– निरंजन परिहार
नई संसद में राजस्थान का जलवा रहेगा। संसद में नीतियां बनाने वाले और सवाल के नाम पर बवाल उठाने वाले सांसद तो हारते – जीतते रहेंगे, लेकिन नई संसद में राजस्थान से और भी बहुत कुछ है, जो सालों तक समय के साथ संसद में सदा स्थायी रहेगा। वैसे, संसद के नए भवन के शिलान्यास और उद्घाटन, दोनों अवसरों पर राजस्थान के कोटा से सांसद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का नाम तो आबाद रहेगा ही, साथ ही इसलिए भी की नई संसद में पहला भाषण भी एक राजस्थानी नेता ओम बिड़ला का ही हुआ।
नई संसद में राजस्थान और यहां की संपदा के समायोजन की समीक्षा की जाए, तो दोनों सदनों में भारतीय गौरव के प्रतीक अशोक स्तंभ के निर्माण के लिए सामग्री जयपुर से गई हैं। बेजान पत्थरों को, अब बोले कि कब बोले जैसी सजीव सा कर देने वाली नक्काशी का खूबसूरत काम आबूरोड, पिंडवाड़ा और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया है। संसद के निर्माण में लगे पत्थर राजस्थान के कोटपूतली से पहुंचे और श्वेत व रक्ताभ सैंड स्टोन सरमथुरा का है। खूबसूरत ग्रीन मार्बल मेवाड़ के केसरियाजी से जाकर संसद भवन में लगा है, तो लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा से ले जाकर संसद में लगाया गया है और सफेद संगमरमर सिरोही जिले के आबूरोड में गुजरात सीमा पर स्थित अंबाजी से सटी खानों से निकालकर सजाया गया है। इस तरह से नई संसद में लाल रंग की लाख जैसलमेर की लगी है, पत्थर में जालियां तराशने का काम राजस्थान के राजसमंद और पिंडवाड़ा के मार्बल कारीगरों ने किया है। संसद में राजस्थान का जलवा यह है कि सदन के सदस्यों की शक्लें भले ही हर पांच साल में बदलती रहेंगी, लेकिन राजस्थान की बहुत सारी संपदा संसार में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की महत्ता बनकर वहां सदा सदा के लिए सजी रहेंगी। इसीलिए, यह कहना अनिवार्य, आवश्यक और अति महत्वपूर्ण है कि संसद में सांसद भले ही कुत्ते – बिल्लियों की तरह लड़ते – भिड़ते रहेंगे, अपने कर्मों का हिसाब किताब देते रहेंगे, और चुनाव हारते जीतते रहेंगे। लेकिन राजस्थान से जाकर संसद के नए भवन में सदा के लिए स्थित हो गई ये संपदा, जब तक संसद रहेगी, राजस्थान के के गर्व, गौरव और गरिमा का गुणगान करती रहेंगी, यह सबसे बड़ी बात है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)