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दांडी पकडे़ आदिवासियों के ‘गांधी’

गेस्ट राइटर
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May 18, 2023

गणि राजेन्द्र विजयजी के 48वें जन्म दिवस पर 19 मई 2023
सुखी परिवार अभियान के प्रणेता, आदिवासी जनजीवन के मसीहा एवं प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजय पिछले 36 वर्षों से आदिवासी विषयों एवं मुद्दों को लेकर सक्रिय है, उन्होंने आदिवासी जनजीवन के उन्नयन एवं विकास के लिये अनेक जनकल्याणकारी गतिविधियों-योजनाओं जिनमें शिक्षा, सेवा, चिकित्सा एवं आर्थिक उन्नयन के उपक्रम किये हैं, जो आदिवासी जन-जीवन में उतरती रोशनी है। हाल ही में गुजरात में 4400 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आनलाइन कवांट की आदिवासी महिलाओं से बातचीत करते हुए गणि राजेन्द्र विजय को जिस स्नेह एवं आत्मीयता से याद किया, समूचे देश ने यह परिदृश्य देखा और उनकी सेवाओं को महसूस किया। मोदी का इस तरह इस संत पुरुष को याद करना,उनके गौरव को, उनकेे होने का भान कराता हैं।

ललित गर्ग
निश्चित ही गणि राजेन्द्र विजयजी आदिवासी समाज को उचित दर्जा दिलाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिये तत्पर है। वे स्वयं समर्थ एवं समृद्ध है, अतः शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिये स्वयं आगे आएं। एक तरह से एक संतपुरुष के प्रयत्नों से एक सम्पूर्ण पिछडा एवं उपेक्षित आदिवासी समाज स्वयं को आदर्श रूप में निर्मित करने के लिये तत्पर हो रहा है, यह एक अनुकरणीय एवं सराहनीय प्रयास है। लेकिन इन आदिवासी लोगों को राजनीतिक संरक्षक भी मिले, इसके लिये वे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से सम्पर्क स्थापित कर आदिवासी जीवन के दर्द से उन्हें अवगत कराया। भारतीय समाज में जिन आदर्शों की कल्पना की गई है, वे भारतीयों को आज भी उतनी ही श्रद्धा से स्वीकार हैं। मूल्य निष्ठा में जनता का विश्वास अभी तक समाप्त नहीं हुआ। व्यक्ति अगर अकेला भी हो पर नैतिकता का पक्षधर हो और उसका विरोध कोई ताकतवर कुटिलता और षड्यंत्र से कर रहा हो तो जनता अकेले आदमी को पसन्द करेगी। इन्हीं मूल्यों की प्रतिष्ठापना, गणि राजेन्द्र विजय के मिशन एवं विजन का उद्देश्य है।
गणि राजेन्द्र विजय एक ऐसा व्यक्तित्व है जो आध्यात्मिक विकास और नैतिक उत्थान के प्रयत्न में तपकर और अधिक निखरा है। वे आदिवासी जनजीवन के उत्थान और उन्नयन के लिये लम्बे समय से प्रयासरत हैं और विशेषतः आदिवासी जनजीवन में शिक्षा की योजनाओं को लेकर जागरूक है, इसके लिये सर्वसुविधयुक्त करीब 12 करोड की लागत से एकलव्य आवासीय माडल विद्यालय का निर्माण उनके प्रयत्नों से हुआ है, वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विद्यालय एवं अन्य योजनाओं का शुभारंभ करीब डेढ़ लाख आदिवासी लोगों के बीच किया, इतनी विशाल आदिवासी उपस्थिति गणिजी के इस क्षेत्र में प्रभाव को दर्शा रही थी। उनके नेतृत्व में अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित है, जिनमें कन्या शिक्षा के लिये ब्राह्मी सुन्दरी