नई दिल्ली, दिसंबर, 2022: पर्यटन और आतिथ्य उद्योग ऐसा क्षेत्र है जो अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। साल 2021 में इस क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 178 अरब डॉलर का योगदान किया जो की जीडीपी का 5.6 प्रतिशत है और रोज़गार का 6 प्रतिशत।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन को भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि एवं विकास के पांच स्तंभों में से एक स्तंभ बताया है। आतिथ्य क्षेत्र घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटनों का एक प्रमुख स्तंभ है। होटल यात्रियों की ठहरने संबंधी अहम जरूरत को पूरा करते हैं फिर चाहे वह तीर्थयात्रा हो, कारोबारी सफर हो फिर छुट्टिया मनाने के लिए हो।
इसमें कोई संदेह नहीं की पर्यटन उद्योग में 5.30 करोड़ नौकरियां तैयार करने का सरकार का जो ध्येय है उसकी पूर्ति में आतिथ्य उद्योग ही सबसे आगे रहेगा। पर्यटन मंत्रालय द्वारा अक्सर जिस सर्वेक्षण का उल्लेख किया जाता है उसके मुताबिक कृषि, विनिर्माण, रेलवे और परिवहन के मुकाबले होटलों व रेस्टोरेंटों में अधिक रोज़गार का रुझान है। इस तरह से व्यावहारिक इन्सेंटिव के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाना बेहद अहम है।
महामारी ने इस क्षेत्र को बहुत बुरी चोट दी है। आतिथ्य उद्योग में तीव्रता से सामान्य स्थिति की बहाली के लिए सरकार का सहयोग अत्यंत महत्व का है तभी यह क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता से नौकरियां पैदा कर पाएगा जहां महिलाओं व दिव्यांगों समेत सभी योग्य लोगों को, सभी श्रेणियों में काम मिल सकेगा। यह स्थिति निम्न तीन तरीकों से हासिल की जा सकेगीः
टैक्स और टैक्स की दरों को तार्किक रख कर
नीतिगत हस्तक्षेपों से
सरल अनुपालन और कारोबार करने में आसानी
भारतीय आतिथ्य उद्योग की शीर्ष संस्था होटल ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसी मुद्दे पर अपने सुझाव भारत सरकार के समक्ष केन्द्रीय बजट 2023-24 हेतु प्रस्तावित किए हैं।
ये सिफारिशें इन शीर्षकों के तहत जमा की गई हैं: (1) प्रत्यक्ष कर (2) कस्टम व सेंट्रल ऐक्साइज़ (3) नीति एवं अन्य मुद्दे (4) अप्रत्यक्ष कर। केन्द्रीय बजट 2023-24 के लिए होटल ऐसोसिएशन ऑॅफ इंडिया का बजट-पूर्व मैमोरेंडम बहुत विस्तृत था।
वित्त मंत्रालय ने 30 नवंबर को परामर्श हेतु ऐसोसिएशन को आमंत्रित किया था जहां प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख सिफारिशें पेश की थीं।
प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत प्रमुख प्रस्ताव में शामिल थेः होटलों को डैप्रिसिएशन की उच्च दर की अनुमति दी जाए, कारोबार में होने वाले नुकसान को 8 साल के बजाय 12 साल तक कैरी फॉरवर्ड करने की अनुमति दी जाए, एम.ए.टी. क्रेडिट को कैरी फॉरवर्ड की अनुमति दी जाए और कारोबारी आय की गणना में सी.एस.आर. के खर्च को भी शामिल किया जाए।
कस्टम और सेंट्रल ऐक्साइज़ के तहत पैट्रोलियम उत्पादों व शराब को ऐक्साइज़ से हटाया जाए तथा उन्हें जीएसटी ऐक्ट के तहत रखा जाए, यह ऐसोसिएशन की सबसे अहम सिफारिश है।
अन्य प्रस्ताव में ’सर्विस ऐक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’ के तहत लाभों की बहाली की सिफारिश है जो 2019-20 के बाद कम से कम 5 वर्षों की हो तथा होटल रिवार्ड पॉइंट स्कीम के तहत 5 प्रतिशत पर बरकरार रखे जाएं।
अहम नीतिगत सिफारिशों में शामिल थीं: होटलों को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देना, होटल लाइसेंस के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो क्लीयरेंस का प्रावधान, जिस तरह विनिर्माण उद्योगों को बिजली दरों पर सबसिडी दी जाती है वैसी ही होटलों को भी दी जाए तथा एल.टी.ए. स्कीम के तहत यात्रा व्यय के अतिरिक्त होटलों के खर्च को भी शामिल किया जाए। एक सशक्त राष्ट्रीय पर्यटन बोर्ड के गठन की भी अनुशंसा की गई।
हालांकी ऐसोसिएशन द्वारा जमा किए गए जीएसटी संबंधी आग्रह को सालाना बजट हेतु विचारधीन नहीं रखा गया किंतु उद्योग की गुज़ारिश है की होटलों में जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटा कर 12 प्रतिशत कर दी जाए और होटलों के भीतर स्थित रेस्टोरेंट्स में फुल आईटीसी के संग जीएसटी दर घटा कर 12 प्रतिशत की जाए।
ऐसोसिएशन के निवेदन को मंत्रालय के अधिकारियों व अध्यक्ष द्वारा सहानुभूति पूर्वक सुना गया।
उद्योग को आशा है की इस वर्ष के बजट में कुछ अनुकूल नीतिगत घोषणाएं होंगी जिनसे न सिर्फ इस क्षेत्र की तेज़ी से रिकवरी होगी बल्कि होटलों की दीर्घकालीन वृद्धि और विकास भी होगा। होटलों के निर्माण में बड़ी पूंजी लगती है और उन्हें लाभकारी होने में भी लंबा वक्त लगता है तथा इनके परिचालन की लागत भी अत्यधिक व स्थायी होती है।
होटल निवेश को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सुविधापूर्ण फाइनेंसिंग और परिचालन लागत घटाना गेम चेंजर साबित हो सकते हैं, इसके अलावा होटलों की क्षमताओं में इज़ाफा होगा जिससे की देश में होटल रूम्स की वर्तमान कमी को पूरा किया जा सकेगा। प्रत्यक्ष और अपरोक्ष रूप से रोज़गार उत्पन्न करने की होटलों की जो क्षमता है उसे हर कोई अच्छी तरह जानता है। इसके अलावा, होटलों की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर व कनेक्टिविटी बेहतर होती है तथा उस इलाके व उसकी आसपास की जगहों पर लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होता है।