से बढ़कर 357 मेगावाट हो जाएगी। कंपनी अपनी बिजली जरूरत का ~75% कैप्टिव प्लांट से प्राप्त करती है। इस में हुई बढ़ोतरी के बाद कंपनी को 80% बिजली आंतरिक रूप प्राप्त होगी, जिससे लागत में काफी बचत होगी। कंपनी ने 1,65,000 TPA की अतिरिक्त क्षमता को चालू करते हुए अपने स्पंज आयरन प्रोडक्शन को भी बढ़ाया है, जिसके बाद कंपनी की कुल क्षमता बढ़कर ~2.7 MTPA हो गई है।
इस मौके पर कंपनी के वाइस-चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, श्री बृज भूषण अग्रवाल ने कहा, “हम अपनी महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि, इस प्रगति के साथ क्षमता में बढ़ोतरी के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है, जिसका जिक्र हमने अपनी IPO की प्रस्तुति में किया है। हमारे कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता बढ़ने से हमारे लिए स्थायी और कम लागत वाली बिजली सुलभ हो गई है और अब हम स्पंज आयरन उपलब्ध कराने के लिए बेहतर स्थिति में हैं, जिसकी मांग बहुत ज्यादा है।”
श्याम मेटालिक्स कई तरह के मेटल प्रोडक्ट्स की अलग-अलग तरह की रेंज को एक ही छत के नीचे पेश करता है। कंपनी पेलेट्स, स्पंज आयरन, बिलेट्स, टीएमटी रॉड्स, वायर रॉड्स, एंगल्स, चैनल्स, बीम्स, फेरो क्रोम, फेरो सिलिकॉन, सिलिको मैंगनीज, लो कार्बन फेरो क्रोम और एल्युमिनियम फॉयल का निर्माण करती है और उनकी बिक्री करती है। नई कंपनी को अपने अधिकार में लेने और विस्तार करने के बाद, कंपनी की प्रोडक्ट रेंज में पिग आयरन, डीआई पाइप्स, स्टेनलेस स्टील (एसएस)/वायर रॉड और बार मिल शामिल होंगे, और इस तरह यह अलग-अलग प्रकार के मेटल प्रोडक्ट्स को एक ही जगह पर उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन जाएगी।
कंपनी द्वारा SEL TMT सरिया वायर रॉड और भवन-निर्माण संरचना से संबंधित अन्य उत्पादों की बिक्री SEL ब्रांड के तहत की जाती है, और इन उत्पादों में मजबूती एवं लचक के साथ-साथ लंबे समय तक टिके रहने का गुण होता है। SMEL द्वारा तैयार किए गए 70% उत्पादों की बिक्री इसके संयंत्रों के 500 किलोमीटर के दायरे में होती है।