विश्व हास्य दिवस, 7 मई, 2023 पर विशेष
अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिये हास्य जरूरी है। इसीलिये विश्व हास्य दिवस विश्वभर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। आज के तनाव, अशांत, चिन्ता एवं परेशानियों के जीवन में हास्य की तीव्र आवश्यकता है। क्योंकि हँसना सभी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक है। हंसी हमारे जीवन की सफलता की चाबी है, वह अनेक समस्याओं का समाधान भी है। हंसी दुखी दिल के घावों को भरने वाला मलहम है। हमारे चेहरे का व्यायाम है और मन का आराम। शोध कहते हैं कि जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं, हमारा हंसना कम हो रहा है। इसी पर लेखक मिशेल प्रिटचार्ड कहती हैं, ‘हम इसलिए कम नहीं हंसते कि हम बूढ़े हो गए हैं। हम बूढ़े ही इसलिए हुए कि हमने हंसना बंद कर दिया है।’
सेहत का एक मंत्र यह है कि आप खुलकर हंसें। हमें हंसना चाहिए और बात-बेबात हंसते और हंसाते रहना सफल एवं सार्थक जीवन का मंत्र हैं। पर कई बार पूरा पूरा दिन बिना हंसे निकल जाता है। उदासी और बेचैनियों के बादल छाए रहते हैं, हंसी की धूप खिल नहीं पाती। लेखिका एमिली मिचेल कहती हैं, ‘हंसी के बिना बीता दिन, अंधेरे में रहने जैसा है, आप अपना रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश तो करते हैं, पर उसे साफ-साफ नहीं देख पाते।’ हंसना एक ऐसा सकारात्मक भाव है जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को समृद्धिशाली एवं प्रभावी बनाता है। हास्य एक शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने की क्षमता हैं। यह व्यक्ति के विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में हंसता है तो उसकी हंसी से सकारात्मक ऊर्जा सम्पूर्ण परिवेश में व्याप्त हो जाती है।
आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट व हँसी को भूलता जा रहा है, फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ, जैसे- उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि को निमंत्रण दे रहा है। हँसने से ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है। शरीर में से दूषित वायु बाहर निकल जाती है। हमेशा खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है। साथ ही शरीर में रक्त संचार की गति को बढ़ाता है। इसके अलावा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। इसलिये डॉक्टर भी हर बीमारी के रोगी के लिये हास्य को उपयोगी बताते हैं। क्योंकि जोर-जोर से कहकहे लगाने से पूरे शरीर में प्रत्येक अंग को गति मिलती है। इससे शरीर में मौजूद हारमोन दाता प्रणाली (एंडोफ्राइन ग्रंथि) सुचारुरूप से चलने लगती है, जो कि कई रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है।
जो लोग हमें हंसाते हैं, वे हमारी स्मृतियों में रच-बस जाते हैं। हम किसी को पसंद या नापसंद कई कारणों से कर सकते हैं। पर लंबे समय तक हमारे प्रेम के हकदार वे लोग बनते हैं, जो हमें हंसाते हैं और हमारे चेहरे की हंसी बन जाते हैं। शायद इसीलिए विक्टर बोर्ग कहते हैं, ‘हंसी दो लोगों के बीच की दूरी को पार करने का सबसे छोटा पुल है।’ हंसना एक ऐसा बेशकीमती उपहार है, जो कुदरत ने केवल मनुष्य को ही बख्शा है। हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वय करने की क्षमता है। यह इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम है। हंसी विभिन्न समुदायों को जोड़कर नए विश्व का निर्माण करने में सक्षम हैं। यह विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा विश्वास है कि हंसी ही दुनिया को एकजुट कर सकती है।
हंसने से ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है व दूषित वायु बाहर निकलती है। नियमित रूप से खुलकर हंसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है व शरीर में रक्त संचार की गति बढ़ जाती है तथा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है। हंसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है। हंसने-हंसाने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है और दिल से हंसना तो किसी दवा से कम नहीं है। हंसी एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। प्रमुख विद्वान थैकर एवं शेक्सपियर जैसे विचारकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है और वह है चेहरे पर खिली प्रसन्नता। लंदन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोफी स्कॉट कहती हैं कि, ‘हंसी के द्वारा हमारा अवचेतन मन ये संकेत देता है कि, हम सुकून में हैं और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
जापान में भगवान बुद्ध के शिष्य थे होतेई। वह बड़े अलमस्त स्वभाव के भिक्षुक थे। वह बेहद निर्लिप्त और निरपेक्ष भाव से जीवन जीने में विश्वास रखते थे। वह जिस कार्य को करते, उसमें पूरी तरह डूब जाते थे, तन्मय हो जाते। जापान में ऐसी मान्यता है कि एक बार होतेई मेडिटेशन करते-करते इतने रोमांचित हो गए कि ध्यानावस्था में जोर-जोर से हंसने लगे। इस अद्भुत घटना के उपरांत ही लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा के नाम से संबोधित करने लगे। घूमना-फिरना, देशाटन करना, लोगों को हंसाना व खुशी प्रदान करना लाफिंग बुद्धा का ध्येय बन गया। चीन में लाफिंग बुद्धा को पुताई के नाम से भी जाना जाता है। चीनी लोग उन्हें एक ऐसे भिक्षुक के नजरिए से देखते हैं, जो एक हाथ में धन-धान्य का थैला लिए, चेहरे पर खिलखिलाहट बिखेरे अपना बड़ा पेट और थुलथुल बदन दिखाकर सभी को हंसाते हुए सकारात्मक ऊर्जा देते हैं। वे समृद्धि व खुशहाली का संदेशवाहक और घरों के वास्तुदोष निवारण का प्रतीक भी माने जाते हैं। जापान जैसे देशों में लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं, ताकि उनकी भावी पीढ़ी सक्षम एवं तेजस्वी हो।
दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद के डर से सहमे हुए हैं, ऐसे समय विश्व हास्य दिवस की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले दुनिया के लोगों में इतनी घबराहट और अशांति कभी नहीं देखी गई। आज हर व्यक्ति के अंदर घबराहट और अशांति का कोहराम मचा हुआ है। ऐसे दौर में केवल हंसी ही दुनियाभर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर टेरीजा एमाबाइल ने कहा है कि, हँसते समय हमारा दिमाग सबसे अधिक क्रिएटिव होता है। हमें न केवल पारिवारिक परिवेश में बल्कि ऑफिस में हंसी-मजाक को बढ़ावा देना चाहिए। ऑफिस का माहौल मेल-जोल और हंसी मजाक वाला हो, जिससे टीम के बीच काम के प्रति उत्साह का संचार हो सके। खूबसूरत चेहरे के लिए हंसना कारगर साबित हो सकता है। हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। मेडिकल प्रयोगों में पाया गया है कि, 10 मिनट तक हंसते रहने से दो घंटे की गहरी नींद आती है।
हंसने वाले व्यक्तियों के कई सारे मित्र बन जातें हैं और इस प्रकार उनमें भाईचारा और एकता की भावना कब उत्पन्न होती हैं, पता ही नहीं चलता। हर व्यक्ति के जीवन में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे में हंसी दुनियाभर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। डर, भय, असुरक्षा, आतंकवाद से हर इंसान सहमा हुआ है, तब ‘हास्य दिवस’ की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं देखी गई। इस व्यस्त, अशांत एवं तनावग्रस्त जिंदगी में लोग कम से कम एक दिन तो अपने लिए निकालें और जी भरकर हंसे और हंसायें। प्रेषकः
(ललित गर्ग)
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