कन्या छात्रावास का कुशलतापूर्वक संचालन हो रहा हैं। इसी आदिवासी अंचल में जहां जीवदया की दृष्टि से गौशाला संचालित है तो चिकित्सा और सेवा के लिये चलयमान चिकित्सालय भी अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे रहा है। आदिवासी जनजीवन की आर्थिक उन्नति एवं स्वावलम्बन के लिये वे सुखी परिवार ग्रामोद्योग भी संचालित कर रहे हैं। अपने इन्हीं व्यापक उपक्रमों की सफलता के लिये वे कठोर साधना करते हैं और अपने शरीर को तपाते हैं। अपने कार्यक्रमों में वे आदिवासी के साथ-साथ आम लोगों में शिक्षा के साथ-साथ नशा मुक्ति एवं रूढ़ि उन्मूलन की अलख जगाते हैं। उनके प्रयत्नों का उद्देश्य है शिक्षा एवं पढ़ने की रूचि जागृत करने के साथ-साथ आदिवासी जनजीवन के मन में अहिंसा, नैतिकता एवं मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था जगाना है। हर आदमी अपने अन्दर झांके और अपना स्वयं का निरीक्षण करे। आज मानवता इसलिए खतरे में नहीं है कि अनैतिकता बढ़ रही है। अनैतिकता सदैव रही है- कभी कम और कभी ज्यादा। सबसे खतरे वाली बात यह है कि नैतिकता के प्रति आस्था नहीं रही।
त्याग, साधना, सादगी, प्रबुद्धता एवं करुणा से ओतप्रोत आप आदिवासी जाति की अस्मिता की सुरक्षा के लिए तथा मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठापित करने के लिए सतत प्रयासरत हैं। मानो वे दांडी पकडे़ गुजरात के उभरते हुए ‘गांधी’ हैं। इसी आदिवासी माटी में 19 मई, 1974 को एक आदिवासी परिवार में जन्में गणि राजेन्द्र विजयजी मात्र ग्यारह वर्ष की अवस्था में जैन मुनि बन गये। बीस से अधिक पुस्तकें लिखने वाले इस संत के भीतर एक ज्वाला है, जो कभी अश्लीलता के खिलाफ आन्दोलन करती हुए दिखती है, तो कभी जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों के प्रति मुखर हो जाती है। कभी जल, जमीन, जंगल के अस्तित्व के लिये मुखर हो जाती है। इस संत ने स्वस्थ एवं अहिंसक समाज निर्माण के लिये जिस तरह के प्रयत्न किये हैं, उनमें दिखावा नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, प्रचार-प्रसार की भूख नहीं है, किसी सम्मान पाने की लालसा नहीं है, किन्हीं राजनेताओं को अपने मंचों पर बुलाकर अपने शक्ति के प्रदर्शन की अभीप्सा नहीं है। अपनी धून में यह संत आदर्श को स्थापित करने और आदिवासी समाज की शक्ल बदलने के लिये प्रयासरत है और इन प्रयासों के सुपरिणाम देखना हो तो कंवाट, बलद, रंगपुर, बोडेली आदि-आदि आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा सकता है।
गणि राजेन्द्र विजयजी परिवार को सुदृढ़ बनाने के लिये ही सुखी परिवार फाउण्डेशन के द्वारा संचालित सुखी परिवार अभियान को लेकर सक्रिय है। मेरा सौभाग्य है कि वर्ष 2006 संचालित इस फाउण्डेशन का संस्थापक महामंत्री बनने से लेकर वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। गणिजी की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि सबसे पहले परिवार संस्कारवान बने, माता-पिता संस्कारवान बने, तभी बच्चे संस्कारवान चरित्रवान बनकर घर की, परिवार की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकेंगे। अगर