आज हमारी युवा पीढ़ी तुरंत अमीर बनना चाहती है और वह भी बिना कुछ किए धरे। बिना मेहनत के ही आज की युवा पीढ़ी अथाह धन कमाने की लालसा रखती है। जब आदमी(विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी) बिना मेहनत के तुरंत अमीर बनने की चाहत रखता है तो वह कहीं न कहीं स्वयं को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की दुनिया में धकेलना शुरू कर देता है और यह अपराध की दुनिया उस व्यक्ति विशेष को कहीं का भी नहीं छोड़ती, उसे बर्बाद कर देती है। बिना मेहनत के धन कमाने के लिए वह या तो चोरी ही करता है अथवा डकैती, लूटपाट या अवैध काम करता है। यहाँ तक कि बहुत बार तो तकनीक का गलत इस्तेमाल कर वह धन कमाना चाहता है। आज देश के विभिन्न हिस्सों में तकनीक का गलत इस्तेमाल कर धन कमाने का धंधा लगातार जोर पकड़ रहा है। विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी इसमें ज्यादा लिप्त नजर आती है। आज जिधर नजर दौड़ाएं उधर ऑनलाइन सट्टेबाजी फैलती दिख रही है। वास्तव में यह बहुत ही चिंता की बात है कि आज हमारे युवा ऑनलाइन सट्टेबाजी की गिरफ्त में हैं। आज हर कहीं सट्टेबाजी का धंधा चल रहा है और यह काम पुलिस संरक्षण के बिना संभव नहीं हो सकता है। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती है लेकिन पुलिस में भी भ्रष्टाचार, बेईमानी के चलते ऐसा संभव हो पा रहा है। एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है। यह हमारे देश की विडंबना ही कही जा सकती है कि आज चोरी, डकैती व लूटपाट के साथ-साथ अपराधी अब तकनीक का इस्तेमाल कर गलत तरीके से पैसे कमाने में जुट गए हैं। सच तो यह है कि आज युवाओं की जरूरतें बढ़ गई हैं और वे जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाने लगे हैं जो कि उन्हें लगातार गर्त में ही धकेल रहे हैं। आज हमारे युवा फेंटेसी एप्स के चक्कर में फंसकर अपना सर्वस्व लुटा रहे हैं। आज ऐसे फेंटेसी ऐप्स की संख्या रोजाना लगातार बढ़ती जा रही है और पिछले कुछ सालों में इनकी बाढ़ आ चुकी है। एक ही दिन में हजारों करोड़ों लोग इन ऐप्स पर अलग-अलग टीम बनाते हैं और करोड़पति बनने के लालच में आकर जमकर पैसे लगाते हैं। हालांकि अब इन गेम्स पर नकेल कसने की बात कही जा रही है, लेकिन अब भी धरातल पर कुछ विशेष नहीं हो पाया है।सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि युवाओं की अनावश्यक जरूरतें, बेवजह के अनगिनत शौक और जल्द अमीर बनने की हसरत का फायदा उठाकर सटोरिये इन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस की इस काले कारोबार पर बिल्कुल भी नजर नहीं है।कुछ ही घंटों में करोड़पति बनने का सपना दिखाने वाले इन ऑनलाइन फेंटेसी गेम्स की आजकल खूब बहार है। आज विभिन्न शहरों में बाजारों में, अस्पतालों के बाहर, मॉल, पार्कों, बस स्टैण्ड, कैब, ऑटो, चाय की थड़ियों, दुकानों, होटल व रेस्टोरेंट में पुलिस यदि पैनी नजर रखे तो उसे कॉपी, पेन या फिर दो- तीन मोबाइल फोन या लैपटॉप आदि लेकर बातचीत करते, वहाँ खड़े युवा नजर आ जायेंगे, उनकी हरकतों को देखकर पुलिस को सट्टेबाजी का अंदाजा हो जाता है। हैरत की बात यह है कि बड़े शहरों के व्यस्त बाजारों में तो ठेला लगाने वाले, छोटा मोटा काम करने वाले लोग तक सट्टे लगाने में सक्रिय हैं। हैरानी की बात तो यह है कि आज पुलिस की नाक के नीचे यह सब होता है। दर असल ये सब काम आपसी मिलीभगत से होता है। बिना मिलीभगत के यह संभव नहीं हो सकता है। वास्तव में, आज फेंटेसी ऐप्स का बिजनेस कितना बड़ा है, ये इसी बात से साबित हो जाता है कि इन ऐप्स के विज्ञापन में बॉलीवुड से लेकर खेल जगत के वो सितारे शामिल हैं, जिनकी विज्ञापन की फीस तक करोड़ों में होती है। फेंटेसी ऐप्स में हर साल स्टार्स की फेहरिस्त लगातार बढ़ती चली जा रही है। आज सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, पैसों का ये खेल तीन पत्ती(रमी गेम), लूडो, बिजनेस, और ऐसे ही बाकी दूसरे ऑनलाइन गेम्स में भी चल रहा है। वास्तव में आज विभिन्न ऑनलाइन ऐप्स गैर-कानूनी हैं। ये लूपहोल्स का फायदा उठाकर करोड़ों का बिजनेस कर रहे हैं। बहुत ही आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इनमें आयु की भी कोई समयसीमा तय नहीं है, और आज 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी टीम बनाकर ऑनलाइट सट्टा लगा रहे हैं। इसके लिए सख्त नियम बनने जरूरी हैं। सरकार को इस दिशा में ठोस और सख्त कदम उठाने होंगे।बात सिर्फ सट्टे की नहीं है। बात युवा पीढ़ी की है जो गलत राह पर चल कर बर्बादी की ओर बढ़ने लगी है। आज कोई और तो कल हमारे घर का भी कोई सदस्य भी सट्टेबाजी के इस भंवरजाल में फंस सकता है। आम से लेकर खास तक किसी भी परिवार का युवा इस सूची में शामिल हो सकता है। हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि गलत कमाई का पैसा गलत काम में ही जाता है। शायद इसीलिए हमारे यहाँ एक कहावत भी है कि ‘चोरी का माल मोरी में।’ अंत में यहां कहना चाहूंगा कि पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 के मुताबिक सट्टेबाजी एक अपराध है। हालांकि कुछ राज्य सरकारों ने इन ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स को लेकर बहुत सख्ती दिखाई है और इन्हें पूरी तरह से बैन(बंद) करने का फैसला किया है। कुछ समय पहले ही तमिलनाडु ने ऐसे तमाम ऑनलाइन गेम्स पर बैन(प्रतिबंध) लगा दिया है, इसके लिए एक कानून पास किया गया है, जिसके तहत 3 साल की जेल और 10 लाख जुर्माने तक का प्रावधान किया गया है। यह एक काबिलेतारीफ कदम है। तमिलनाडु के अलावा आज तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। राज्य सरकार के साथ ही शासन,प्रशासन व आमजन को भी इन ऑनलाइन सट्टेबाजी गेम्स के प्रति गंभीरता, सजगता दिखानी होगी,क्यों कि ये देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही हमारी युवा पीढ़ी को गलत दिशा की ओर प्रवृत्त करके उन्हें लगातार गर्त में धकेल रहे हैं।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,
स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार