नयी दिल्ली, जनवरी, 2023: टिकाऊ पहल के परामर्श, प्रबंधन एवं क्रियान्वयन में विशेषज्ञ कंपनी दिग्रीनबिलियन्स लिमिटेड (टीजीबीएल) ने बायोमास एवं नगर के ठोस अपशिष्ट से ग्रीन हाइड्रोजन निकालने के लिए एक संयंत्र लगाने हेतु पुणे नगर निगम (पीएमसी) के साथ गठबंधन की घोषणा की है। टीजीबीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी वैरिएट पुणे वेस्ट टु एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड पुणे के 350 टन प्रति दिन के कचरे का प्रबंधन एवं उपयोग 30 वर्षों की अवधि के लिए हाइड्रोजन पैदा करने में करेगी। इस परियोजना का लक्ष्य नगर के ठोस अपशिष्ट से हाइड्रोजन निकालना है। यह कंपनी निकट भविष्य में इसी तरह के संयंत्र लगाने के लिए देशभर के अन्य नगर निकायों से बातचीत कर रही है।
भारत सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) परियोजना प्रबंधन परामर्श उपलब्ध कराएगा और दिग्रीनबिलियन्स लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी वैरिएट पुणे वेस्ट टु एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, पुणे नगर के गैर रिसाइक्लेबल अपशिष्ट को हाइड्रोजन में तब्दील करने के लिए परियोजना को लागू करेगी।
इस कचरे से रिफ्यूस्ड डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) का उपयोग बाद में प्लाज्मा गैसिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर हाइड्रोजन पैदा करने में किया जाएगा। इस टेक्नोलॉजी को भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (बार्क) और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरू के साथ मिलकर विकसित किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार का उपक्रम महात्मा फुले रिन्यूएबल एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी (महाप्रेइट) ने इस इकाई से पैदा हुए हाइड्रोजन को लेने और उद्योगों तक इसके परिवहन के लिए लॉजिस्टिक ढांचा विकसित करने का प्रस्ताव किया है। इस परियोजना के प्रथम चरण के लिए महाप्रेइट ने गेल इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के संयुक्त उद्यम महाराष्ट्र नैचुरल गैस लिमिटेड की साझीदारी में पुणे में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में इसे मिश्रित करने का प्रस्ताव किया है। महाप्रेइट और गेल के इस संयुक्त प्रयास से प्रस्तावित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना को एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए बेंचमार्क स्थापित करने में मदद मिलेगी जिसमें इस नगर के अपशिष्ट से पैदा हुई हाइड्रोजन को गैस वितरण नेटवर्क में वापस मिलाया जा सकेगा।
प्रतीक कनाकिया, पीएचडी, चेयरमैन एवं संस्थापक, दिग्रीनबिलियन्स लिमिटेड के मुताबिक, “बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों से ऊर्जा की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। इस स्थिति ने भारतीय ऊर्जा भंडारों पर काफी दबाव पैदा किया है। इसने वैकल्पिक ऊर्ज स्रोतों विशेषकर हरित एवं स्वच्छ स्रोतों की पहचान एवं उसे विकसित करने पर ध्यान बढ़ाया है जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते। हरित हाइड्रोजन पैदा करने की नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बढ़ती मांग के बीच इस देश में ग्रीन हाइड्रोजन बढ़ाने के लिए विकल्प तलाशना आवश्यक है। हम इस बात को पहचानते हैं कि प्रभावी तरीके से कचरे का संग्रह और निपटान प्रणाली, गुणवत्तापूर्ण शहरी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। खास तौर पर भारत में गैर टिकाऊ कचरा प्रबंधन से शहरों में रहने की जगहों पर प्रभाव डालता है। पुणे नगर निगम के साथ हमारा गठबंधन इन मांगों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।”
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) की ओर से जारी आधिकारिक बयान, “इस परियोजना के साथ पुणे नगर 25 लाख टन तक कार्बन डाय ऑक्साइड घटा सकता है, 38 लाख टन से अधिक अपशिष्ट इस लैंडफिल से अन्यत्र जाएगा और करीब 1.80 लाख परिवारों को सीधे बचत होगी। वहीं शहर के निचले इलाके में फेंके जा रहे नगर के ठोस अपशिष्ट को डायवर्ट किया जाएगा जिससे प्रतिदिन 689.5 घन मीटर क्षेत्र और प्रतिवर्ष 25.16 हेक्टेयर क्षेत्र बचेगा।”
इस अपशिष्ट में बायोडिग्रडेबल, नॉन बायोडिग्रेडेबल और घरेलू खतरनाक कचरे शामिल होंगे और इन्हें ऑप्टिकल सेंसर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर दिग्रीनबिलियन्स की पुणे स्थित इकाई में अलग किया जाएगा। इस इकाई से गीले कचरे का उपयोग ह्यूमिक एसिट समृद्ध बायो फर्टिलाइजर बनाने में किया जाएग जिसे पारंपरिक बायो फर्टिलाइजर से बेहतर माना जाता है और इसमें कम कार्बन उत्सर्जन होता है।
इस परियोजना का लक्ष्य अपशिष्ट से हाइड्रोजन उत्पादन की प्रौद्योगिकीय एवं वित्तीय व्यवहारिकता का प्रदर्शन करना है। हाइड्रोजन को अपनाने पर भारत सरकार के विशेष जोर के साथ इस तरह की परियोजनाओं से ना केवल भारत को गैर कार्बनीकरण के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे अपशिष्ट निस्तारण से उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने में मदद मिलेगी। एक बार हासिल होने पर इन लक्ष्यों से देश को स्वच्छ भारत का विजन प्राप्त करने और हाइड्रोज महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।