अब समय आ गया है कि सरकारी कर्मचारियों और 12 लाख से ऊपर की आय वालों के लिए आर्मी सर्विस अनिवार्य की जाए, ताकि देशभक्ति नारों से निकलकर वास्तविक रंग में आए और सबको पता चले कि कैसे एक फौजी देश की धड़कन है। जो वतन की मिट्टी के लिए कुर्बान होता है अपना सब कुछ भूलकर।
इनकम टैक्स की तर्ज और रिजर्वेशन के आधार पर आर्मी सर्विस के साल निर्धारित किए जाएं। हर देशवासी को सीमा सेवा का मौका मिलना ही चाहिए। ग्रुप , बी और 12 लाख से ऊपर की आय वाले परिवार के के लिए तो ये इस वतन में रहने की प्रथम शर्त होनी चाहिए।
अब समय आ गया है कि सरकारी कर्मचारियों और 12 लाख से ऊपर की आय वालों के लिए आर्मी सर्विस अनिवार्य की जाए, ताकि देशभक्ति नारों से निकलकर वास्तविक रंग में आए और सबको पता चले कि कैसे एक फौजी देश की धड़कन है। जो वतन की मिट्टी के लिए कुर्बान होता है अपना सब कुछ भूलकर।
इनकम टैक्स की तर्ज और रिजर्वेशन के आधार पर आर्मी सर्विस के साल निर्धारित किए जाएं। हर देशवासी को सीमा सेवा का मौका मिलना ही चाहिए। ग्रुप ए, बी और 12 लाख से ऊपर की आय वाले परिवार के के लिए तो ये इस वतन में रहने की प्रथम शर्त होनी चाहिए।
देश के पैसे को अपनी तिजोरी में भरकर देश के अन्न-धन के का लुत्फ लेने वालों को ये अहसास होना भी जरुरी है कि यहां का कण-कण कितना कीमती है? गली-मोहल्ले से देश भर की राजनीति में अपना नाम चमकाने वाले परम समाजसेवी राजनीतिज्ञों के लिए चुनाव लड़ने की प्रथम शर्त फौजी सर्टिफिकेट हो ताकि मंच से बोलते वक्त उनके भावों में देश सेवा की ही रसधार ही बहे। पंडाल से केवल एक ही नारा गूंजे, ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का।
अगर ऐसा होता है तो हमारे देश से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, धरने-प्रदर्शन, गली-मोहल्ले के सब झगडे खत्म हो जाएंगे. हर फौजी में बहनों को भाई और मां को बेटा दिखाई देगा। संवेदना की एक लहर दौड़ेगी जो तेरे-मेरे की भावना को खत्म करके प्रेम के धागों को मजबूती देगी।
ऐसा नहीं है कि ये प्रयोग दुनिया में नया है। इजरायल का ही उदाहरण देखिए, जो अपने बगल में बैठे अमेरिका को जब चाहे आंख दिखा देता है। यहां पुरुष और महिला, दोनों के लिए मिलिट्री सर्विस अनिवार्य है। पुरुष इजरायली रक्षा बल में तीन साल और महिला करीब दो साल तक सेवा देती हैं।
यह देश-विदेश में रह रहे इजरायल के सभी नागरिकों पर लागू होता है। नए प्रवासी और कुछ धार्मिक समूहों को मेडिकल आधार पर बस छूट ही दी जाती है, लेकिन आर्मी सर्विस के बगैर उनको वहां वो सामाजिक रूतबा नहीं मिलता। रूस में भी ऐसे ही कानून है, यही कारण है कि उसके आगे अमेरिका और चीन कांपते है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे से लेकर तमाम सरकारी विभागों में नौकरी के लिए जितने आवेदन आते हैं, उसके आधे आवेदन सेना के लिए आते हैं। लोगों का ध्यान सरकारी नौकरी पाने के लिए तो है लेकिन देश की सेवा करने के लिए सेना में आने की ओर नहीं। सरकारी नौकरियों और राजनीति में आने के लिए अगर सैन्य सेवा अनिवार्य की जाती है तो इससे सशस्त्र सेनाओं में हो रही जवानों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।
हालांकि भारतीय सेना ने आम लोगों को ट्रेनिंग देने का प्लान तैयार किया है। भारतीय सेना एक ऐसे प्रपोजल पर काम कर रही है जिसके मुताबिक आम युवा लोग तीन साल के लिए आर्मी में शामिल हो सकते हैं। इस योजना को टूर ऑफ ड्यूटी का नाम दिया गया है। यह मॉडल पहले से चले आ रहे शॉर्ट सर्विस कमीशन जैसा होगा, जिसके तहत वह युवाओं को 10 से 14 साल के आरंभिक कार्यकाल के लिए भर्ती करती है। अगर इस प्रपोजल को मंजूरी मिलती है तो सेना इसे लागू कर सकती है। हालांकि टीओडी मॉडल में अनिवार्य सैनिक सेवा जैसा नियम नहीं होगा। भारतीय सेना के अनुसार अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो यह सिस्टम पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। इसमें सेलेक्शन प्रक्रिया के नियमों को कम नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर भारत सरकार इसे अनिवार्य तौर पर लाती है तो आर्मी क्वालिटी से कोई समझौता नहीं होगा।
— डॉo सत्यवान सौरभ,
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
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