(‘विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ’ ने हरियाणा के भिवानी जिले के युवा दम्पति को विद्यावाचस्पति उपाधि से किया सम्मानित, क्षेत्र वासियों में खुशी की लहर)_
*हिसार/भिवानी/भागलपुर:* राष्ट्रभाषा हिन्दी व लोक भाषाओं के प्रचार-प्रसार एवं विकास के लिए समर्पित भागलपुर की विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ अपने स्थापना काल से ही हिन्दी और हिन्दी साहित्य की सहायक बोलियों व उप बोलियों के प्रचार-प्रसार हेतु निरंतर प्रयत्नशील है। भारतीय लोक साहित्य को हिंदी के माध्यम से प्रकाश में लाने की दिशा में विद्यापीठ की अहम् भूमिका रही है। इसी कड़ी में बीते 14 अप्रैल को पुरी अधिवेशन भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।
अधिवेशन के उद्घाटनकर्ता एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सम्मान से व्यक्ति का मान बढ़ता है और अपमान से व्यक्ति का व्यक्तित्व संकुचित होता है। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य सहित अन्य भारतीय भाषाओं के सारस्वत साधकों को सम्मानित कर प्रमाण पत्र एवं मानद उपाधि प्रदान करने का सिलसिला जारी है; ताकि उनका मनोबल बढ़े और आए दिन हिंदी और हिंदी की सहायक भाषाओं के ज्वलंत मुद्दों, विषयों, शोध परक कार्यों एवं सामाजिक साहित्यिक सेवा कर्तव्यों पर आधारित संगोष्ठी, शिविर, कार्यशाला ,अनुष्ठान सभा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन संचालन एवं शिक्षण प्रशिक्षण का आयोजन होता रहे।
इस दिशा में भी भागलपुर की विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रयत्नशील है। विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्य कला ,साहित्य और संस्कृति का उन्नयन करना है। हरियाणा के भिवानी जिले अंतर्गत सिवानी उपमंडल के गाँव बड़वा निवासी और देश के चर्चित युवा लेखक एवं हिन्दी के लिए समर्पित दम्पति डॉ सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ को अधिवेशन के सम्मानोपाधि अर्पण सत्र में विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। यह उपाधि पीएचडी के समतुल्य होती है। यह उपाधि श्री सौरभ दम्पति को उनके हिन्दी के प्रति समर्पण और सुदीर्घ सेवा को ध्यान में रखते हुए प्रदान की गई है।
श्री सौरभ दम्पति के अवदानों को देखते हुए विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर ने 14 अप्रैल को अपने दीक्षांत समारोह में ‘विद्यावाचस्पति’ (पीएच.डी.) की मानद उपाधि प्रदान की। इस उपाधि को विद्यापीठ के कुलाधिपति सुमन जी भाई, कुलपति तेज नारायण कुशवाहा, कुलसचिव देवेन्द्र नाथ साह, अधिष्ठाता योगेन्द्र नारायण शर्मा ‘अरूण’ तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य के.डी. मिश्र के हाथों प्रदान किया गया। डॉ सत्यवान सौरभ एवं प्रियंका सौरभ को विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि मिलने पर विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के कुलपति तेज नारायण कुशवाहा समेत देश भर के हजारों लोगों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है।
*क्या है विद्या वाचस्पति उपाधि*
विद्या वाचस्पति की उपाधि डॉक्टरेट के समकक्ष मानी जाती है। यह उपाधि साहित्य के क्षेत्र में बेहतर और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दी जाती है। देश में भागलपुर स्थित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ एकमात्र ऐसी संस्था है जो विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान करती है। उपाधि मिलने के बाद संबंधित साहित्यकार या कवि अपने नाम के आगे डॉ. लिखने का पात्र हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे पीएचडी उपाधि के बाद व्यक्ति डॉ. लिखता है।