बच्चे सत्पथ से भटक जाएंगे तो उनका जीवन अंधकार के उस गहन गर्त में चला जाएगा जहां से पुनः निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। बच्चों को संस्कारी बनाने की दृष्टि से गणि राजेन्द्र विजय विशेष प्रयास कर रहे हैं। भारत को आज सांस्कृतिक क्रांति का इंतजार है। यह कार्य सरकार तंत्र पर नहीं छोड़ा जा सकता है। सही शिक्षा और सही संस्कारों के निर्माण के द्वारा ही परिवार, समाज और राष्ट्र को वास्तविक अर्थों में नैतिक एवं चरित्रसम्पन्न बनाया जा सकता है। मेरी दृष्टि में गणि राजेन्द्र विजयजी के उपक्रम एवं प्रयास आदिवासी अंचल में एक रोशनी का अवतरण है, यह ऐसी रोशनी है जो हिंसा, आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद जैसी समस्याओं का समाधान बन रही है। अक्सर हम राजनीति के माध्यम से इन समस्याओं का समाधन खोजते हैं, जबकि समाधान की अपेक्षा संकट गहराता हुआ प्रतीत होता है। क्योंकि राजनीतिक स्वार्थों के कारण इन उपेक्षित एवं अभावग्रस्त लोगों का शोषण ही होते हुए देखा गया है। गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में आदिवासी समाज कृतसंकल्प है रोशनी के साथ चलते हुए इस आदिवासी अंचल के जीवन को उन्नत बनाने एवं संपूर्ण मानवता को अभिप्रेरित करने के लिये।
गणि राजेन्द्र विजयजी के आध्यात्मिक आभामंडल एवं कठोर तपचर्या का ही परिणाम है आदिवासी समाज का सशक्त होना। सर्वाधिक प्रसन्नता की बात है कि अहिंसक समाज निर्माण की आधारभूमि गणि राजेन्द्र विजयजी ने अपने आध्यात्मिक तेज से तैयार की है। अनेक बार उन्होंने खूनी संघर्ष को न केवल शांत किया, बल्कि अलग-अलग विरोधी गुटों को एक मंच पर ले आये। जबकि गुट व्यापक हिंसा एवं जनहानि के लिये तरह- तरह के हथियार लिये एक दूसरे को मारने के लिये उतावले रहते थे। हिंसा की व्यापक संभावनाओं से घिरे इस अंचल को अहिंसक बनाना एक क्रांति एवं चमत्कार ही कहा जायेगा। सचमुच आदिवासी लोगों को प्यार, करूणा, स्नेह एवं संबल की जरूरत है जो गणिजी जैसे संत एवं सुखी परिवार अभियान जैसे मानव कल्याणकारी उपक्रम से ही संभव है, सचमुच एक रोशनी का अवतरण हो रहा है, जो अन्य हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के लिये भी अनुकरणीय है। गणि राजेन्द्र विजयजी की विशेषता तो यही है कि उन्होंने आदिवासी उत्थान को अपने जीवन का संकल्प और तड़प बना लिया है। आदिवासी जन-जीवन में भी बहुत उजाले हैं, लेकिन इन उजालों को छीनने के प्रयास हुए हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे। आज बाहरी खतरों से ज्यादा भीतरी खतरे हैं। हिंसा और अलगाव की कई चुनौतियां हैं, जो समाधान चाहती है। पर गलत प्रश्न पर कभी भी सही उत्तर नहीं मिला करते। जब रोटी की जरूरत हो तो रोटी ही समाधान बनती है। रोटी के बिना आप किसी सिद्धान्त को ताकत का इंजेक्शन नहीं बना सकते। प्रेषकः

(ललित गर्ग)
लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
ई-253, सरस्वती कंुज अपार्टमेंट
25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

पिछला बैंगलोर, मई 2023: टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) ने आज मोटरिंग के प्रति उत्साही देश भर के लोगों के लिए 4×4 अनुभवात्मक ड्राइव की अपनी अब तक की प्रथम पहल की घोषणा की। इस साल यह आयोजन चार जोन (क्षेत्रीय स्तर – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) में आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। यह योजना टोयोटा द्वारा ‘ग्रैंड नेशनल 4×4 एक्स- पेडिशन ‘ के साथ बनाई जा रही है। ये ड्राइव इस तरह डिज़ाइन किये गए हैं कि देश भर के 4×4 एसयूवी समुदाय के साथ जुड़ा जा सके। यह आकर्षक और रोमांचकारी ऑफ-रोडिंग अनुभव प्रदान करता है। इस पहल के माध्यम से, टीकेएम प्रतिभागियों को उनके साहस की भावना से जोड़ने की इच्छा रखता है और उन्हें आगे बढ़ाने, नए क्षितिज का पता लगाने तथा इस तरह ‘मास हैप्पीनेस’ (बड़े पैमाने पर खुशी) प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है। प्रत्येक जोनल आयोजन में एसयूवी का बेड़ा रहेगा। इनमें मशहूर हाईलक्स, फॉरच्यूनर 4×4, एलसी 300 और हाइराइड एडब्ल्यूडी (ऑल व्हील ड्राइव) के गौरवशाली स्वामी शामिल होंगे। इनके अलावा, इस अनुभवात्मक ड्राइव की विशिष्टता में अन्य एसयूवी ब्रांड मालिकों की भागीदारी शामिल है, जो भारत में टोयोटा द्वारा आयोजित अब तक के पहले ग्रेट 4×4 एक्स- पेडिशन का हिस्सा होंगे। अत्यधिक ऑफ-रोडिंग की पेशकश करने की दृष्टि से, टीकेएम ने कई चुनौतीपूर्ण बाधाओं के साथ अतिरिक्त 4 डब्लयूडी ट्रैक बनाए हैं, जिनमें आर्टिक्यूलेशन, साइड इंक्लाइन, रैंबलर, गहरे गड्ढे (डीप डिच), कीचड़ (स्लश), पथरीली जमीन (रॉकी बेड) आदि शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर, टोयोटा को एसयूवी की इसकी मजबूत श्रृंखला के लिए जाना जाता है और भारत में भी यह एक मजबूत और बहुमुखी 4×4 की पेशकश का दावा करती है। हाइलक्स, फॉर्च्यूनर 4X4, एलसी 300 और अर्बन क्रूजर हाइराइडर ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति के साथ कुछ सबसे बड़े प्रशंसक आधार बनाए हैं। यह सब उन्नत शैली, बेजोड़ मजबूती और शक्तिशाली प्रदर्शन के एक उल्लेखनीय संयोजन से संभव हुआ है जो हर यात्रा को एक उल्लेखनीय यात्रा बनाने के लिए पूरी तरह से अनुकूल है। टोयोटा का यह फ्लैगशिप इवेंट इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करता है और ऑन-रोड तथा ऑफ-रोड दोनों में क्यूरेटेड ड्राइव के माध्यम से नए अनुभव प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि मोटरस्पोर्ट की बढ़ती परंपरा और एसयूवी वर्ग में एडवेंचर चाहने वालों की बढ़ती संख्या के बढ़ते चलन के साथ, उन लोगों से एक अटूट बंधन बनाया गया है, जो अधिक की इच्छा रखते हैं, चाहे वह व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए हो या परिवार और दोस्तों के साथ मस्ती भरे पल। इसके साथ, टोयोटा का प्राथमिक ध्यान 4×4 बिरादरी से जुड़ना और अपने उत्पाद लाइन-अप से विभिन्न एसयूवी की अनूठी क्षमताओं के साथ शानदार अनुभव बनाना है। कहने की आवश्यकता नहीं है, मोटरस्पोर्ट में कंपनी का जुनून (टोयोटा गाज़ू रेसिंग ई-मोटरस्पोर्ट भारत में अगस्त 2020 में शुरू हुआ) प्रमुख विशेषताओं में से एक बना हुआ है, जो इस ग्रेट 4×4 एक्स- पेडिशन पहल को चला रहा है, जिससे ब्रांड को मोटरस्पोर्ट्स के शौकीन लोगों के साथ जुड़ने में सक्षम बनाया जा सकता है। उन्हें प्राणपोषक ड्राइव के अवसर प्रदान करना। आगे बढ़ते हुए, इसका उद्देश्य ऐसे 4×4 उत्साहियों का एक फैन क्लब बनाना ताकि ऑफ-रोडिंग गतिविधियों में निरंतर जुड़ाव को सक्षम बनाता है। पहला क्षेत्रीय कार्यक्रम भारत के दक्षिणी भाग में आयोजित होने वाला है। इसके तहत बैंगलोर से शुरू होकर 26 से 28 मई 2023 के बीच हसन और सकलेशपुर के शांत स्थानों को कवर करने के लिए आगे बढ़ना है। सावधानी से चुना गया मार्ग ऐतिहासिक बिंदुओं को कवर करते हुए यात्रा के माध्यम से प्राकृतिक सुंदरता का पता लगाने का मौका प्रदान करेगा। प्रतिभागियों को एक सुरक्षित और पर्यवेक्षित वातावरण में ऑफ-रोडिंग ट्रीट मिलेगी, अतिरिक्त रूप से डिज़ाइन किए गए 4डब्ल्यूडी ट्रैक अनुभव और आउटडोर मनोरंजन भी होगा। इसके अलावा, निरंतरता और समाज को वापस देने के प्रति टोयोटा की मूल प्रतिबद्धता के अनुरूप, यह ग्रेट 4×4 एक्स- पेडिशन इस रोमांचकारी अनुभवात्मक ड्राइव पर सामाजिक कारणों में योगदान करने के लिए भाग लेने वाले 4×4 उत्साही लोगों को भी शामिल करेगा। जागरूकता फैलाने और उनके सामाजिक हस्तक्षेपों को प्रोत्साहित करने के इस अवसर को लेते हुए, प्राकृतिक जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में अपशिष्ट संग्रह और निपटान और वृक्षारोपण के माध्यम से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली जैसी कई पर्यावरणीय गतिविधियों की योजना बनाई गई है। टोयोटा के पहले ग्रेट 4×4 एक्स- पेडिशन के बारे में बताते हुए, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस प्रेसिडेंट, सेल्स एंड स्ट्रेटेजिक मार्केटिंग श्री अतुल सूद ने कहा, “टोयोटा अपने ग्राहकों के लिए असीमित अनुभव लाने में विश्वास रखता है। इस दिशा में, टोयोटा की 4×4 ग्रेट एक्स- पेडीशन को एक नया मंच बनाने और 4×4 उत्साही समूह के साथ जुड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें हमारे साथ अविस्मरणीय यात्रा के माध्यम से एक अवसर प्रदान करके उनके अनुभवों को समृद्ध करता है जो जीवन भर उनकी यादों में बना रहेगा। इसके अलावा, भारत में 4X4 ड्राइव में टीकेएम का प्रवेश एसयूवी के प्रति उत्साही लोगों को अपने गौरवशाली वाहनों की वास्तविक क्षमता को दिखाने और घर के बाहर की अपनी सक्रिय जीवन शैली को और बेहतर करने का मौका देगा। आगे बढ़ते हुए, टीकेएम मोटरस्पोर्ट एंगेजमेंट को बढ़ाना जारी रखेगा, जो नई और उन्नत तकनीकों को लाने, नवीनता को आगे बढ़ाने और हमेशा बेहतर कारों के निर्माण की सीमाओं को लांघने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रेट 4×4 एक्स- पेडिशन के माध्यम से, टीकेएम अधिक लोगों को मोटरस्पोर्ट्स के लिए अपने समझदार जुनून को आगे बढ़ाने और 4×4 ड्राइविंग के रोमांच का अनुभव करने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद करता है। अगला भारत के आम

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